17 August 2020

6341 - 6345 दिल इश्क़ बेवफा निशानी ज़ख़्म मरहम शायरी

 

6341
मरहम लगाइए,
कहीं भर ही जाए...
दिलका ये ज़ख्म,
उसकी आख़री निशानी हैं...

6342
देख लो.......
दिलपर कितने ज़ख़्म हैं !
तुम तो कहते थे,
इश्क़ मरहम हैं.......

6343
यहाँ कोई नहीं मिलेगा,
मरहम लगानेके लिये;
शायरी कर लीजिये,
गम आधा हो जायेगा...!

6344
मेरे ज़ख्मोंपर मरहम भी लगाया,
उसने तो ये कहकर...
जल्दी ठीक हो जाओ,
अभी तो और भी देनें हैं.......

6345
एक बेवफाके जख्मोपें,
मरहम लगाने हम गए...
मरहमकी कसम, मरहम मिला,
मरहमकी जगह मर हम गए.......!

No comments:

Post a Comment