6521
तेरे क़दमोंकी आहटको,
ये दिल हैं ढूंढ़ता हरदम...
हर इक आवाज़पर,
इक थरथराहट होती जाती हैं...
मीना कुमारी नाज़
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ये भी रहा
हैं,
कूचा-ए-जानाँमें
अपना रंग...
आहट हुई तो,
चाँद दरीचेमें आ गया...!
अज़हर इनायती
6523
हर लहज़ा उसके,
पांवकी आहटपें कान रख...
दरवाज़ेतक जो आया हैं,
अंदर भी आएगा.......!
सलीम शाहिद
6524
दिलके सूने सेहनमें,
गूँजी आहट किसके
पाँवकी...
धूप-भरे सन्नाटेमें,
आवाज़ सुनी हैं
छाँवकी...!
हम्माद नियाज़ी
6525
पहले तो उसकी यादने,
सोने नहीं दिया...
फिर उसकी आहटोंने,
कहा जागते रहो.......
मंसूर उस्मानी
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