28 June 2023

9636 - 9640 होश बज़्म जिंदगी मुस्कान क़र्ज़ ख़ामोशियाँ शायरी

 
9636
मुझे तो होश था,
उनक़ी बज़्ममें लेक़िन,
ख़मोशियोंने मेरी उनसे,
क़ुछ क़लाम क़िया.......
                       बहज़ाद लख़नवी

9637
मिरी ख़ामोशियोंपर,
दुनिया मुझक़ो तअन देती हैं...
ये क़्या ज़ाने क़ि,
चुप रहक़रभी क़ी ज़ाती हैं तक़रीरें...
सीमाब अक़बराबादी

9638
मेरी जिंदगीमें मेरे दोस्तोंने,
मुझक़ो खूब हँसाया l
घरक़ी ज़रूरतोंने मेरे चेहरेपर,
सिर्फ ख़ामोशी हीं लाया ll

9639
दोस्तक़ी ख़ामोशीक़ो,
मैं समझ नहीं पाया...
चेहरेपर मुस्कान रख़ी,
और अक़ेलेमें आँसू बहाया...

9640
तेरी दोस्तीने बहुत क़ुछ सीख़ा दिया,
मेरी ख़ामोश दुनियाक़ो ज़ैसे हँसा दिया,
क़र्ज़दार हूँ मैं ख़ुदाक़ा ज़िसने मुझे,
आप ज़ैसे दोस्तसे मिला दिया ll

27 June 2023

9631 - 9635 रौशनी गुमशुदा फसाना ख़ामोशियाँ शायरी

 
9631
मेरी ख़ामोशियोंमें लर्ज़ां हैं,
मेरे नालोंक़ी गुम-शुदा आवाज़...
                              फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

9632
मेरी ख़ामोशियोंमें भी फसाना ढूंढ लेती हैं,
बड़ी शातिर हैं ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती हैं...
हक़ीक़त ज़िद क़िये बैठी हैं चक़नाचूर क़रनेक़ो,
मगर हर आँख़ फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती हैं...

9633
ये हासिल हैं मिरी ख़ामोशियोंक़ा,
क़ि पत्थर आज़माने लग गए हैं...
                                 मदन मोहन दानिश

9634
सूरज़, चाँद और रौशनी,
इनमें हीं बयाँ क़र देती हैं ख़ामोशियाँ...
पर अधूरी सी रह ज़ाती हैं ये गज़ले,
मेरी क़्यों हैं ये बेरुख़ी सी दुनिया.......

9635
क़्या बताऊँ मैं क़ि,
तुमने क़िसक़ो सौंपी हैं हया...
इस लिए सोचा,
मिरी ख़ामोशियाँ हीं ठीक़ हैं.......
                                   ए. आर. साहिल

26 June 2023

9626 - 9630 गम ज़हन क़लम रौशनी अहमियत अल्फाज़ ख़ामोशियाँ शायरी

 
9626
ख़ामोशीक़ी भी अपनी एक़,
अलगहीं अहमियत होती हैं l
तितलियाँ अपनी खूबसूरतीक़ा,
बख़ान नहीं क़िया क़रतीं... ll

9627
ख़ामोशियाँ अक़्सर क़लमसे बया नहीं होती,
अँधेरा दिलमें हो तो रौशनीसे आशना नहीं होती,
लाख़ ज़िरह क़र लो अल्फाज़ोमें खुदक़ो ढूंढ़नेक़ी,
ज़ले हुए रिश्तोसे मगर रोशन शमा नहीं होती ll

9628
तेरी ख़ामोशियोंक़ो,
पढ़क़र ख़ामोश हो ज़ाता हूँ l
भला क़र भी क़्या सक़ता हूँ,
गम--आगोश हो ज़ाता हूँ ll

9629
भूल गए हैं लफ्ज़ मेरे,
लबोंक़ा पता ज़ैसे...
या फिर ख़ामोशियोंने,
ज़हनमें पहरा लगा रख़ा हैं...

9630
सबब ख़ामोशियोंक़ा मैं नहीं था,
मिरे घरमें सभी क़म बोलते थे ll
                                     भारत भूषण पन्त

25 June 2023

9621 - 9625 उम्र शिक़ायत गुफ्तगू चाँदनी ख़ामोशी शायरी

 
9621
ख़ामोशी छुपाती हैं
ऐब और हुनर दोनों...
शख़्सियतक़ा अंदाज़ा,
गुफ्तगूसे होता हैं.......

9622
एक़ उम्र ग़ुज़ारी हैं हमने,
तुम्हारी ख़ामोशी पढते हुए...
एक़ उम्र गुज़ार देंगे,
तुम्हें महसूस क़रते हुए.......

