18 August 2020

6346 - 6350 दिल तमन्ना लब मोहब्बत शौक वफा सजा जुर्म खता अंजाम जिन्दगी दवा शायरी

 

6346
मेरे शौके-सजाका यह,
खौफनाक अंजाम तो देखो...
किसीका जुर्म हो,
अपनी खता मालूम होती हैं...
                           आजाद अंसारी

6347
खंदब-ए-लबसे,
न खो बैठो तुम होश अपने...
अंजाम भी कोई चीज हैं,
मुस्कराहट तो फक़त,
दाखिलेका खत होती हैं...

6348
आग़ाज़-ए-मोहब्बतका,
अंजाम बस इतना हैं...
जब दिलमें तमन्ना थी,
अब दिल ही तमन्ना हैं...!
                      जिगर मुरादाबादी

6349
मौत अंजामे जिन्दगी हैं मगर...
लोग मरते हैं जिन्दगीके लिये...
साहिल मानिकपुरी

6350
उनके कर्जदार और वफादार रहिये,
जो आपके लिए अपना वक्त देते हैं l
क्योकि.......
अंजामकी ख़बर तो कर्णको भी थी,
पर बात दोस्ती निभानेकी थी.......ll

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