16 June 2023

9576 - 9580 लफ्ज़ ज़बाँ आँख़ दास्ताँ सबब ख़ामोशी शायरी

 
9576
लफ्ज़ोक़ो तो,
दुनिया समझती हैं...!
क़ाश क़ोई,
ख़ामोशीभी समझता...!!!

9577
भीगी आँख़ोसे मुस्क़ुरानेक़ा,
मज़ा और हैं...
हँसते हँसते पलक़े भिगोनेक़ा,
मज़ा और हैं...
बात क़हक़े तो,
क़ोई भी समझ लेता हैं.,;
ख़ामोशीक़ो क़ोई समझे तो,
मज़ा और हैं.......

9578
चलो अब ज़ाने भी दो,
क़्या क़रोगे दास्ताँ सुनक़र...
ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं,
और बयाँ हमसे होगा नहीं.......

9579
हरएक़ बात,
ज़बाँसे क़हीं नहीं ज़ाती...
ज़ो चुपक़े बैठे हैं,
क़ुछ उनक़ी बात भी समझो...
महशर इनायती

9580
क़ोई ज़ब पूछ बैठेगा,
ख़ामोशीक़ा सबब तुमसे...
बहुत समझाना चाहोगे,
मगर समझा पाओगे.......

15 June 2023

9571 - 9575 लब ज़ज़्बात इन्कार मतलब प्यार अल्फ़ाज़ तफ्सील ख़ामोशी शायरी

 
9571
समझने वाले तो,
ख़ामोशीभी समझ लेते हैं...
समझनेवाले ज़ज़्बातोंक़ा भी,
मज़ाक़ बना देते हैं.......

9572
अब अल्फ़ाज़ नहीं बचे क़हनेक़ो,
और एक़ वो हैं ज़ो मेरी,
ख़ामोशी नहीं समझती.......

9573
हम लबोंसे क़ह पाये,
उनसे हाल--दिल क़भी...
और वो समझे नहीं,
ये ख़ामोशी क़्या चीज़ हैं...

9544
वो अब हर एक़ बातक़ा,
मतलब पूछता हैं मुझसे, फ़राज़...
क़भी ज़ो मेरी ख़ामोशीक़ी,
तफ्सील लिख़ा क़रता था.......ll

9575
हर ख़ामोशीक़ा मतलब इन्कार नहीं होता,
हर नाक़ामीक़ा मतलब हार नहीं होता,
तो क़्या हुआ अगर हम तुम्हें पा सक़े,
सिर्फ पानेक़ा मतलब प्यार नहीं होता...ll

14 June 2023

9566 - 9570 बेवज़ह दर्द इख़्तियार प्यार दीदार ख़ामोशी शायरी

 
9566
दर्द हदसे ज़्यादा हो तो,
आवाज़ छीन लेती हैं ;
क़ोई ख़ामोशी,
बेवज़ह नहीं होती हैं ll

9567
ख़ामोशीक़ो इख़्तियार क़र लेना,
अपने दिलक़ो थोड़ा बेक़रार क़र लेना,
ज़िन्दगीक़ा असली दर्द लेना हो तो...
बस क़िसीसे बेपनाह प्यार क़र लेना...ll

9568
उसक़े बिना अब चुपचुप रहना अच्छा लगता हैं,
ख़ामोशीसे दर्दक़ो सहना अच्छा लगता हैं,
ज़िस हस्तीक़ी यादमें दिन भर आँसू बहते हैं,
सामने उसक़े क़ुछ क़हना अच्छा लगता हैं,
मिलक़र उससे बिछड़ ज़ाऊँ डरती रहती हूँ...
इसलिए बस दूर हीं रहना अच्छा लगता हैं...ll

9569
ख़ामोशियाँ तेरी मुझसे बातें क़रती हैं,
मेरा हर दर्द और हर आह समाज़ती हैं l
पता हैं मज़बूर हैं तू और में भी,
फ़िर भी आँखें तेरे दीदारक़ो तरसती हैं ll

9570
ख़ामोशियाँ यूँ हीं बेवज़ह नहीं होती,
क़ुछ दर्द भी आवाज़ छीन लिया क़रतें हैं.......

13 June 2023

9561 - 9565 ज़बाँ आहट ज़ज़्बा इश्क़ राज़ बेचैन ख़ामोशी शायरी

 
9561
ख़ामोशीमें चाहे,
ज़ितना बेगाना-पन हो...
लेक़िन इक़ आहट,
ज़ानी-पहचानी होती हैं...!
                     भारत भूषण पन्त

9562
मोहब्बतेंमें नुमाइशक़ी,
ज़रूरत नहीं होती...l
ये तो वो ज़ज़्बा हैं ज़िसममें,
ख़ामोशी भी गुनगुनाती हैं.....ll

9563
ख़ामोशीक़ा राज़ ख़ोलना भी सीख़ो...
आँख़ोक़ी ज़बाँसे बोलना भी सीख़ो...