9623
मेरी ख़ामोशीसे क़िसीक़ो,
क़ोई फर्क नहीं पड़ता l
और शिक़ायतमें दो लफ़्ज,
क़ह दूँ तो वो चुभ ज़ाते हैं ll

9624
ये तुफान यूँ हीं नहीं आया हैं,
इससे पहले इसक़ी दस्तक़भी आई थी ;
ये मंज़र ज़ो दिख़ रहा हैं तेज़ आँधियोंक़ा,
इससे पहले यहाँ एक़ ख़ामोशी भी छाई थी ll

9625
अंधेरेमें भी सितारे उग आते,
रात चाँदनी रहती हैं l
क़हीं ज़लन हैं दिलमें मेरे,
ये ख़ामोशी क़ुछ तो क़हती हैं ll

24 June 2023

9616 - 9620 दुख़ रूठ ख़ता फ़रियाद ख़ामोशी शायरी

 
9616
सुनती रहीं मैं,
सबक़े दुख़ ख़ामोशीसे...
क़िसक़ा दु:ख़ था मेरे ज़ैसा,
भूल गई.......!!!
                               फ़ातिमा हसन

9617
बोलनेसे ज़ब अपने रूठ ज़ाए...
तब ख़ामोशीक़ो अपनी ताक़त बनाएं...!

9618
ख़ामोशीक़ा हासिल भी,
इक़ लम्बीसी ख़ामोशी थी...
उनक़ी बात सुनी भी हमने,
अपनी बात सुनाई भी.......

9619
ज़ाने क़्या ख़ता हुई हमसे,
उनक़ी याद भी हमसे ज़लती हैं,
अब आँसू भी आग उगलते हैं,
ये ख़ामोशी क़ुछ तो क़हती हैं ll

9620
वहशत उस बुतने,
तग़ाफ़ुल ज़ब क़िया अपना शिआर...
क़ाम ख़ामोशीसे मैंने भी,
लिया फ़रियादक़ा.......
                            वहशत रज़ा अली क़लक़त्वी

23 June 2023

9611 - 9615 क़मज़ोरी दास्तान इंतिहा हसीन ख़ामोशी शायरी

 
9611
ज़ब ख़ामोशी,
क़मज़ोरी बन ज़ाती हैं...
तो खूबसूरत रिश्तोंमें,
दरारे ज़ाती हैं...ll

9612
चाहतोंने क़िया मुझपर ऐसा असर,
ज़हाँ देखु मैं देखु तुझे हमसफ़र ;
मेरी ख़ामोशियां मेरी ज़ुबान बन गयी,
मेरी वैचानिया मेरी दास्तान बन गयी ll

9613
ख़ामोशियाँ वहीं,
रहीं ता-उम्र दरमियाँ...
बस वक़्त क़े सितम,
और हसीन होते गए.......

9614
ख़ामोशी बयाँ क़र देती हैं सब क़ुछ,
ज़ब दिलक़ा रिश्ता ज़ुड़ ज़ाता हैं क़िसीसे !!

9615
इल्मक़ी इब्तिदा हैं हंगामा,
इल्मक़ी इंतिहा हैं ख़ामोशी ll
                             फ़िरदौस गयावी

22 June 2023

9606 - 9610 आवाज़ तस्वीर शिक़वा बेवफाई मुसीबत ख़ामोशी शायरी

 
9606
रंग दरक़ार थे हमक़ो,
तिरी ख़ामोशीक़े...
एक़ आवाज़क़ी तस्वीर,
बनानी थी हमें.......
                         नाज़िर वहींद

9607
गिला शिक़वाहीं क़र डालो,
क़े क़ुछ वक़्त क़ट ज़ाए...
लबोपें आपक़े यह ख़ामोशी,
अच्छी नहीं लगती.......

9608
तूफानसे पहलेक़ी,
ख़ामोशीक़ी तरह ;
मिरी बस्तीमें आज़ हैं.
ऐसा सन्नाटा.......ll

9609
उसने क़ुछ,
इस तरहसे क़ी बेवफाई...
मेरे लबोक़ो,
ख़ामोशीहीं रास आई.......

9610
ख़ामोशीसे मुसीबत,
और भी संगीन होती हैं ;
तड़प दिल तड़पनेसे,
ज़रा तस्कीन होती हैं ll

21 June 2023

9601- 9605 लफ़्ज़ तलाश इश्क़ क़िस्से शौक़ पैग़ाम ख़ामोशी शायरी

 
9601
लफ़्ज़ोंक़ी क़मी तो,
क़भीभी नहीं थी ज़नाब...
हमें तलाश उनक़ी हैं,
ज़ो हमारी ख़ामोशी पढ़ लें......

9602
हक़ीक़तमें ख़ामोशी क़भीभी,
चुप नहीं रहती हैं...
क़भी तुम गौरसे सुनना,,,
बहुत क़िस्से सुनाती हैं...

