24 July 2018

3061 - 3065 दिल ताजमहल मुमताज बोतल शराब शरीफ जाम शराब फ़ैसला मुश्किल मुक़दर जुदाई सफ़र रंजिश वफ़ा दामन रिश्ते नाम इश्क तबियत दगाबाज मिजाज भरोसा शायरी


3061
हर छलकती बोतल शराब नहीं होती,
हर खिलती हुई कलि गुलाब नहीं होती।
चाहते तो ताजमहल हम भी बनवा देते लेकिन...
हर एक लड़की मुमताज नहीं होती।।

3062
वो बर्फ़का शरीफ टुकड़ा,
जाममें क्या गिरा...
धीरे धीरे, खुद--खुद,
शराब हो गया.......!

3063
खुदा, आज ये फ़ैसला कर दे,
उसे मेरा... या मुझे उसका कर दे।
बहुत दुख सहे हैं मैने,
कोई ख़ुशी अब तो मुक़दर कर दे।
बहुत मुश्किल लगता हैं,
उससे दूर रहना...
जुदाईके सफ़रको कम कर दे।
नही लिखा अगर नसीबमें उसका नाम,
तो मुझे फ़ना कर दे.......।।

3064
ज़रासी रंजिशपें,
छोड़ो वफ़ाका दामन,
उमरें बीत जाती हैं,
दिलोके रिश्ते बनानेमें...

3065
इश्क और तबियतका,
कोई भरोसा नहीं;
मिजाजसे दोनों ही,
दगाबाज हैं जनाब.......

3056 - 3060 दिल प्यार इश्क याद ख़याल आरजू इज़हार जुस्तजू बात आँख ज़िंदगी दास्तान नादान ज़िक्र दर्द शायरी


3056
ना कियाकर अपने दर्दको,
शायरीमें ब्यान ये नादान दिल;
कुछ लोग टुट जाते हैं,
इसे अपनी दास्तान समझकर...!

3057
ज़िंदगीमें अगर तुम अकेले हो,
तो प्यार करना सिख़लो;
और प्यार कर लिया हैं,
तो इज़हार करने भी सिख़लो;
अगर इज़हार करना नही सीखा तो,
ज़िंदगीभर प्यारके यादोंमें,
रोना सिख़लो.......

3058
तेरा ख़याल, तेरी आरजू गयी,
मेरे दिलसे तेरी, जुस्तजू गयी,
इश्कमें सब कुछ लुटा दिया हँसकर मैंने...
मगर तेरे प्यारकी आरजू गयी.......

3059
वो लोग बहुत ही ख़ास होते हैं,
हमारी जिंदगीमें...
जो अपनी नींदे भूल जाते हैं,
हमसे बात करनेके लिए.......!

3060
फिरसे मेरी आँखोंमें,
गीलापन उतर आया;
जब बातों-बातोंमें,
आज तेरा ज़िक्र आया.......!

22 July 2018

3051 - 3055 दिल मोहब्बत तलाश दर्द मोहब्बत महफील यार बात शायरी


3051
तलाश कर मेरी कमीको,
अपने दिलमें एक बार;
दर्द हो तो समझ लेना,
मोहब्बत अभी बाकी हैं...!

3052
लगती हैं बोलीया जहाँ,
दर्दकी यारों...
हम उसे.......
महफील कहते हैं !!!

3053
मोहब्बत आज भी करते हैं,
एक दूसरेसे.......
मना वो भी नहीं करते; और
बयाँ हम भी नहीं करते...!!!

3054
अब मरते नहीं,
तो क्या करते यारो...
वो ज़ोरसे गले लगकर...
मेरे कान में धीरे से बोली,
"अगले जन्ममें तो पक्की तेरी..."

3055
मोहब्बत सिर्फ देखने,
या मिलनेसे नहीं होती,
कभी कभी.......
बातोंसे भी हो जाती हैं...!!!

