6 March 2022

8326 - 8330 ज़िस्म दिल इश्क़ साथ सुराख़ मुश्किल मोहब्बत नशा क़माल रूह शायरी

 

8326
ज़िस्मक़ी दरारोंसे,
रूह नज़र आने लग़ी...
बहुत अंदरतक़ मुझे,
तोड़ ग़या हैं इश्क़ तेरा...

8327
क़ल देर राततक़,
दो रूहोंने संग़त क़ी थी !
फ़िर उसक़े बाद.
सारी मुश्किलें तमाम थीं !!!

8328
हम अपनी रूह,
तेरे ज़िस्ममें छोड़ आए फ़राज़...
तुझे ग़लेसे लग़ाना तो,
एक़ बहाना था.......

8329
ग़र लिख़ते हम तो,
क़बक़े राख़ हो ग़ए होते...
दिलक़े साथ साथ रूहमें भी,
सुराख़ हो ग़ए होते.......

8330
मोहब्बत थी, या नशा था...
ज़ो भी था क़माल क़ा था...
रूह तक़ उतारते उतारते,
ज़िस्मक़ो खोख़ला क़र ग़या...

8321 - 8325 चेहरे दीवाना ज़हन मुलाक़ात दिल ज़िस्म मुहब्बत बरसात ज़ुदा फ़ितरत रूह शायरी

 

8321
ज़हनमें बस ज़ाएँ,
वो मुलाक़ातें अब क़हाँ...
रूह भिग़ो ज़ाएँ,
वो बरसातें अब क़हाँ...

8322
मेरी फ़ितरत हैं,
रूहमें बसना...!
हमसे क़ैसे क़ोई,
ज़ुदा होग़ा.......!!!

8323
तेरे चेहरेक़े,
हज़ारों चाहनेवाले होगें...
तेरी रूहक़ा तो मैं बस,
अक़ेला ही दीवाना हूँ.......!

8324
मेरे ज़िस्मसे,
मेरी रूह निक़ल ज़ाएग़ी l
पर मेरे दिलसे तुम,
क़भी नहीं निक़ल पाओग़े ll

8325
वो तब भी थी, अब भी हैं,
और हमेशा रहेग़ी l
ये रूहानी मुहब्बत हैं,
क़ोई तालीम नहीं,
ज़ो पूरी हो ज़ाए...ll

4 March 2022

8316 - 8320 तलब खुशबू ज़िस्म अंधेरे उज़ाले नज़र हसरत ख़फ़ा ख़ता रूह शायरी


8316
मेरी रूहक़ी तलब हो तुम,
क़ैसे क़हूँ,
सबसे अलग़ हो तुम...!

8317
मिल ज़ाओ ऐसे ज़ैसे अंधेरेसे,
उज़ालेमें सवेरा हो ज़ाऊँ...
बस ज़ाओ मुझमें रूह बनक़र,
मैं सुनहरा हो ज़ाऊँ.......!!!

8318
ज़िंदगी तेरी हसरतोंसे ख़फ़ा क़ैसे हो,
तुझे भूल ज़ानेक़ी ख़ता क़ैसे हो...
रूह बनक़र समा ग़ए हो हममें,
तो रूह फ़िर ज़िस्मसे ज़ुदा क़ैसे हो...

8319
ज़ाओ तुम्हारी रूहमें उतर ज़ाऊँ,
साथ रहूँ मैं तुम्हारे ना क़िसीक़ो नज़र आऊँ,
चाहक़र भी मुझे छू ना सक़े क़ोई...
तुम क़हो तो यूँ तुम्हारी बाहोंमें बिख़र ज़ाऊँ...

8320
मेरी रूहमें समायी हैं,
तेरी खुशबू...
लोग कहते हैं,
तेरा इत्र लाजवाब हैं...!!!

3 March 2022

8311 - 8315 क़ारवाँ ज़िस्म लिबास ख़ुशबु लम्हा तारीक़ रूह शायरी

 

8311
हर ख़िजाँक़े ग़ुबारमें,
हमने क़ारवाँ--हयात देख़ा हैं,
क़ितने पशमीनापोश ज़िस्मोंमें...
रूह तार तार देख़ा हैं.......!
                               अफ़सर मेंरठी

8312
ज़िस्म तो बहुत सँवार चुक़े,
रूहक़ा सिंग़ार क़ीज़िये...
फ़ूल शाख़से तोड़िए,
ख़ुशबुओंसे प्यार क़ीज़िये...

8313
उम्रभर रेंग़ते रहनेसे तो,
बेहतर हैं...
एक़ लम्हा ज़ो तेरी रूहमें,
वुसअत भर दे.......
                      साहिर लुधियानवी

8314
सोचों तो सिलवटोंसे,
भरी हैं तमाम रूह...
देख़ो तो शिक़न भी,
नहीं हैं लिबासमें.......!

8315
अक़्ल बारीक़ हुई ज़ाती हैं,
रूह तारीक़ हुई ज़ाती हैं...!
                       ज़िग़र मुरादाबादी

8306 - 8310 ज़ान दस्तक़ ख़ामोशी सवाल याद दिल इत्र महक़ रूह शायरी

 

8306
दस्तक़ और आवाज़ तो,
क़ानोंक़े लिए हैं...
ज़ो रूहक़ो सुनायी दे,
उसे ख़ामोशी क़हते हैं...!

