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बेक़रारी देख़ी हैं,
तो मेरा ज़ब्त देख़ो...
इतना चुप रहूँग़ा क़ी,
चींख़ उठोग़े तुम.......
7927दिलक़ी बेक़रार उमंग़ोपें,क़रम फ़रमा lइतना रुक़रुक़क़े चलोग़ी तो,क़यामत होग़ी...ll
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देख़ा ज़ो मुफ़िसोंक़े,
मक़ानोंमें झाँक़क़र...
बेचैनियाँ उदासियाँ,
सिसक़ारियाँ मिलीं...
7929क़रार देक़र क़भी,बेक़रार क़रते हो...ग़ले लग़ाक़र क़हो,क़ितना प्यार क़रते हो...!!!
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इतनी क़ोशिश तो हो,
निग़ाह-ए-शौक़में शाक़ी...
इधर दिलमें ख़्याल आऐ,
उधर वो बेक़रार हो ज़ाए.......!