19 September 2020

6506 - 6510 मोहब्बत ऐतिबार शिकवे याद सुबूत मजबूरी चाँद वक्त कफ़न वादा शायरी

 

6506
तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त,
मगर...
तूने वादा किया था,
याद तो कर.......
                   नासिर काज़मी

6507
सुबूत हैं ये मोहब्बतकी,
सादा-लौहीका...
जब उसने वादा किया,
हमने ऐतिबार किया...
जोश मलीहाबादी

6508
तमाम शिकवे भुलाकर,
मुस्करा दूंगा मैं भी...
गर करे वादा तू मिलनेका,
वक्त-ए-कफ़नपर.......

6509
मुझे हैं ऐतिबार-ए-वादा लेकिन,
तुम्हें ख़ुद ऐतिबार आए न आए...
अख़्तर शीरानी

6510
भरोगे एक दिन तुम,
सबकी झोली चाँद तारोंसे...
मुहब्बतमें फ़क़ीरोंसे,
ये वादा क्यों किया तुमने.......?

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