8307
हँसते हुए लोग़ोंक़ी संग़त,
इत्रक़ी दुक़ान ज़ैसी होती हैं...
क़ुछ ख़रीदो तो भी,
रूह तो महक़ा हीं देती हैं...

8308
होता अग़र बसमें,
एक़ पलमें बिछड़ ज़ाते तुमसे...
हर रोज़ ज़ानसे रूहक़ा ज़ुदा होना,
अब सहा नहीं ज़ाता.......
                                         भाग्यश्री

8309
मैंने पूछा, क़ैसे ज़ान ज़ाते हो,
मेरे दिलक़ी बातें...
वो बोले, ज़ब रूहमें बसे हो,
फ़िर ये सवाल क़्यूँ.......

8310
इस रूहसे क़ह दो क़ि,
मेंरे दिलमें ना आया क़रे...
इसे देख़ शिद्दतसे क़िसीक़ी,
मुझे याद आती हैं.......

1 March 2022

8301 - 8305 सब्र क़दर मोहब्बत चाहत शक्ल शराब नियत ज़ज़्बात शायरी

 

8301
रुक़ सक़ें क़िसीक़े लिए,
इतना सब्र क़िसे हैं...
नीचे दिख़ाक़र ख़ुद ऊपर उठना हैं,
यहाँ ज़ज़्बातोंक़ी क़दर क़िसे हैं.......

8302
आदमीक़ी शक्लमें,
फ़िरते हैं वीराने यहाँ...
अपने क़ाँधोंपर उठाए,
मय्यतें ज़ज़्बातक़ी.......

8303
क़हाँपर क़्या हारना हैं,
ये ज़ज़्बात ज़िसक़े अंदर हैं...!
चाहें दुनिया फ़क़िर समझे,
फ़िर भी वो हीं सिक़ंदर हैं...!!!

8304
शराब एक़ नाम हैं,
बिक़ने तलक़...
बिक़ ज़ाये ज़ब,
ज़ज़्बात क़हलाती हैं...!

8305
देख़ो ख़ुलूँस-ए-नियत,
ज़ज़्बात और मोहब्बत...
मत चाहतोंक़ो तोलो,
सौग़ातक़े मुताबिक़.......
                  इफ़्तिख़ार राग़िब

8296 - 8300 ग़ैर ख़ता फ़िक्र लफ़्ज़ क़ाफ़िर तूफ़ान मोहब्बत शिद्दत ज़ज़्बात शायरी

 

8296
ज़ो ग़ैरक़े ज़ज़्बातक़ी,
ताज़ीम क़रेग़ा...
वो अपनी ख़ताओंक़ो भी,
तस्लीम क़रेग़ा.......
                 मंज़ु क़छावा अना

8297
फ़क़त लफ़्ज़ोंक़ा तमाशा हैं,
ये ज़हाँ क़ाफ़िर ;
ज़ज़्बात तो ख़ामोशीमें भी,
बयाँ हो ज़ाते हैं ll

8298
हर तरहक़े ज़ज़्बातक़ा,
ऐलान हैं आँखें...!
शबनम क़भी शोला,
क़भी तूफ़ान हैं आँख़ें...!!!
                 साहिर लुधियानवी

8299
ज़ज़्बात ज़ो मेंरे क़भी,
समझ सक़ी हीं नहीं...
मैं क़ह दूँ क़ैसे,
क़ल फ़िक्र होग़ी उसक़ो मेरी...

8300
ऐसा नहीं क़ि उनसे,
मोहब्बत नहीं रहीं...
ज़ज़्बातमें वो पहलीसी,
शिद्दत नहीं रहीं.......
                  ख़ुमार बाराबंक़वी

27 February 2022

8291 - 8295 दिल एहसास इल्ज़ाम मोहोब्बत इश्क़ गुफ़्तुगू फ़िक्र मज़ाक़ ज़ज़्बात शायरी

 

8291
दिल भी, एहसासात भी,
ज़ज़्बात भी...
क़म नहीं हैं हमपे,
इल्ज़ामात भी.......
                      नोमान शौक़

8292
मोहोब्बतक़े मंसूबोंक़ी,
ख़ाक़ बनाक़र...
मुस्कुरा रहा था वो मेरे,
ज़ज़्बातोंक़ा मज़ाक़ बनाक़र...

8293
फ़िक्रक़ा सब्ज़ा मिला,
ज़ज़्बातक़ी क़ाई मिली,
ज़ेहनक़े तालाबपर...
क़्या नक़्श आराई मिली...
                      सलीम बेताब

8294
इश्क़क़ी ग़र्मी--ज़ज़्बात,
क़िसे पेश क़रूँ...?
ये सुलग़ते हुए दिनरात,
क़िसे पेश क़रूँ....?
साहिर लुधियानवी

8295
ऐसे ज़ज़्बातमें,
लहजेक़ो पत्थर क़ीजे...
गुफ़्तुगू मुझसे ज़रा आप,
सँभलक़र क़ीजे.......
                        मोईद रहबर

26 February 2022

8286 - 8290 आँख़े दिल लफ़्ज़ रिश्ता महफ़िल नग़्मात आँसू क़ामियाब ज़ज़्बात शायरी

 

8286
लफ़्ज़ोंमें बटोर लूँ,
सारे ज़ज़्बातक़ो...
यह मुमक़िन नहीं,
रिश्तोंक़े दरमियाँ...

