18 September 2020

6501 - 6505 खुशी याद ऐतबार मुश्किल नजर यक़ीन धोखा सियासत वादा शायरी

 

6501
तेरे वादेपर जिऐं हम,
तो यह जान छूट जाना...
कि खुशीसे मर जाते,
अगर ऐतबार होता.......
                        मिर्जा गालिब

6502
यक़ीं उनके वादेपें लाना पड़ेगा...
ये धोखा तो दानिस्ता खाना पड़ेगा...
मुनीर भोपाली

6503
नाअहल हैं वह,
अहले-सियासतकी नजरमें...
वादेसे कभी जिसको,
मुकरना नहीं आता.......
                         जोश मल्सियानी

6504
मैं उसके वादेका,
अब भी यक़ीन करता हूँ...
हज़ार बार जिसे,
आज़मा लिया मैंने.......
मख़मूर सईदी

6505
दिन गुज़ारा था,
बड़ी मुश्किलसे...
फिर तिरा वादा--शब,
याद आया.......
                            नासिर काज़मी

No comments:

Post a Comment