6531
आहटसी कोई आए तो,
लगता हैं कि तुम हो...
साया कोई लहराए तो,
लगता हैं कि तुम हो...!
जाँ निसार अख़्तर
6532
जब ज़रा रात
हुई और,
महओ अंजुम
आए...
बार-हा दिलने,
ये महसूस किया तुम
आए...
असद भोपाली
6533
मैंने दिन रात ख़ुदासे,
ये दुआ माँगी थी...
कोई आहट न हो,
दरपर मिरे जब तू आए...
बशीर बद्र
6534
ख़ामोशीमें
चाहे जितना,
बेगानापन
हो...
लेकिन इक आहट,
जानी-पहचानी होती हैं...!
भारत भूषण पन्त
6535
आहट भी अगर की तो,
तह-ए-ज़ात नहीं की...
लफ़्ज़ोंने कई दिनसे,
कोई बात नहीं की.......
जावेद नासिर
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