15 February 2021

7166 - 7170 दिल अधूरा पशेमान आज़ाद मौके दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7166
दोस्ती भी अब लोग,
अधूरा करते हैं...
दुश्मनोंकी कमी अब तो,
दोस्त पूरा करते हैं......

7167
दुश्मनोंके साथ,
मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं...!
देखना हैं, खींचता हैं मुझपें,
पहला तीर कौन.......!!!
परवीन शाकिर

7168
दुश्मनोंसे पशेमान,
होना पड़ा हैं..
दोस्तोंका ख़ुलूस,
आज़मानेके बाद.......
          ख़ुमार बाराबंकवी

7169
हमसे पूछो ना,
दोस्तीका सिला;
दुश्मनोंका भी,
दिल हिला देगा...ll
सुदर्शन फाकिर

7170
एक भी मौका दो,
जो दोस्त हैं, दुश्मन बनें...
दुश्मनोंको लाख मौके दो,
तुम्हारे हो सकें.......

14 February 2021

7161 - 7165 दिल प्यार उल्फ़त मोहब्बत डर अंदाज़ तबाह इज़हार दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7161
लोग डरते हैं,
दुश्मनीसे तिरी...
हम तिरी दोस्तीसे,
डरते हैं.......!

7162
उसका ये अंदाज़ भी,
दिलको भा गया हैं;
कल तक जो दोस्त था,
आज दुश्मनीपर गया हैं ll

7163
पूछा हैं ग़ैरसे मिरे,
हाल--तबाहको...
इज़हार--दोस्तीभी किया,
दुश्मनीके साथ.......

7164
कभी ख़ुदको मेरे प्यारमें,
भुलाकर देख...
दुश्मनी अच्छी नहीं,
मुझे दोस्त बनाकर देख...!

7165
सच कहते हैं कि,
नाम मोहब्बतका हैं बड़ा l
उल्फ़त जताके दोस्तको,
दुश्मन बना लिया ll
                          जोश लखनवी

13 February 2021

7156 - 7160 दिल प्यार रिश्ता दोस्ती हिसाब दुश्मनी शायरी

 

7156
दुश्मनोंने जो,
दुश्मनी की हैं...
दोस्तोंने भी,
क्या कमी की हैं...!
            हबीब जालिब

7157
लोग कहते हैं कि इतनी दोस्ती मत करो,
कि दोस्त दिलपर सवार हो जाएँ...
मैं कहता हूँ दोस्ती इतनी करो कि,
दुश्मन को भी तुम से प्यार हो जाएँ...!

7158
ये कहकर मुझे,
मेरे दुश्मन हँसता छोड़ गए...!
तेरे दोस्त काफी हैं,
तुझे रुलानेके लिए.......!
                         अहमद फ़राज़

7159
मुझसे दोस्ती ना सही,
तो दुश्मनी भी ना करना...
क्यूंकि मैं हर रिश्ता,
पूरी शिद्दतसे निभाता हूँ...

7160
दोस्तोने दिया हैं,
इतना प्यार यहाँ...
तो दुश्मनीका,
हिसाब क्या रखें...?

12 February 2021

7151 - 7155 रिश्ता गुनाह मुफ्त तकलीफ़ मज़ा साथ क़दम दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7151
दुश्मनी हो जाती हैं,
मुफ्तमें सैंकड़ोंसे...
इंसानका,
बेहतरीन होनाही गुनाह हैं...

7152
दुश्मनी अपनी,
औकात वालोंसे कर...
क्यूंकि खेल बापके,
साथ खेला नहीं जाता...!

7153
दुश्मन और सिगरेटको,
जलानेके बाद;
उन्हे कुचलनेका,
मज़ाही कुछ और होता हैं...!

7154
मै रिश्तोंका,
जला हुआ हूँ...
दुश्मनीभी,
फूँक-फूँककर करता हूँ...

7155
जाती हुई मय्यत देखकेभी,
वल्लाह तुम उठकर सके...
दो चार क़दम तो दुश्मनभी,
तकलीफ़ गवारा करते हैं.......!

11 February 2021

7146 -7150 आँख महफ़िल काफिला खौफ गलियाँ दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7146
शख्सियत अच्छी होगी,
तभी दुश्मन बनेगे...
वरना बुरे लोगोंको,
देखता कौन हैं.......

7147
यूँ तो मैं दुश्मनोंके काफिलोंसेभी,
सर उठाके गुजर जाता हूँ...
बस खौफ तो अपनोंकी गलियोंसे,
गुजरनेमें लगता हैं.......

7148
दुश्मनको कैसे,
खराब कह दूँ...?
जो हर महफ़िलमें,
मेरा नाम लेते हैं.......!

7149
कितने झूठे हो गये हैं,
हम बच्चपनमें;
अपनोंसे भी रोज रुठते थे,
आज दुश्मनोंसे भी,
मुस्कराके मिलते हैं...

7150
हाथमें खंजरही नहीं,
में पानीभी चाहिए...
खुदा दुश्मनभी मुझे,
खानदानी चाहिए.......!

