28 August 2020

6396 - 6400 दिल दर्द जख्म याद इश्क़ चारागर वफा शायरी

 

6396
इस मरज़से कोई बचा भी हैं,
चारागर इश्क़की दवा भी हैं...

6397
दर्दकी भी एक दवा हैं,
बेदर्द बन जाइये, जनाब...

6398
किसीके दर्दकी दवा बनो,
जख्म तो हर इन्सान देता हैं...

6399
गलत कहते हैं लोग... की,
सफेद रंगमें वफा होती हैं...
यारों अगर ऐसा होता तो आज,
नमक जख्मोंकी दवा होती.......

6400
अमीर--शहरके कुछ,
कारोबार याद आयें...
मैं रात सोच रहा था,
हराम क्या क्या हैं.......?
                    राहत इन्दौरी

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