3046 - 3050 जमाने शुक्रिया शिक़ायत एहसास गुनाह शिक़ायतें हिचकियॉं पत्थर क़त्ल गम बात शायरी


3046
दिलमें आप हो और कोई खास कैसे होगा;
यादोंमें आपके सिवा कोई पास कैसे होगा;
हिचकियॉं कहती हैं आप याद करते हो;
पर बोलोगे नहीं तो मुझे एहसास कैसे होगा।

3047
गुनाह क़ुछ हमसे हो गए,
यूँ अनज़ानेमें...
फूलोंक़ा क़त्ल क़र दिया,
पत्थरोंक़ो मनानेमें......


3048
बहोत अंदर तक़,
ज़ला देती हैं...
वो शिक़ायतें,
ज़ो बया नहीं होती ll
                           ग़ुलज़ार


3049
वो जो कहती थी के
तू न मिला तो मर जाएंगे हम...
वो आज भी ज़िंदा हैं
ये बात किसी औरसे कहनेके लिए...

3050
गम मिलते हैं तो,
और निखरती हैं शायरी...
यह बात हैं तो,
सारे जमानेका शुक्रिया.......!

20 July 2018

3041 - 3045 दुनिया रिश्ते साँस चाकू खंजर तीर तलवार लफ़्ज़ मुश्किल गैर शुक्रिया गुलाब शायरी


3041
चाकू, खंजर, तीर और तलवार
लड़ रहे थे.......
कि कौन ज्यादा गहरा घाव देता हैं...
और लफ़्ज़ पीछे बैठे मुस्कुरा रहे थे...!!!

3042
दुनियाका सबसे मुश्किल काम
करने लगा हूँ मैं;
बस अपने कामसे काम,
रखने लगा हूँ मैं.......!

3043
जब तक साँस हैं, टकराव मिलता रहेगा,
जब तक रिश्ते हैं, घाव मिलता रहेगा;
पीठ पीछे जो बोलते हैं, उन्हें पीछे ही रहने दे...
रास्ता सही हैं तो, गैरोंसे भी लगाव मिलता रहेगा...!

3044
जो निभा दे साथ जितना,
उस साथका भी शुक्रिया;
छोड़ दे जो बीचमें,
उस हाथका भी शुक्रिया.......!

3045
कभी ना कहो कि,
दिन अपने खराब हैं;
समझ लो कि हम,
काटोंसे घिर गए गुलाब हैं...!

19 July 2018

3036 - 3040 इश्क इन्तजार वक़्त मौसम आँसू नजरअंदाज वजह शायरी


3036
सुना हैं, वो कह कर गये हैं,
के अब तो हम,
सिर्फ़ तुम्हारे ख्वाबोमें ही आएँगे;
कोई कह दे उनसे की वो,
वादा कर ले हमसे,
ज़िंदगीभर के लिए हम सो जाएँगे...!

3037
कितना मासूम था उनका,
बात करनेका लहज़ा...!
धीरेसे 'जान' कहके,
और 'बेजान' कर दिया.......!

3038
ठहर जाते तो शायद,
मिल जाते हम तुम्हें...
इश्कमें इन्तजार किया करते हैं,
जल्दबाजी नहीं.......!

3039
हम हवा नहीं जो खो जाएँगे,
वक़्त नहीं जो गुज़र जाएँगे,
हम मौसम नहीं जो बदल जाएँगे;
हम तो आँसू हैं जो खुशी और गम,
दोनोमें साथ निभाएँगे।

3040
नजरअंदाज करने कि
कुछ तो वजह बताई होती,
अब मैं कहाँ कहाँ
खुदमें बुराई ढूँढू …!

18 July 2018

3031 - 3035 प्यार दिल अजीब बंदिश फरार कैद शिकायत हिसाब सलामत उम्र इबादत नीयत दुश्मन गुंजाइश शर्मिंदा दोस्त शायरी


3031
एक अजीब सी "बंदिश" हैं,
दोस्तोंके प्यारमें;
ना उन्होंने कभी कैदमें रखा...
और ना हम कभी फरार हो पाए...!