8287
महफ़िलें लुट ग़ईं,
ज़ज़्बातने दम तोड़ दिया l
साज़ ख़ामोश हैं,
नग़्मातने दम तोड़ दिया ll
साग़र सिद्दीक़ी

8288
तुम्हारे भीतर ज़ो हैं अनक़हें,
ज़ज़्बात समझती हूँ...
भले तुम नासमझ समझो,
मग़र हर बात समझती हूँ...!!!

8289
पढ़ेलिख़े लाख़ों निक़ले,
इन दिलक़ी ग़लियोंसे...
मग़र क़ोई इनक़ी दीवारोंपर लिख़े,
ज़ज़्बातोंक़ो पढ़नेमें क़ामियाब ना हुआ...

8290
आँख़ोंसे आँसू नहीं,
ज़ज़्बात बहते ग़ए...
क़ोई समझ ना सक़ेग़ा तुझे,
ग़िरनेसे पहले वो क़हते ग़ए.......

25 February 2022

8281 - 8285 क़िताब दिख़ावा मुहोब्बत दाग़ एहसास लफ़्ज़ बेताब दिल ज़ज़्बात शायरी

 

8281
समझते नहीं या बस दिख़ावा क़रते हो,
या फ़िर तुम भी मेरी तरह,
ज़ज़्बातोंक़ो अपने,
दबाया क़रते हो.......

8282
मुहोब्बत तो सिर्फ लफ़्ज़ हैं,
उसक़ा एहसास तुम हो...!
लफ़्ज़ तो सिर्फ नुमाइश हैं,
ज़ज़्बात तो मेरे तुम हो...!!!

8283
मुझक़ो पढ़ पाना,
हर क़िसीक़े लिये मुमक़िन नहीं l
मैं वो क़िताब हूँ ज़िसमें,
लफ़्ज़ोंक़ी ज़ग़ह ज़ज़्बात लिखे हैं ll

8284
बरपा हैं अज़ब शोरिशें,
ज़ज़्बातक़े पीछे...
बेताब हैं दिल,
शौक़ मुलाक़ातक़े पीछे...
ज़ुनैद हज़ीं लारी

8285
दिलक़े ज़ज़्बात दबाए रख़ना,
दाग़ सीनेक़े छुपाए रख़ना...

24 February 2022

8276 - 8280 हलचल प्यार दिल मोहोब्बत बर्बाद क़लम ज़ज़्बात शायरी

 

8276
सीनेमें ज़ो दब ग़ए हैं,
वो ज़ज़्बात क़्या क़हें...
ख़ुद हीं समझ लिज़िये,
हर बात क़्या क़हें.......

8277
फ़क़त ज़ज़्बातक़ो,
हलचल देना ;
ख़ुशी देना तो,
पल दो पल देना ll
क़ेवल कृष्ण रशी

8278
प्यार महज़ एक़ खेल हैं,
उसक़े लिए,
ज़िसने क़भी क़िसीक़ो,
दिलसे चाहा हीं नहीं हो...!

8279
मिरा क़लम मिरे,
ज़ज़्बात माँग़ने वाले...
मुझे माँग़,
मिरा हाथ माँग़ने वाले...
ज़फ़र गोरख़पुरी

8280
मोहोब्बतमें तेरे,
इतने ज़ज़्बाती हो ग़ए...
तुझे सँवारनेक़े चक्क़रमें,
बर्बाद हीं हो ग़ए.......

23 February 2022

8271 - 8275 रूह ख़्याल अल्फ़ाज़ लफ़्ज़ ख़ामोशी मज़ाक़ ज़ज़्बात शायरी

 

8271
क़ई बार हम ज़ज़्बातोंमें आक़े,
क़ुछ क़ह तो देते हैं...
पर फ़िर ख़्याल आता हैं,
ना क़हते तो अच्छा था.......

8272
वो क़्या समझेग़ा,
ज़ज़्बात मेरे...
ज़िसने क़भी क़िसीक़ो,
रूहमें उतारा हीं हो.......

8273
अल्फ़ाज़ ग़िरा देते हैं,
ज़ज़्बातक़ी क़ीमत...
ज़ज़्बातक़ो लफ़्ज़ोंमें,
ढाला क़रे क़ोई.......

8274
समझने वाले तो,
ख़ामोशी भी समझ लेते हैं...!
समझने वाले ज़ज़्बातक़ा भी,
मज़ाक़ बना देते हैं.......

8275
ज़ज़्बातक़ी रौमें,
बह ग़या हूँ...
क़हना ज़ो था,
वो क़ह ग़या हूँ...
          शक़ील बदायुनी