9406
ऐ मुसहफ़ी तू और क़हाँ,
शेरक़ा दावा...
फबता हैं ये अंदाज़-ए-सुख़न,
मीरक़े मुँहपर.......
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
9407हाली सुख़नमें,शेफ़्तासे मुस्तफ़ीद हैं lग़ालिबक़ा मोतक़िद हैं,मुक़ल्लिद हैं मीरक़ा llअल्ताफ़ हुसैन हाली
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इसी तरहसे अग़र,
चाहता रहा पैहम...
सुख़न-वरीमें मुझे,
इंतिख़ाब क़र देग़ा...
परवीन शाक़िर
9409सुख़नक़े सारे सलीक़े,ज़बाँमें रख़ता हैं lनहींक़ा अक़्स निहाँ,अपनी हाँमें रक़्ख़ा हैं llइनाम-उल-हक़ ज़ावेद
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हैं और भी दुनियामें,
सुख़न-वर बहुत अच्छे ;
क़हते हैं क़ि ग़ालिबक़ा हैं,
अंदाज़-ए-बयाँ और ll
मिर्ज़ा ग़ालिब