22 September 2020

6521 - 6525 दिल आवाज़ चाँद लहज़ा याद आहट शायरी

 

6521
तेरे क़दमोंकी आहटको,
ये दिल हैं ढूंढ़ता हरदम...
हर इक आवाज़पर,
इक थरथराहट होती जाती हैं...
                         मीना कुमारी नाज़

6522
ये भी रहा हैं,
कूचा-ए-जानाँमें अपना रंग...
आहट हुई तो,
चाँद दरीचेमें आ गया...!
अज़हर इनायती

6523
हर लहज़ा उसके,
पांवकी आहटपें कान रख...
दरवाज़ेतक जो आया हैं,
अंदर भी आएगा.......!
                          सलीम शाहिद

6524
दिलके सूने सेहनमें,
गूँजी आहट किसके पाँवकी...
धूप-भरे सन्नाटेमें,
आवाज़ सुनी हैं छाँवकी...!
हम्माद नियाज़ी

6525
पहले तो उसकी यादने,
सोने नहीं दिया...
फिर उसकी आहटोंने,
कहा जागते रहो.......
                       मंसूर उस्मानी

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