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अब ये क़िस्सा,
बड़ा आम सा हैं...
इश्क़में जो सच्चा हैं,
वहीं बदनाम सा हैं...!
8147प्यार तबतक़ क़रेंगे,ज़बतक़ शाम न हो...चल ऐसी ज़गह ज़हाँ,तू बदनाम न हो.......
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मिसाल देंगे लोग,
हमारी मोहब्बतक़ी...
जो बदनाम होक़र भी,
क़ामयाब होगी.......!
8149नशा तो उसक़ी,आँख़ोंमें हैं...!क़ाज़ल तो यूँ ही,बदनाम हुआ हैं...!!!
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पलक़े झुक़ाक़े,
शाम क़र गये...!
वो मुझे इस तरह,
बदनाम क़र गये...!!!
अफ़शा नाज़