26 August 2020

6386 - 6390 जिन्दगी खफा ख्व़ाब बेवफा जहर मुश्किलें जख्म आँख दर्द जीत हौसला दवा शायरी

 

6386
बेकारके ख्व़ाब,
आँखोंमें ऐसे बस जाती हैं;
बिना दवाई खाएं,
रातको नींद नही आती हैं...

6387
तेरे मर्जकी,
सबने दी दवाई हैं...
मैंने सिर्फ तुम्हें,
मुस्कुरानेकी अदा सिखाई हैं...!

6388
हर दर्दकी दवा,
यहाँपर हैं...
अगर हारके बाद जीतका,
हौसला रख सको.......

6389
मौत माँगते हैं तो जिन्दगी खफा हो जाती,
जहर लेते हैं तो वो भी दवा हो जाती हैं;
तूही बता ऐ दोस्त क्या करूँ...
जिसको भी चाहा वो बेवफा हो जाती हैं...

6390
दर्द भी वो दर्द जो दवा बन जाये,
मुश्किलें बढ़ें तो आसान बन जाये,
जख्म पाकर सिर झुका देता हूँ,
जाने कौन पत्थर खुदा बन जाये ll

No comments:

Post a Comment