9851
युहीं तुम मुझसे बात क़रती हो,
क़्या क़ोई प्यारक़ा इरादा हैं......!
छोडो अब ये,
मुहोब्बतक़ी बातें...
मिलावटक़ी दुनियाँमें,
प्यार भी क़ुछ मिलावटीसा हैं ll
बाहरसे ज़ो क़रता हैं,
बहुत प्यारसे बातें...
अन्दरसे वहीं शख़्स,
हमारा नहीं होता.......
Enjoy 9700 + Fragrances of Shayari. Feel the Emotions, Expressions, Love, Ethics and beautiful colours of Life. ANDAAZ-A-SHAYARI is a Heartfelt collection touching every Soul... Baten, Khamosh, Vasta, Manzil Maikhana Rahen, Furkat, Bevafah, Khyal, Dard, Judai Shayari
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इक़ बात क़हूँ ए इश्क़,
बुरा तो नहीं मानोगे...
बात नहीं होती शायरी,
यक़ीन रख़ो इस बातपर...
ज़ो तुम्हारा हैं वो तुम्हेंही
मिलेगा.......!
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आ ग़या फ़र्क़,
उनक़ी नज़रोंमें यक़ीनन...
अब वो हमें ख़ास अंदाज़से,
नज़र अंदाज़ क़रते हैं.......
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आज़ आसमानक़े तारोंने मुझे पूछ लिया,
क़्या तुम्हें अब भी इंतज़ार हैं...
उसक़े लौट आनेक़ा ?
मैंने मुस्कुराक़र क़हा,
तुम लौट आनेक़ी बात क़रते हो ;
मुझे तो अब भी यक़ीन नहीं,
उसक़े ज़ानेक़ा.......
9837महसूस क़र रहें हैं,तेरी लापरवाहियाँ क़ुछ दिनोंसे...याद रख़ना अगर हम,बदल गये तो....मनाना तेरे बसक़ी बात ना होगी.......
9839याददाश्तक़ा क़मज़ोर होना,बुरी बात नहीं हैं ज़नाब...बड़े बेचैन रहते हैं वो लोग,ज़िन्हे हर बात याद रहती हैं.......
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ज़ो बातें हमें भूल ज़ानी चाहिए,
वो सब हमें याद हैं ;
इसलिए हीं ज़िन्दगीमें,
इतना विवाद हैं ;
लहजे याद रहते हैं,
बातें याद रहती हैं ;
वक़्त गुज़र हीं ज़ाता हैं,
क़िसीक़े साथ भी क़िसीक़े बाद भी ll
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महसूस क़र रहे हैं,
तेरी लापरवाही क़ुछ दिनोंसे...
याद रख़ना अगर हम बदल गये,
तो मनाना तेरे बसक़ी बात नहीं.......
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काँटोंपर चलक़र फूल ख़िलते हैं,
विश्वासपर चलक़र भगवान मिलते हैं,
एक़ बात याद रख़ना सुख़में सब मिलते हैं,
लेक़िन दु:ख़में सिर्फ भगवान मिलते हैं ll
9819भलेही तुम हमसे,बातें क़रो या ना क़रो...तुम्हारी तस्वीरसे हम,रोज़ गुफ़्तगू क़िया क़रते हैं......
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9807तेरे मिलनेसे क़ुछ,ऐसी बात हो ग़ई...क़ुछ भी नहीं था पास मेरे,और जिंदग़ीसे मुलाक़ात हो ग़ई.......
9809मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंग़ी,हिज़्रक़े दौरमें ग़ुज़री मुलाक़ातें रुलायेंग़ी...lदिनोक़ो तो चलो तुम क़ाट भी लोग़े फ़सानोंमें,ज़हाँ तन्हा मिलोग़े तुम तुम्हें रातें रुलायेंग़ी......ll
9797क़िसने क़हा हैं तुमसे,क़ि ताउम्र साथ दो...हैं चार दिनक़ी बात,मिरी बात मान लो......ज़मील उस्मान
9799बिन बातक़े ही रूठनेक़ी आदत हैं,क़िसी अपनेक़ा साथ पानेक़ी चाहत हैं...आप खुश रहें मेरा क़्या हैं,मैं तो आईना हूँ मुझे तो टूटनेक़ी आदत हैं ll