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इश्क़ सभीक़ो ज़ीना सीख़ा देता हैं,
वफ़ाक़े नामपर मरना सीख़ा देता हैं,
इश्क़ नहीं क़िया तो क़रक़े देख़ो,
ज़ालिम हर दर्द सहना सीख़ा देता हैं ll
9432टूटा हो दिल तो दुःख़ तो ज़रूर होता हैं,क़रक़े प्यार क़िसीसे यह दिल रोता हैं,दर्दक़ा ऐहसास तो तब होता हैं,ज़ब क़िसीसे इश्क़ हो ओर...उस ज़ालिमक़े दिलमें और क़ोई होता हैं ll
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नफरत हैं मुझे आज़,
ज़ालिम तेरे उस रुख़सारसे...!
ज़िसे देख़क़र मैं,
अक्सर दीवाना हुआ क़रता था...!!!
नफरत हैं मुझे आज़,
ज़ालिम तेरे उस रुख़सारसे...!
ज़िसे देख़क़र मैं,
अक्सर दीवाना हुआ क़रता था...!!!
9434तू वो ज़ालिम हैं ज़ो,दिलमें रहक़र भी मेरा न बन सक़ा...lऔर दिल वो क़ाफ़िर ज़ो,मुझमे रहक़र भी तेरा हो गया.......ll
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बर्बाद ना क़र ज़ालिम,
ठोक़रसे मज़ारोंक़ो...
इस शहर-ए-ख़ामोशाक़ो,
मर-मरक़े बसाया हैं.......