6316
हैं चमक तेरी जबींपर,
जरा दिल भी देख जाहिद l
जो जगह हैं रौशनीके लिए,
वहीं रौशनी नहीं ll
6317
किसी रोज़ होगी रौशन,
मेरी भी ज़िंदगी...
इंतज़ार
सुबहका नहीं,
किसीके लौट आनेका हैं...!
6318
चिरागसी तासीर
रखिये साहिब...
सोचिये मत कि
घर किसका रौशन हुआ !
6319
रौशन किया घरको,
तेरे आनेकी खबर सुनकर...
जमाना समझ रहा
हैं,
हम दिवाली मना रहे
हैं...!
6320
मैं वो चिराग हूँ,
जिसको फरोगेहस्तीमें...
करीब सुबह रौशन किया,
बुझा भी दिया.......
No comments:
Post a Comment