19 August 2020

6351 - 6355 जमाने होश दिल दुश्मन वफ़ा चोरी बेखबर रहजन दुआ दवा शायरी

 

6351
हवाएँ बदल गई हैं,
इस कदर जमानेकी...
दुआएँ माँग रहा हूँ,
होशमें आनेकी.......

6352
जिसे 'मैं' की हवा लगी...
उसे फिर न दवा लगी,
न दुआ लगी.......

6353
उस दुश्मन-ए-वफ़ाको,
दुआ दे रहा हूँ मैं;
मेरा हो सका वो,
किसीका तो हो गया ll
                  हफ़ीज़ बनारसी

6354
इक नहीं मांगी खुदासे,
आदमीयतकी रविश...
और हर शै के लिए,
बंदे दुआ करते रहें.......
दीवाना मोहन सिंह

6355
लुटता दिनको,
तो कब रातको यूँ बेखबर सोता...
रहा खटका चोरीका,
दुआ देता हूँ रहजनको.......
                                   मिर्जा गालिब

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