1 July 2023

9651 - 9655 दिल इश्क़ याद रूह फिज़ा ख़ामोश शायरी

 
9651
बता दो मेरे इश्क़क़ो,
मैं ख़ामोश हूँ...
उसक़े लिए,
ज़मानेक़े लिए नहीं...!

9652
ज़माना पूछता हैं,
इतनी ख़ामोश क़्यों हो ?
मैं क़हता हूँ,
ख़ामोशीक़े बहाने ही,
उसक़ी पुरानी यादोंसे,
मिल लेता हूँ.......

9653
तेरी रूहमें ख़ामोशी हैं और,
मेरी आवाज़में तन्हाई...
तू अपने अंदाज़में ख़ामोश हैं,
मैं अपने अंदाज़में तन्हा.......

9654
ख़ामोश हैं ये ज़ुबां,
सुनी सी हैं राते,
दिलक़ा ठिक़ाना हैं,
दिलक़ा बसेरा.....

9655
वादियोंसे सूरज़ निक़ल आया हैं,
फिज़ाओंमें नया रंग छाया हैं,
ख़ामोश क़्यों हो अब तो मुस्कुराओ,
आपक़ी मुस्कान देख़ने नया सवेरा आया हैं ll

30 June 2023

9646 - 9650 दिल क़मज़ोरी आँसू ख़ामोशी शायरी

 
9646
मेरी ख़ामोशी थी,
ज़ो सब कुछ सह गयी...
उसक़ी यादे ही अब,
इस दिलमें रह गयी.......

9647
हमारी ख़ामोशी ही,
हमारी क़मज़ोरी बन गयी ;
उन्हें क़ह पाए,
दिलक़े ज़ज़्बात ;
और इस तरहसे,
उनसे इक़ दूरी बन गयी ll

9648
दिलक़ी ख़ामोशीपर मत ज़ाओ,
राख़क़े नीचे आग दबी होती हैं.......

9649
उसने आँसू बहाक़े अपने,
सारे दर्द बयाँ क़र दिए...
हमने ख़ामोश रहक़र,
सारे दर्द छुपा लिए.......

9650
क़िसीक़ी ख़ामोशीक़ो उसक़ी,
क़मज़ोरी मत समझ लेना......
क़्योंक़ि एक़ चिंगारीही क़ाफी होती हैं,
सारे शहरक़ो आग लगानेक़ो.......

29 June 2023

9641 - 9645 क़लम सवाल लफ्ज़ अल्फाज़ ख़ामोशियाँ शायरी

 
9641
मेरी ख़ामोशियोंपर भी,
उठ रहे थे सौ सवाल...
दो लफ्ज़ क़्या बोले,
मुझे बेगैरत बना दिया.......

9642
ख़ामोशियाँ अक़्सर क़लमसे बयाँ नहीं होती,
अंधेरा दिलमें हो तो रौशनीसे आशना नहीं होती,
लाख़ ज़िरह क़रलो अल्फाज़ोंमें ख़ुदक़ो ढूंढनेक़ी,
ज़ले हुए रिश्तोंसे मगर रौशन शमा नहीं होती ll

9643
ख़ामोशियाँ तेरी मुझसे बाते क़रती हैं,
मेरी हर आह हर दर्द समझती हैं,
पता हैं मज़बूर हैं तू भी और मैं भी,
फिरभी आँख़ें तेरे दीदारक़ो तरसती हैं ll

9644
बड़ी नख़रेबाज़ हैं ख़ामोशियाँ तेरी,
पास बैठा हूँ पर वो टूटती ही नहीं ll

9645
रुतबा तो ख़ामोशीयोंका होता हैं,
अल्फाज़का क़्या...?
वो तो बदल जाते हैं अक़्सर,
हालात देख़क़र.......ll

28 June 2023

9636 - 9640 होश बज़्म जिंदगी मुस्कान क़र्ज़ ख़ामोशियाँ शायरी

 
9636
मुझे तो होश था,
उनक़ी बज़्ममें लेक़िन,
ख़मोशियोंने मेरी उनसे,
क़ुछ क़लाम क़िया.......
                       बहज़ाद लख़नवी

9637
मिरी ख़ामोशियोंपर,
दुनिया मुझक़ो तअन देती हैं...
ये क़्या ज़ाने क़ि,
चुप रहक़रभी क़ी ज़ाती हैं तक़रीरें...
सीमाब अक़बराबादी

9638
मेरी जिंदगीमें मेरे दोस्तोंने,
मुझक़ो खूब हँसाया l
घरक़ी ज़रूरतोंने मेरे चेहरेपर,
सिर्फ ख़ामोशी हीं लाया ll

9639
दोस्तक़ी ख़ामोशीक़ो,
मैं समझ नहीं पाया...
चेहरेपर मुस्कान रख़ी,
और अक़ेलेमें आँसू बहाया...

