6466
ये जिदंगी तमन्नाओंका,
गुलदस्ता ही तो हैं...!
कुछ महकती हैं कुछ मुरझाती हैं,
और कुछ चुभ जाती हैं.......
6467
हूँ मैं भी,
तमाशाइ-ए-नैरंगे-तमन्ना;
मतलब नहीं कुछ
इससे कि,
मतलब बर आये.......
मिर्जा गालिब
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हम आज राह-ए-तमन्नामें,
जी को हार आए...
न दर्द-ओ-ग़मका भरोसा रहा,
न दुनियाका.......
वहीद क़ुरैशी
6469
न मौजें, न तूफां,
न माझी, न
साहिल...
मगर मनकी नैया
बही जा रही
हैं,
चला जा रहा
हैं, वफाका मुसाफिर,
जिधर भी तमन्ना
लिये जा रही
हैं...
6470
हर इक दागे-तमन्नाको,
कलेजेसे लगाता हूँ,
कि घर आई हुई दौलतको,
ठुकराया नहीं जाता.......!
मख्मूर देहलवी
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