9564
मोहब्बत नहीं थी तो,
एक़ बार समझाया तो होता...l
नादान दिल तेरी ख़ामोशीक़ो,
इश्क़ समझ बैठा.......ll

9565
हमारी मोहब्बत ज़रूर,
अधूरी रह गयी होगी पिछले ज़न्ममें...!
वरना इस ज़न्मक़ी तेरी ख़ामोशी,
मुझे इतना बेचैन क़रती.......!!!

12 June 2023

9556 - 9560 आवाज़ तन्हाई ज़ज़्बात दर्द क़मज़ोरी गहरी ख़ामुशी शायरी

 
9556
बहुत गहरी हैं,
उसक़ी ख़ामुशी भी ;
मैं अपने क़दक़ो,
छोटा पा रहीं हूँ.......
               फ़ातिमा हसन

9557
ज़िसे सय्यादने क़ुछ, गुलने क़ुछ,
बुलबुलने क़ुछ समझा...
चमनमें क़ितनी मानी-ख़ेज़ थी,
इक़ ख़ामुशी मिरी.......
ज़िगर मुरादाबादी

9558
क़भी ख़ामोशी बनते हैं,
क़भी आवाज़ बनते हैं,
हर तन्हाईक़े साथी,
मेरे ज़ज़्बात बनते हैं ll

9559
हमारी ख़ामोशी हीं,
हमारी क़मज़ोरी बन गयी...
उन्हें क़ह पाए दिलक़े ज़ज़्बात और,
इस तरहसे उनसे इक़ दूरी बन गयी ll

9560
ज़ज़्बात क़हते हैं,
ख़ामोशीसे बसर हो ज़ाएँ...
दर्दक़ी ज़िद हैं क़ि,
दुनियाक़ो ख़बर हो ज़ाएँ ll

11 June 2023

9551 - 9555 क़िस्मत दस्तूर बज़्म मुसल्लत ख़ामुशी शायरी

 
9551
ये पानी ख़ामुशीसे,
बह रहा हैं...
इसे देख़ें क़ि,
इसमें डूब ज़ाएं.......
           अहमद मुश्ताक़

9552
ज़ोर क़िस्मतपें,
चल नहीं सक़ता...
ख़ामुशी इख़्तियार,
क़रता हूँ.......ll
अज़ीज़ हैंदराबादी

9553
तमाम शहरपें,
इक़ ख़ामुशी मुसल्लत हैं l
अब ऐसा क़र क़ि,
क़िसी दिन मिरी ज़बाँसे निक़ल ll
                               अभिषेक़ शुक्ला

9554
निक़ाले गए इसक़े,
मअ'नी हज़ार...
अज़ब चीज़ थी,
इक़ मिरी ख़ामुशी.......
ख़लील-उर-रहमान आज़मी

9555
ज़ब ख़ामुशी हीं,
बज़्मक़ा दस्तूर हो गई...
मैं आदमीसे,
नक़्श--दीवार बन गया...
                      ज़हींर क़ाश्मीरी

10 June 2023

9546 - 9550 रस्म तमन्ना आवाज़ शामिल शिक़ायत ख़मोशी शायरी


9546
ख़मोशीसे अदा हो,
रस्म--दूरी...
क़ोई हंगामा बरपा,
क़्यूँ क़रें हम......
                ज़ौन एलिया


9547
चुप रहो तो,
पूछता हैं ख़ैर हैं...!
लो ख़मोशी भी,
शिक़ायत हो गई.......!!!
अख़्तर अंसारी अक़बराबादी


9548
मोहब्बत सोज़ भी हैं,
साज़ भी हैं...
ख़मोशी भी हैं,
ये आवाज़ भी हैं.......
              अर्श मलसियानी


9549
हम मानेंगे,
ख़मोशी हैं तमन्नाक़ा मिज़ाज़ l
हाँ भरी बज़्ममें,
वो बोल पाई होगी....... ll
क़ालीदास गुप्ता रज़ा


9550
घड़ी ज़ो बीत गई,
उसक़ा भी शुमार क़िया...
निसाब--जाँमें तिरी,
ख़ामुशी भी शामिल क़ी...
                         ज़ावेद नासिर

9 June 2023

9541 - 9545 तस्वीर फ़ुर्क़त तस्कीन आरज़ू तड़प बेचैन ख़मोशी शायरी

 
9541
आपने तस्वीर भेज़ी मैंने,
देख़ी ग़ौरसे...
हर अदा अच्छी,
ख़मोशीक़ी अदा अच्छी नहीं...
                         ज़लील मानिक़पूरी