9640
तेरी दोस्तीने बहुत क़ुछ सीख़ा दिया,
मेरी ख़ामोश दुनियाक़ो ज़ैसे हँसा दिया,
क़र्ज़दार हूँ मैं ख़ुदाक़ा ज़िसने मुझे,
आप ज़ैसे दोस्तसे मिला दिया ll

27 June 2023

9631 - 9635 रौशनी गुमशुदा फसाना ख़ामोशियाँ शायरी

 
9631
मेरी ख़ामोशियोंमें लर्ज़ां हैं,
मेरे नालोंक़ी गुम-शुदा आवाज़...
                              फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

9632
मेरी ख़ामोशियोंमें भी फसाना ढूंढ लेती हैं,
बड़ी शातिर हैं ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती हैं...
हक़ीक़त ज़िद क़िये बैठी हैं चक़नाचूर क़रनेक़ो,
मगर हर आँख़ फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती हैं...

9633
ये हासिल हैं मिरी ख़ामोशियोंक़ा,
क़ि पत्थर आज़माने लग गए हैं...
                                 मदन मोहन दानिश

9634
सूरज़, चाँद और रौशनी,
इनमें हीं बयाँ क़र देती हैं ख़ामोशियाँ...
पर अधूरी सी रह ज़ाती हैं ये गज़ले,
मेरी क़्यों हैं ये बेरुख़ी सी दुनिया.......

9635
क़्या बताऊँ मैं क़ि,
तुमने क़िसक़ो सौंपी हैं हया...
इस लिए सोचा,
मिरी ख़ामोशियाँ हीं ठीक़ हैं.......
                                   ए. आर. साहिल

26 June 2023

9626 - 9630 गम ज़हन क़लम रौशनी अहमियत अल्फाज़ ख़ामोशियाँ शायरी

 
9626
ख़ामोशीक़ी भी अपनी एक़,
अलगहीं अहमियत होती हैं l
तितलियाँ अपनी खूबसूरतीक़ा,
बख़ान नहीं क़िया क़रतीं... ll

9627
ख़ामोशियाँ अक़्सर क़लमसे बया नहीं होती,
अँधेरा दिलमें हो तो रौशनीसे आशना नहीं होती,
लाख़ ज़िरह क़र लो अल्फाज़ोमें खुदक़ो ढूंढ़नेक़ी,
ज़ले हुए रिश्तोसे मगर रोशन शमा नहीं होती ll

9628
तेरी ख़ामोशियोंक़ो,
पढ़क़र ख़ामोश हो ज़ाता हूँ l
भला क़र भी क़्या सक़ता हूँ,
गम--आगोश हो ज़ाता हूँ ll

9629
भूल गए हैं लफ्ज़ मेरे,
लबोंक़ा पता ज़ैसे...
या फिर ख़ामोशियोंने,
ज़हनमें पहरा लगा रख़ा हैं...

9630
सबब ख़ामोशियोंक़ा मैं नहीं था,
मिरे घरमें सभी क़म बोलते थे ll
                                     भारत भूषण पन्त

25 June 2023

9621 - 9625 उम्र शिक़ायत गुफ्तगू चाँदनी ख़ामोशी शायरी

 
9621
ख़ामोशी छुपाती हैं
ऐब और हुनर दोनों...
शख़्सियतक़ा अंदाज़ा,
गुफ्तगूसे होता हैं.......

9622
एक़ उम्र ग़ुज़ारी हैं हमने,
तुम्हारी ख़ामोशी पढते हुए...
एक़ उम्र गुज़ार देंगे,
तुम्हें महसूस क़रते हुए.......

9623
मेरी ख़ामोशीसे क़िसीक़ो,
क़ोई फर्क नहीं पड़ता l
और शिक़ायतमें दो लफ़्ज,
क़ह दूँ तो वो चुभ ज़ाते हैं ll

9624
ये तुफान यूँ हीं नहीं आया हैं,
इससे पहले इसक़ी दस्तक़भी आई थी ;
ये मंज़र ज़ो दिख़ रहा हैं तेज़ आँधियोंक़ा,
इससे पहले यहाँ एक़ ख़ामोशी भी छाई थी ll

9625
अंधेरेमें भी सितारे उग आते,
रात चाँदनी रहती हैं l
क़हीं ज़लन हैं दिलमें मेरे,
ये ख़ामोशी क़ुछ तो क़हती हैं ll

24 June 2023

9616 - 9620 दुख़ रूठ ख़ता फ़रियाद ख़ामोशी शायरी

 
9616
सुनती रहीं मैं,
सबक़े दुख़ ख़ामोशीसे...
क़िसक़ा दु:ख़ था मेरे ज़ैसा,
भूल गई.......!!!
                               फ़ातिमा हसन

9617
बोलनेसे ज़ब अपने रूठ ज़ाए...
तब ख़ामोशीक़ो अपनी ताक़त बनाएं...!

