15 October 2019

4881 - 4885 कोशिश निगाह मंज़िल नाराज ख्वाहिश नजरअंदाज ज़िन्दगी शायरी


4881
ज़िन्दगी ये तेरी,
खरोंचे हैं मुझपर...
या फिर तू मुझे तराशनेकी,
कोशिशमें हैं.......!

4882
निगाहोंमें मंज़िल थी,
गिरे और गिरकर संभलते रहे।
हवाओंने तो बहुत कोशिश की,
मगर चिराग आँधियोंमें भी जलते रहे।।

4883
कोशिश कर,
तू सभीको ख़ुश रखनेकी...
नाराज तो यहाँ कुछ लोग,
खुदासे भी हैं.......

4884
ख्वाहिश ये बेशक नहीं की,
हर कोई "तारीफ" करे...
मगर कोशिश ये जरूर हैं की,
कोई "बुरा" ना कहे.......!

4885
कोशिश इतनी हैं,
कोई रूठे ना हमसे...
नजरअंदाज करने वालोसे,
नजर हम भी नही मिलाते.......!

14 October 2019

4876 - 4880 मोहब्बत क़त्ल निगाह हथियार अदालत ख्वाहिश याद काफ़िर ग़म कोशिश शायरी


4876
मेरा क़त्लकी कोशिश तो,
उनकी निगाहोंने की थी;
पर अदालतने उन्हें,
हथियार माननेसे इनकार कर दिया...!

4877
कोशिश बहुत कि,
ऱाज--मोहब्बत बयाँ ना हो...
पर मुमकिन कहाँ था कि,
आग लगे और धुआँ ना हो...!

4878
ख्वाहिश तो थी मिलनेकी,
पर कभी कोशिश नही की...
सोचा कि जब खुदा माना हैं,
उसको तो बिन देखे ही पूजेंगे...!

4879
के कोशिश ही क्युँ करते हैं,
आप हमें भूल जानेकी...
बस यादोंको कहो कि,
काफ़िर हो जाये.......

4880
तुझे पानेकी कोशिशमें,
कुछ इतना खो चुका हूँ मैं...
कि तू मिल भी अगर जाए तो,
अब मिलनेका ग़म होगा.......

13 October 2019

4871 - 4875 जमाने तजुर्बा बेवक़ूफ़ गम साँसे पल काँटें दुआ जिंदगी साथ शायरी


4871
जमानेके साथ,
जिंदगी चलानी पडी;
इंसानियत तो थी,
मगर छुपानी पडी...

4872
गम मेरे साथ साथ,
बहुत दूरतक गए ।
मुझमे थकन पाई तो,
बेचारे थक गए 
कृष्णबिहारी नूर

4873
कितना भी ज्ञानियोंके साथ बैठ लो...
तजुर्बा तो, बेवक़ूफ़ बननेके बाद ही मिलता हैं...

4874
कैसे ढूंढके लाऊँ,
वापिस उन खूबसूरत पलोंको...
ज़िन्दगी अब साँसे नहीं,
उसका साथ माँग रही हैं...!

4875
चलनेकी कोशिश तो करो,
दिशायें बहुत हैं।
रास्तोपे बिखरे काँटोंसे डरो,
तुम्हारे साथ दुआएँ बहुत हैं।।

12 October 2019

4866 - 4870 बिछड़ अधूरी ज़रूरत आदतें गम लहर किनारे कयामत ज़िन्दगी साथ शायरी


4866
कभी कभी हाथ छुड़ानेकी,
ज़रूरत नहीं होती...
लोग साथ रह कर भी,
बिछड़ जाते हैं.......

4867
कहती हैं मुझे ज़िन्दगी,
कि मैं आदतें बदल लूँ...
बहुत चला मैं लोगोंके पीछे,
अब थोड़ा खुदके साथ चल लूँ...!

4868
चायकी चुस्कीके साथ अक्सर,
कुछ गम भी पीता हूँ...
मिठास कम हैं ज़िन्दगीमें,
मगर जिंदादिलीसे जीता हूँ...!

4869
अभी तो साथ चलना हैं,
समंदरकी लहरोंमें...
किनारेपर ही देखेंगे,
किनारा कौन करता हैं...!

4870
अधूरी पड़ी ज़िन्दगी,
पूरी करते हैं...
कयामत जाने कब आए,
तुम रूको, हम साथ चलते हैं...!

4861 - 4865 परछाईं साँस अक्श खा़मोश आवाज वादे दुआ काफिला मुक़द्दर वक्त साथ शायरी


4861
आज परछाईंसे पुछा,
क्यूँ आती हैं मेरे साथ...
वो भी हँसकर बोली,
दूसरा हैं कौन तेरे साथ...?

4862
साँसके साथ,
अकेला चल रहा था...
जब साँस निकल गई तो,
सब साथ चल रहे हैं.......!

4863
बिखरे हैं अक्श कोई साज़ नहि देता,
खा़मोश हैं सब कोई आवाज नहि देता;
कलके वादे सब करते हैं मगर,
क्यो कोई साथ आज नहि देता ll

4864
मेरे साथ आपकी दुआओका,
काफिला चलता हैं;
मुक़द्दरसे कह दो,
अकेला नही हूँ मैं...!

4865
कभी साथ हैं,
तो कभी खिलाफ हैं...
वक्तका भी,
आदमी जैसा हाल हैं...!

