9 August 2020

6301 - 6305 दिल मोहब्बत ज़िन्दगी फासलें जुर्म नसीब मोहब्बत रौशनी एहसास शायरी

 

6301
रौशनी रौशनी सही,
तीरगीमें भी नूर होता हैं...
रूहे एहसास हो लतीफ तो,
हर खलिशमें सरूर मिलता हैं...

6302
एहसासोंके पांव नहीं होते l
फिर भी दिल तक,
पहुंच ही जाते हैं.......ll

6303
जो बिन कहें सून ले,
वो दिलके बेहद करीब होते हैं l
ऐसे नाज़ुक एहसास,
बड़े नसीबसे नसीब होते हैं ll

6304
इसी लिए हमें,
एहसास-ए-जुर्म हैं शायद...
अभी हमारी मोहब्बत,
नई नई हैं ना...
अफ़ज़ल ख़ान

6305
फासलोंका एहसास तब हुआ,
जब मैंने कहा ठीक हूँ और...
उसने मान लिया.......

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