9542
ख़मोशी दिलक़ो हैं,
फ़ुर्क़तमें दिन रात l
घड़ी रहती हैं,
ये आठों पहर बंद ll
लाला माधव राम जौहर

9543
ख़मोशीसे मुसीबत,
और भी संगीन होती हैं l
तड़प दिल तड़पनेसे ज़रा,
तस्कीन होती हैं....... ll
                         शाद अज़ीमाबादी

9544
ख़मोशी मेरी मअनी-ख़ेज़ थी,
आरज़ू क़ितनी,
क़ि ज़िसने ज़ैसा चाहा,
वैसा अफ़्साना बना डाला...ll
आरज़ू लख़नवी

9545
उसे बेचैन क़र,
ज़ाऊँगा मैं भी...
ख़मोशीसे गुज़र ज़ाऊँगा,
मैं भी.......
                    अमीर क़ज़लबाश

8 June 2023

9536 - 9540 शोर ज़बान इज़हार आँख़ अश्क़ ख़मोशी शायरी

 
9536
शोर सा एक़ हर इक़,
सम्त बपा लगता हैं...
वो ख़मोशी हैं क़ि,
लम्हा भी सदा लगता हैं...
                      अदीम हाशमी

9537
खुली ज़बान तो ज़र्फ़,
उनक़ा हो गया ज़ाहिर...
हज़ार भेद छुपा रक्खे थे,
ख़मोशीमें..........
अनवर सदीद

9538
इज़हारपें भारी हैं,
ख़मोशीक़ा तक़ल्लुम...
हर्फ़ोंक़ी ज़बां और हैं,
आँख़ोंक़ी ज़बां और.......
                     हनीफ़ अख़ग़र
9539
ज़ो सुनता हूँ सुनता हूँ,
मैं अपनी ख़मोशीसे...
ज़ो क़हती हैं क़हती हैं,
मुझसे मिरी ख़ामोशी.......
बेदम शाह वारसी

9540
इक़ अश्क़ क़हक़होंसे,
गुज़रता चला गया l
इक़ चीख़ ख़ामुशीमें,
उतरती चली गई ll
                    अमीर इमाम

7 June 2023

9531 - 9535 लब लफ़्ज़ हाल चेहरे रिश्ता आवाज़ ख़ामुशी शायरी

 
9531
हम लबोंसे क़ह पाए,
उनसे हाल--दिल क़भी...
और वो समझे नहीं,
ये ख़ामुशी क़्या चीज़ हैं.......
                           निदा फ़ाज़ली

9532
रात मेरी आँख़ोमें,
क़ुछ अज़ीब चेहरे थे...
और क़ुछ सदाएँ थीं,
ख़ामुशीक़े पैक़रमें.......
ख़ुशबीर सिंह शाद

9533
ख़ामुशी छेड़ रहीं हैं,
क़ोई नौहा अपना...
टूटता ज़ाता हैं आवाज़से,
रिश्ता अपना.......
                       साक़ी फ़ारुक़ी

9534
एक़ दिन मेरी ख़ामुशीने मुझे,
लफ़्ज़क़ी ओटसे इशारा क़िया ll
अंज़ुम सलीमी

9535
चटख़क़े टूट गई हैं,
तो बन गई आवाज़...
ज़ो मेरे सीनेमें,
इक़ रोज़ ख़ामुशी हुई थी.......
                                सालिम सलीम

6 June 2023

9526 - 9530 नफ़स अफ़्साना फ़साने ख़ुशी तस्वीर गहरी ख़ामुशी शायरी

 
9526
मिरे साज़--नफ़सक़ी,
ख़ामुशीपर रूह क़हती हैं...
आई मुझक़ो नींद और,
सो ग़या अफ़्साना-ख़्वाँ मेरा...ll
                                 इज्तिबा रिज़वी

9527
ख़ामुशी तेरी मिरी,
ज़ान लिए लेती हैं...l
अपनी तस्वीरसे बाहर,
तुझे आना होगा.......ll
मोहम्मद अली साहिल

9528
बोल पड़ता तो,
मिरी बात मिरी हीं रहती...
ख़ामुशीने हैं दिए,
सबक़ो फ़साने क़्या क़्या.......
                        अज़मल सिद्दीक़ी

9529
सौत क़्या शय हैं,
ख़ामुशी क़्या हैं...?
ग़म क़िसे क़हते हैं,
ख़ुशी क़्या हैं.......?
फ़रहत शहज़ाद

9530
टूटते बर्तनक़ा शोर और,
गूँगी बहरी ख़ामुशी...
हमने रख़ ली हैं बचाक़र,
एक़ गहरी ख़ामुशी.......
                        सालिम सलीम