16 August 2020

6336 - 6340 वहम ख्याल मजाक आज़ाद वतन शायरी

 

6336
वतन आज़ाद हुआ,
लोग आज़ाद हुए,
आज़ाद हुए ख्याल...
पर इस वहमसे,
कोई ना आज़ाद हुआ,
तू बड़ा की मैं.......

6337
हर कामकी रिश्वत,
ले रहे अब ये नेता...
कही इन्हीके हाथों,
वतन बिक न जाए...

6338
बाबू लोग वेतनपर और,
बाबा लोग तनपर मर रहे हैं...
जतन कुछ उनके लिए भी करो,
जो रोज़ वतनपर मर रहें हैं.......

6339
ये भी कड़वा मजाक हैं,
मेरे आजाद मुल्कका...
आजादीकी मुबारकबाद,
अंग्रेजीमें देते हैं लोग.......

6340
हम बचाते रह गए,
दीमकसे अपना घर...
कुर्सियोंके चन्द कीड़े,
सारा मुल्क खा गए.......

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