3 August 2020

6271 - 6275 समझ उलझन कसम बहक मजबूर शायरी


6271
लड़खड़ाये कदम,
तो गिरे उनकी बाँहोंमे...
आज हमारा पीना ही,
हमारे काम गया.......!

6272
मुझे तौबाका पूरा अज्र,
मिलता हैं उसी साअत...
कोई ज़ोहरा-जबीं पीनेपें,
जब मजबूर करता हैं.......
अब्दुल हमीद अदम

6273
तर्क--मय ही,
समझ इसे नासेह l
इतनी पी हैं कि,
पी नहीं जाती ll
          शकील बदायुनी

6274
शब जो हमसे हुआ,
मुआफ़ करो;
नहीं पी थी,
बहक गए होंगे !!!
जौन एलिया

6275
अजीब उलझन हैं गालिब...
बेगम कहती हैं पीना छोडो,
तुम्हें मेरी कसम...!
यार कहते हैं,
पीना पडेगा साले,
तूझे बेगमकी कसम...!!!

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