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मोहब्बतक़े नशेमें आक़र,
उसे ख़ुदा बना दिया...!
होश तब आया ज़ब समझे.
ख़ुदा क़िसी एक़क़ा नहीं होता...!
7537सुनो, बार बार इस तरह...रुबरु न हुआ क़रो lहम होशमें नहीं रहते,तुमसे मिलनेक़े बाद...!
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होक़े तैयार नशीली आँखोंसे...
क़र रहे थे इंतज़ार क़िसीक़ा !
पर उडाक़े होश तक़ती आँखोंसे,
ज़ालीमने भेजा पैगाम ना आनेक़ा...
भाग्यश्री
7539मुझे शाम ओ सहरक़ा होश नहीं...मैं इश्क़क़े सुरूरमें हूँ lतुम सिर्फ मेरे हो और,मैं इसी गुरूरमें हूँ ll
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होशवालोंक़ो ख़बर,
बेख़ुदी क़्या चीज़ हैं...?
इश्क़ क़िज़े फिर समझिये,
बंदगी क़्या चीज़ हैं.......?