10 February 2021

7141 - 7145 मोहब्बत इज़्ज़त नाम चाहत महफ़िल आईना बर्बाद जवाब दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7141
इतनी चाहतसे  देखा कीजिए,
महफ़िलमें आप.......!
शहर वालोंसे हमारी,
दुश्मनी बढ़ जाएगी.......!!!

7142
हुस्न आईना फ़ाश करता हैं,
ऐसे दुश्मनको संगसार करो ll
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

7143
जिस खतपे ये लगाई,
उसीका मिला जवाब...
इक मोहर मेरे पास हैं,
दुश्मनके नामकी.......!

7144
उसके होनेसे हुई हैं,
अपने होनेकी ख़बर...
कोई दुश्मनसे ज़ियादा,
लाएक़--इज़्ज़त नहीं...
ग़ुलाम हुसैन साजिद

7145
कुछ उखाड़ सकोंगे,
तुम हमसे दुश्मनी करके...
हमें बर्बाद करना चाहते हो तो,
हमसे मोहब्बत कर लो.......!

8 February 2021

7136 - 7140 नाम दीदार धड़कन तड़प दुआ कयामत इश्क़ मोहब्बत ज़माने, दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7136
तड़पते हैं नींदके लिए,
तो यहीं दुआ निकलती हैं...!
बहुत बुरी हैं मोहब्बत,
किसी दुश्मनको भी ना हो...!

7137
तेरी गलियोंमें आने जानेसे,
दुश्मनी हो गयी ज़मानेसे;
सोके दीदार दे रहा हैं,
सज़्जा मिलने आजा किसी बहानेसे ll

7138
इलाही क्यों नहीं उठती कयामत,
माजरा क्या हैं...?
हमारे सामने पहलूमें,
वो दुश्मन बनके बैठे हैं.......!

7139
देखा तो वो शख्स भी,
मेरे दुश्मनोमें था...!
नाम जिसका शामिल मेरी,
धड़कनोंमें था.......!!!

7140
इधर रक़ीब मेरे,
मैं तुझे गले लगा लूँ...
मेरा इश्क़ बे-मज़ा था,
तेरी दुश्मनीसे पहले...!

5 February 2021

7131 - 7135 जीत नाराज़ क़दर मोहब्बत दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7131
दुश्मन इतनी,
आसानीसे कहाँ मिलते हैं...
बहुत लोगोंका,
भला करना पड़ता हैं.......!

7132
नसीब,
जरा एक बात तो बता...
तु सबको आजमाता हैं,
या मुझसे ही दुश्मनी हैं...?

7133
मेरी नाराज़गीपर,
हक़ मेरे अहबाबका हैं, बस...
दुश्मनसे भी कोई,
कभी नाराज़ होता हैं भला...!

7134
वो जो बनके दुश्मन.
हमे जीतनेको निकले थे...
कर लेते अगर मोहब्बत,
तो हम ख़ुदही हार जाते...!

7135
मैं अपने दुश्मनोंका,
किस क़दर मम्नून हूँ, अनवर...
कि उनके शरसे,
क्या क्या ख़ैरके पहलू निकलते हैं ll
                                       अनवर मसूद

4 February 2021

7126 - 7130 दिल याद सजा ख़ाक मजा भूल नजर फ़साना दुनिया दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7126
तअल्लुक़ हैं,
अब तर्क--तअल्लुक़...
ख़ुदा जाने,
ये कैसी दुश्मनी हैं...!

7127
मेरे दुश्मन,
मुझको भूल सके...
वर्ना रखता हैं कौन,
किसको याद.......?
ख़लील-उर-रहमान आज़मी

7128
जो दिलके हैं सच्चे,
उनका दुश्मन पूरा जमाना हैं;
इस रंग बदलती दुनियाका,
यही सच्चा फ़साना हैं ll

7129
ख़ाक मजा हैं जीनेमें,
जब तक आग ना लगे,
दुश्मनके सीनेमें.......

7130
हम दुश्मनको भी,
बड़ी शानदार सजा देते हैं...
हाथ नहीं उठाते बस,
नजरोंसे गिरा देते हैं.......!

3 February 2021

7121 - 7125 सफ़र वक्त रूबरू आँख आँसु खंजर क़दम मुश्किल हमदर्द दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7121
दुश्मनीका सफ़र,
इक क़दम दो क़दम...
तुम भी थक जाओगे,
हम भी थक जाएँगे...

7122
मैं आकर दुश्मनोंमें,
बस गया हूँ l
यहाँ हमदर्द हैं,
दो-चार मेरे...ll
राहत इंदौरी

7123
आँखोंसे आँसुओंके,
दो कतरे क्या निकल पड़े...
मेरे सारे दुश्मन,
एकदम खुशीसे उछल पडे़...

7124
दुश्मनभी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं l
मेरी गलीसे गुजरते हैं छुपाके खंजर,
रूबरू होनेपर सलाम किया करते हैं ll

7125
बिना मकसद,
बहुत मुश्किल हैं जीना...
खुदा आबाद रखना,
दुश्मनोंको​ मेरे.......!