3032
शिकायतोंकी पाई पाई,
जोड़कर रखी थी मैंने।
दोस्तोंने गले लगाकर,
सारा हिसाब बिगाड़ दिया।

3033
जीनेकी नयी अदा दी हैं,
खुश रहनेकी उसने दुआ दी हैं,
खुदा, मेरे दोस्तोंको सलामत रखना,
जिसने अपने दिलमें मुझे जगह दी हैं l

3034
ताउम्र बस,
एक ही सबक याद रखिये...
"दोस्ती" और "इबादतमें,
नीयत साफ़ रखिये.......!

3035
दुश्मनी जमकर करो,
लेकिन ये गुंजाइश रहें...
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ,
तो शर्मिंदा हों.......!

16 July 2018

3026 - 3030 जिंदगी खूबसूरत यकीन चमक चाँद चेहरा याद बेबस किस्मत बुंदे चिराग आज़मा शायरी


3026
जिंदगी बहोत खूबसूरत हैं,
सब कहते थे...
बस..... तुझे देखा और,
यकीन हो गया.......!

3027
चाँद चमकना छोड़ दे,
तेरी चाँदनी हमको सताती हैं;
तेरे जैसा ही उसका चेहरा हैं,
तुझे देखके वो याद आती हैं...!

3028
हम भी फूलोंकी तरह,
कितने बेबस हैं...
कभी किस्मतसे टूट जाते हैं,
कभी लोग तोड़ जाते हैं...

3029
कुछ बुंदे पानीकी,
ना जाने कबसे रुकी हैं पल्कोंर;
ना ही कुछ कह पाती हैं,
और... ना ही बह पाती हैं.......!

3030
सुनो हवाओ...
चिरागोंको छोड़ दो तन्हा;
जो जल रहे हैं,
उन्हें और क्या आज़माना.......!

3021 - 3025 प्यार गुस्सा साजिश रूठ दफ़न आँख आखरी वसीयत कमाल जलन महफिल चर्चे शायरी


3021
उनको गुस्सा दिलाना भी,
एक साजिश हैं मेरी...
उनका रूठकर मुझपर यूँ हक जताना,
बडा प्यारासा लगता हैं.......!

3022
दफ़न कर देना मुझे,
उनकी आँखोंमें...
यूँ समझो ये मेरी,
आखरी वसीयत हैं.......।

3023
मयख़ाने से बढ़कर,
कोई ज़मीन नहीं;
जहाँ सिर्फ़ क़दम लड़खड़ाते हैं,
ज़मीर नहीं.......!

3024
हमसे ना पूछो,
जिन्दगी की हक़ीक़त,
अपनोकी शिकायत करना,
हमे अच्छा नही लगता.......!

3025
कमाल करते हैं,
हमसे जलन रखने वाले;
महफिले तो खुदकी सजाते हैं,
पर चर्चे हमारे करते हैं.......!

14 July 2018

3016 - 3020 दिल मुहोब्बत तब्दील अदालत मयखाने नशा कागज़ कलम वक्त झूठ नींद किमत ऑंसू इंतजार आखें उम्र नज़र ग़फ़लत शायरी


3016
कर दो तब्दील,
अदालतोंको मयखानोंमें साहब;
सुना हैं नशेमें कोई,
झूठ नहीं बोलता.......!

3017
कागज़ कलम मैं,
तकियेके पास रखता हूँ;
दिनमें वक्त नहीं मिलता,
मैं उन्हें नींदमें लिखता हूँ...

3018
मैने उससे पूछा,
किमत क्य़ा हैं मुहोब्बतकी ?
वो भी हसकर बोली,
ऑंसू भरी आखें और उम्रभरका इंतजार...

3019
हजार टुकडे कर दिये,
उसने मेरे दिलके;
फिर वो खुद रो पडी,
हर टुकडोमें अपना नाम देखकर...

3020
रफ़्ता रफ़्ता ग़ैर,
अपनी ही नज़रमें हो गए,
वाह-री-ग़फ़लत,
तुझे अपना समझ बैठे थे हम...