10 October 2019

4856 - 4860 ज़िन्दगी जीवन कोशिश समझ वजह उलझन बात साँसे रिश्ते जन्नत वक्त साथ शायरी


4856
तुमने भी तो कोशिश नहीं की,
मुझे समझनेकी...
वरना वजह कोई नहीं थी,
तेरे और मेरे उलझनेकी...

4857
नींद आती थी जिसे,
तेरे साथ बात करके...
सोच, वो सो कैसे सकेगा,
तेरे रूठ जानेके बाद...

4858
कोई ढूंढ लाओ उसको,
वापस मेरी ज़िन्दगीमें...
ज़िन्दगी अब साँसे नहीं,
उसका साथ मांग रही हैं...!

4859
अपनोकी इनायत कभी खतम हीं होती,
रिश्तोंकी महेक भी कभी कम हीं होती...
जीवनमें साथ हो गर किसी सच्चे रिश्तेका,
तो ये ज़िन्दगी किसी जन्नतसे कम हीं लगती...


4860
वक्त वक्तका फेर हैं,
वक्त वक्तकी बात हैं...
पिछले सावन वो साथ थी,
इस सावन उसकी याद हैं...!

4851 - 4855 जिंदगी दुनिया यादें नक़ाब जहाँ खुशी साथ शायरी


4851
तुम कहो या ना कहो,
मगर मुझे मालूम हैं...
शामके साथ ये यादें,
मेरी तरह तुम्हें भी सताती हैं...!

4852
अब हटा दे नक़ाब अपना,
हमें मुरीद हो जाने दे...
आज सारे जहाँके साथ,
मेरी भी ईद हो जाने दे...!

4853
आज परछाईसे पूछ ही लिया,
क्यों चलती हो मेरे साथ...
उसने भी हँसके कहा,
दूसरा कौन हैं तेरे साथ...?

4854
तुम साथ,
बैठे रहो मेरे, बस...
बाकी दुनियाकी खुशी,
किसे चाहिए.......!

4855
वो दिन जो गुजारे,
तुम्हारे साथ...
काश जिंदगी,
उतनी ही होती...!

8 October 2019

4846 - 4850 इश्क क़त्ल मौत जान जुदाई मोहब्बत बहाना हिज्र वक़्त दुआ ज़िन्दगी शायरी


4846
ज़िन्दगी भी यहाँ,
क़त्ल करती हैं अक्सर;
मौतने जाने कितनोकी,
जान बक्शी है.......!


4847
इश्क तुझसे करता हूँ मैं ज़िन्दगीसे ज्यादा,
मैं डरता नहीं मौतसे तेरी जुदाईसे ज्यादा l
चाहे तो आजमा ले मुझे किसी औरसे ज्यादा,
मेरी ज़िन्दगीमें कुछ नहीं तेरी मोहब्बतसे ज्यादा ll

4848
मेरी ज़िन्दगी तो गुजरी,
तेरे हिज्रके सहारे...
मेरी मौतको भी,
कोई बहाना चाहिए...।

4849
वक़्त चलता रहा,
तकलीफ सिमटती गई...
मौत बढ़ती गई,
ज़िन्दगी घटती गई...!
4850
किसीने खुदासे दुआ मांगी,
दुआमें अपनी मौत मांगी..
खुदाने कहा, मौत तो तुझे दे दु मगर,
उसे क्या हूँ जिसने तेरी ज़िन्दगीकी दुआ मांगी...!
                                                              गुलजार

4841 - 4845 जिंदगी समझ सजदे माशूका नसीब शर्तें कबूल यकीन मौत शायरी



4841
क्या ख़ुशमिजाज़ीसे,
नसीब लिखा हैं मेरा ख़ुदाने...
के मेरी जिंदगी मेरी दीलरुबा हैं,
और मेरी मौत भी होगी मेरी माशूका...!

4842
शर्तें नहीं लगाई जाती,
जिंदगीके साथ...
कबूल हैं मौत भी,
सब खामियोंके साथ...!

4843
तुम ये मत समझना की,
मुझे कोई नहीं चाहता...
तुम छोड़ भी दोगे तो,
मौत खड़ी हैं अपनानेके लिए...!

4844
काश तू मेरे लिये,
मौत होती...
यकीन तो होता,
की तू आयेगी ज़रूर...!

4845
मौत, तू तब आना,
जब मैं सजदेमें रहूँ...
तुझे आनेमें मजा आये,
और मुझे जानेमें.......!

7 October 2019

4836 - 4840 जिंदगी जहर शिकायत आँख बातें निगाह तारीफ अफवाह मौत शायरी


4836
सिर्फ जहर ही,
मौत नहीं देता...
कुछ लोगोंकी बातें ही,
काफी होती हैं...

4837
शिकायत मौतसे हीं,
अपनोंसे हैं साहब...
जरासी आँख क्या लगी,
कब्र खोदने लगे.......

4838
सारी उम्र तो कोई,
जीनेकी वजह नहीं पूछता...
लेकिन मौतवाले दिन,
सब पूछते है कि कैसे मरे...

4839
बातें ना सुन पाते उनकी,
लगती ये जिंदगी बंजर हैं...
निगाहसे ही करदे वो बया,
हाय अल्लाह, मौत भी मंजूर हैं...

4840
मिल जाएँगे हमारी भी,
तारीफ करने वाले...
कोई हमारी मौतकी,
अफवाह तो फैलाओ.......!