20 August 2020

6356 - 6360 मजबूर दुआ इश्क़ गुज़ारिश शायरी

 

6356
दुआओंको भी अजीब,
इश्क़ हैं मुझसे यारा...
वो कबूल तक नहीं होती,
मुझसे जुदा होनेके डरसे.......!

6357
नाकाम हैं असरसे,
दुआएँ दुआसे हम...
मजबूर हैं कि,
लड़ नहीं सकते ख़ुदासे हम...
अहसन मारहरवी

6358
उठते नहीं हैं अब तो,
दुआके लिए भी हाथ...
किस दर्जा ना-उमीद हैं,
परवरदिगारसे.......
                   अख़्तर शीरानी

6359
दुआएँ मिल जाये आप सबकी,
बस यही काफी हैं...
दवाएँ तो कीमत अदा करने पर भी,
मिल ही जाती हैं.......

6360
जाते हो... ख़ुदा-हाफ़िज़,
हाँ इतनी गुज़ारिश हैं...
जब याद हम जाएँ,
मिलनेकी दुआ करना.......!
                       जलील मानिकपूरी

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