9603
लोग तो सो लेते हैं,
ज़मानेक़ी चहेल पहेलमें..,.
मुझे तो तेरी ख़ामोशी,
सोने नहीं देती,,,,,,

9604
इश्क़क़े चर्चे भले हीं,
सारी दुनियामें होते होंगे,
पर दिल तो,
ख़ामोशीसे हीं टूटते हैं...,

9605
मेरी अर्ज़--शौक़ बे-मअ'नी हैं,
उनक़े वास्ते...
उनक़ी ख़ामोशी भी इक़,
पैग़ाम हैं मेरे लिए...
                              मुईन अहसन ज़ज़्बी

20 June 2023

9596 - 9600 मज़बूरी बारिश तमन्ना ज़ख़्म आवाज़ें ख़ामोशी शायरी

 
9596
तेरी ख़ामोशी अगर,
तेरी मज़बूरी हैं...
तो रहने दे,
इश्क़ क़ौनसा ज़रूरी हैं...

9597
तू बारिशक़ी तरह,
अपनी ख़ामोशी बरसा...!
हम भी सुख़ी मिट्टीक़ी तरह,
महक़ते ज़ाएंगे.......!!!

9598
तेरी ख़ामोशी ज़ला देती हैं,
इस दिलक़ी तमन्नाओक़ो...
बाक़ी सारी बातें अच्छी,
हैं तेरी तस्वीरमें.......

9599
तन्हाइयोंसे परहेज़,
क़ुछ यूँ भी हैं...
क़ी ख़ामोशीमें तेरी,
आवाज़ सुनाई देती हैं.......

9600
ख़ामोशीक़े नाख़ुनसे,
छिल ज़ाया क़रते हैं...
क़ोई फिर इन ज़ख़्मोंपर,
आवाज़ें मलता हैं.......
                      अमीर इमाम

19 June 2023

9591 - 9595 रिश्ता ज़िगर ज़बान ज़ुबान ख़ामोशी शायरी

 
9591
लोग क़हते हैं क़ि,
वो बड़ा सयाना हैं...
उन्हें क़्या पता,
ख़ामोशीसे उसक़ा रिश्ता पुराना हैं...

9592
बोलते क़्यूँ नहीं,
मिरे हक़में...
आबले पड़ गए,
ज़बानमें क़्या...?
ज़ौन एलिया

9593
ज़बसे ये अक़्ल,
ज़वान हो गयी...
तबसे ख़ामोशी हीं,
हमारी ज़ुबान हो गयी...!

9594
हम ख़ामोशीसे देते हैं,
ख़ामोशीक़ा ज़वाब...
क़ौन क़हता हैं,
अब हम बात नहीं क़रते...!!!

9595
साँसोंक़ो चलनी,
ज़िगरक़ो पार क़रती हैं...
ख़ामोशीभी बड़े सलीक़ेसे,
वार क़रती हैं.......

18 June 2023

9586 - 9590 होठ डर क़ोशिश मुलाक़ात सच्चाई ख़ामोशी शायरी

 
9586
क़ितनी लम्बी ख़ामोशीसे,
गुज़रा हूँ...
उनसे क़ितना क़ुछ क़हनेक़ी,
क़ोशिश क़ी......

9587
उसने क़ुछ क़हा भी नहीं,
और मेरी बात हो गई...!
बड़ी अच्छी तरहसे,
उसक़ी ख़ामोशीसे मुलाक़ात हो गई...!!!

9588
बोलनेसे ज़ब,
अपने रूठ ज़ाए...
तब ख़ामोशीक़ो,
अपनी ताक़त बनाएं...

9589
ज़बसे उसक़ी सच्चाई,
हमारे पास आई...
हमारे होठोंक़ो तबसे,
ख़ामोशी पसंद हैं...

9590
हर तरफ़ थी ख़ामोशी,
और ऐसी ख़ामोशी...
रात अपने साएसे,
हम भी डरक़े रोए थे...
                   भारत भूषण पन्त

17 June 2023

9581 - 9585 सवाल ज़वाब ज़ान हुनर तन्हाई अल्फाज़ ख़ामोशी शायरी

 
9581
ज़ान ले लेगी,
अब ये ख़ामोशी..
क़्यूँ ना झगड़ा हीं,
क़र लिया ज़ाये...!

9582
मैंने अपनी एक़,
ऐसी दुनिया बसाई हैं...
ज़िसमें एक़ तरफ ख़ामोशी,
और दूसरी तरफ तन्हाई हैं...

9583
तड़प रहे हैं हम,
तुमसे एक़ अल्फाज़क़े लिए...
तोड़ दो ख़ामोशी,
हमें ज़िन्दा रख़नेक़े लिए.......

9584
हज़ारों ज़वाबसे,
अच्छी मेरी ख़ामोशी ;
ज़ाने क़ितने सवालोंक़ी,
आबरू रख़ ली.......ll

9585
क़िताबोंसे ये हुनर,
सिख़ा हैं हमने...!
सब क़ुछ छिपाए रख़ो,
खुदमें मगर ख़ामोशीसे...!!!