3541
नज़र चाहती हैं दीदार
करना,
दिल चाहता हैं प्यार
करना;
क्या बताएं इस दिलका
आलम,
नसीबमें लिखा
हैं इंतज़ार करना...
3542
दिलका क्या
हैं,
तेरी यादोंके सहारे भी
जी लेगा...
हैरान तो आँखे
हैं,
जो तडपती
हैं तेरे दीदारको...!
3543
दीदारकी 'तलब'
हो तो,
नज़रें जमाये रखना जनाब...
क्यूंकि
'नकाब' हो या
'नसीब',
सरकता ज़रूर हैं.......!
3544
इन आँखोंको जब
तेरा,
दीदार हो जाता
हैं...
दिन कोई भी
हो,
लेकिन त्यौहार हो जाता
हैं...!
3545
होशो हवास खो
बैठे हम,
तेरे दीदारसे...
चौदहवीकी रात
भी लगी फीकी,
बस तेरे रुखसारसे.......!