2 February 2021

7116 - 7120 दिल तन्हा रिश्ता ख़त्म जालिम शख़्सियत एहतिराम राहत दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7116
दुश्मनी लाख सही,
ख़त्म न कीजे रिश्ता l
दिल मिले या न मिले,
हाथ मिलाते रहिए ll
                 निदा फ़ाज़ली 

7117
हमनशीं, मुझको नहीं राहतसे,
कोई दुश्मनी मगर;
दिलको क्या कहिए कि,
जालिम खूगर--आलाम हैं...
नादिर उल कादिरी

7118
आज खुला,
दुश्मनके पीछे दुश्मन थे,
और वो लश्कर,
इस लश्करकी ओटमें था...
             ग़ुलाम हुसैन साजिद

7119
उसके दुश्मन हैं बहुत,
आदमी अच्छा होगा...
वो भी मेरी ही तरह,
शहरमें तन्हा होगा.......
निदा फ़ाज़ली

7120
मुख़ालिफ़तसे मिरी,
शख़्सियत सँवरती हैं,
मैं दुश्मनोंका बड़ा,
एहतिराम करता हूँ ll
                     बशीर बद्र

1 February 2021

7111 - 7115 दिल इश्क चाहत जिंदगी करीब मशहूर जमाने मौत दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7111
जो दिलके करीब थे,
वो जबसे दुश्मन हो गए;
जमानेमें हुए चर्चे,
हम मशहूर हो गए.......!

7112
मौतही इंसानकी,
दुश्मन नहीं...
जिंदगीभी,
जान लेकर जाएगी...

7113
दुश्मन हो तो,
इश्क जैसा...!
जो सीधा,
दिलपर वार करता हैं...!!!

7114
अपनोंकी चाहतोंमें,
मिलावट थी इस कदर...
तंग आके दुश्मनोंको,
मनाने चला गया.......!

7115
मोहब्बतकी चादरमें,
लिपटे हुए अफसाने...
दोस्त तो दोस्त,
दुश्मनभी हमारे दीवाने...!

30 January 2021

7106 - 7110 इश्क ज़िंदगी ज़िद गलतियाँ गलियाँ सलाह शीशे सीख समझदारी शायरी

 

7106
ज़िंदगीने बहुत,
समझदार बना रखा हैं...
मुझे आज बस,
ज़िद करनेका मन हैं...!

7107
मैं तुम्हें इसलिए सलाह नहीं दे रहा हूँ कि,
मैं ज्यादा समझदार हूँ l
बल्कि इसलिए दे रहा हूँ कि,
मैने जिन्दगीमें गलतियाँ तुमसे ज्यादा की हैं ll

7108
गुजरे इश्ककी गलियोंसे,
और समझदार हो गए...!
कुछ ग़ालिब बने यहाँ,
तो कुछ गुलजार हो गए...!!!

7109
समझदारोंसे मिलिये,
सीखने मिलेगा l
बेवकूफोंसे मिलिये,
सीख मिलेगी ll

7110
दुश्मनी उसकी हैं,
पत्थरसे दिखानेके लिए...
हो समझदार तो,
शीशेकी तरफ मत जाना...

28 January 2021

7101 - 7102 बात तबाह सफ़र बेरूखी तमीज आँस मीठा सच झूठ शायरी

 

7101
झूठी बातपें,
जो वाह करेंगे...
वहीं लोग आपको,
तबाह करेंगे.......

7102
जब-जब मुझे लगा,
मैं तेरे लिये खास हूँ...
तेरी बेरूखीने ये समझा दिया,
मैं झूठी आँसमें हूँ.......

7103
सचको तमीज नहीं,
बात करनेकी;
झूठको देखो,
कितना मीठा बोलता हैं !

7104
जब तक सच,
जूते पहन रहा होता हैं l
तबतक एक झूठ,
आधी दुनियाका,
सफ़र तय कर सकता हैं ll

7105
झूठ इसलिए,
बिक जाता हैं कि...
सचको खरीदनेकी,
सबकी औकात नहीं होती हैं...

27 January 2021

7096 - 7100 दिल दीवाने उम्मीद धूप साया यकीन आईना चौखट साथ सच झूठ शायरी

 

7096
कुछ कह दो झूठ ही कि,
तवक़्क़ो बंधी रहे...
तोड़ो आसरा,
दिल--उम्मीद-वारका...

7097
चाहे सोनेके चौखटमें जड़ दो,
आईना झूठ बोलता ही नहीं...!!

7098
तुम मेरे साथ हो,
ये सच तो नहीं हैं लेकिन...
मैं अगर झूठ बोलूँ तो,
अकेला हो जाऊँ.......

7099
झूठपर उसके,
भरोसा कर लिया;
धूप इतनी थी कि,
साया कर लिया ll
शारिक़ कैफ़ी

7100
हम समझदार भी इतने हैं कि,
उनका झूठ पकड लेते हैं...!
और उनके दीवाने भी इतने हैं,
फिर भी यकीन कर लेते हैं...!!!