11 September 2020

6466 - 6470 दिल मुसाफिर महक मतलब जिन्दगी दर्द ग़म वफा तूफां तमन्ना शायरी

 

6466
ये जिदंगी तमन्नाओंका,
गुलदस्ता ही तो हैं...!
कुछ महकती हैं कुछ मुरझाती हैं,
और कुछ चुभ जाती हैं.......

6467
हूँ मैं भी,
तमाशाइ-ए-नैरंगे-तमन्ना;
मतलब नहीं कुछ इससे कि,
मतलब बर आये.......
मिर्जा गालिब

6468
हम आज राह--तमन्नामें,
जी को हार आए...
दर्द--ग़मका भरोसा रहा,
दुनियाका.......
              वहीद क़ुरैशी

6469
न मौजें, न तूफां, न माझी, न साहिल...
मगर मनकी नैया बही जा रही हैं,
चला जा रहा हैं, वफाका मुसाफिर,
जिधर भी तमन्ना लिये जा रही हैं...

6470
हर इक दागे-तमन्नाको,
कलेजेसे लगाता हूँ,
कि घर आई हुई दौलतको,
ठुकराया नहीं जाता.......!
                              मख्मूर देहलवी

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