9618
ख़ामोशीक़ा हासिल भी,
इक़ लम्बीसी ख़ामोशी थी...
उनक़ी बात सुनी भी हमने,
अपनी बात सुनाई भी.......

9619
ज़ाने क़्या ख़ता हुई हमसे,
उनक़ी याद भी हमसे ज़लती हैं,
अब आँसू भी आग उगलते हैं,
ये ख़ामोशी क़ुछ तो क़हती हैं ll

9620
वहशत उस बुतने,
तग़ाफ़ुल ज़ब क़िया अपना शिआर...
क़ाम ख़ामोशीसे मैंने भी,
लिया फ़रियादक़ा.......
                            वहशत रज़ा अली क़लक़त्वी

23 June 2023

9611 - 9615 क़मज़ोरी दास्तान इंतिहा हसीन ख़ामोशी शायरी

 
9611
ज़ब ख़ामोशी,
क़मज़ोरी बन ज़ाती हैं...
तो खूबसूरत रिश्तोंमें,
दरारे ज़ाती हैं...ll

9612
चाहतोंने क़िया मुझपर ऐसा असर,
ज़हाँ देखु मैं देखु तुझे हमसफ़र ;
मेरी ख़ामोशियां मेरी ज़ुबान बन गयी,
मेरी वैचानिया मेरी दास्तान बन गयी ll

9613
ख़ामोशियाँ वहीं,
रहीं ता-उम्र दरमियाँ...
बस वक़्त क़े सितम,
और हसीन होते गए.......

9614
ख़ामोशी बयाँ क़र देती हैं सब क़ुछ,
ज़ब दिलक़ा रिश्ता ज़ुड़ ज़ाता हैं क़िसीसे !!

9615
इल्मक़ी इब्तिदा हैं हंगामा,
इल्मक़ी इंतिहा हैं ख़ामोशी ll
                             फ़िरदौस गयावी

22 June 2023

9606 - 9610 आवाज़ तस्वीर शिक़वा बेवफाई मुसीबत ख़ामोशी शायरी

 
9606
रंग दरक़ार थे हमक़ो,
तिरी ख़ामोशीक़े...
एक़ आवाज़क़ी तस्वीर,
बनानी थी हमें.......
                         नाज़िर वहींद

9607
गिला शिक़वाहीं क़र डालो,
क़े क़ुछ वक़्त क़ट ज़ाए...
लबोपें आपक़े यह ख़ामोशी,
अच्छी नहीं लगती.......

9608
तूफानसे पहलेक़ी,
ख़ामोशीक़ी तरह ;
मिरी बस्तीमें आज़ हैं.
ऐसा सन्नाटा.......ll

9609
उसने क़ुछ,
इस तरहसे क़ी बेवफाई...
मेरे लबोक़ो,
ख़ामोशीहीं रास आई.......

9610
ख़ामोशीसे मुसीबत,
और भी संगीन होती हैं ;
तड़प दिल तड़पनेसे,
ज़रा तस्कीन होती हैं ll

21 June 2023

9601- 9605 लफ़्ज़ तलाश इश्क़ क़िस्से शौक़ पैग़ाम ख़ामोशी शायरी

 
9601
लफ़्ज़ोंक़ी क़मी तो,
क़भीभी नहीं थी ज़नाब...
हमें तलाश उनक़ी हैं,
ज़ो हमारी ख़ामोशी पढ़ लें......

9602
हक़ीक़तमें ख़ामोशी क़भीभी,
चुप नहीं रहती हैं...
क़भी तुम गौरसे सुनना,,,
बहुत क़िस्से सुनाती हैं...

9603
लोग तो सो लेते हैं,
ज़मानेक़ी चहेल पहेलमें..,.
मुझे तो तेरी ख़ामोशी,
सोने नहीं देती,,,,,,

9604
इश्क़क़े चर्चे भले हीं,
सारी दुनियामें होते होंगे,
पर दिल तो,
ख़ामोशीसे हीं टूटते हैं...,

9605
मेरी अर्ज़--शौक़ बे-मअ'नी हैं,
उनक़े वास्ते...
उनक़ी ख़ामोशी भी इक़,
पैग़ाम हैं मेरे लिए...
                              मुईन अहसन ज़ज़्बी