5531
ग़लतियाँ
इतनी करो की,
गुंजाइश न रहें...
गिले हो मगर,
गलतफहमियाँ
न हो...!
5532
मैं चुप रहा
और,
गलतफहमियाँ
बढती गयी...
उसने वो भी
सुना जो,
मैने कभी कहां
ही नहीं...!
5533
कुछ यकीन पड़े
होते हैं.
गलतफहमियोंके
कमरोंमें...
और कुछ गलतफहमियाँ,
टहलती हैं यकीनोंमें......
5534
ठंड बहुत हैं,
चलो ऐसा करें...
कुछ गलतफहमियोंको,
आग लगाएँ......
5535
करीब आओगे तो,
शायद हमें समझ
लोगे...
ये फासले तो खामख्वाह,
ग़लतफ़हमियाँ
बढ़ाते हैं......