23 September 2020

6526 - 6530 दिल इंतिज़ार साया महसूस बात लफ़्ज़ ख़ामोशी दहलीज़ याद बेगाना आहट शायरी

 

6526
दिलपर दस्तक देने,
कौन निकला हैं...
किसकी आहट सुनता,
हूँ वीरानेमें.......
                          गुलज़ार

6527
आज भी नक़्श हैं दिलपर,
तिरी आहटके निशाँ...
हमने उस राहसे,
औरोंको गुज़रने न दिया...!
अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन

6528
नींद आए तो अचानक,
तिरी आहट सुन लूँ...
जाग उठ्ठूँ तो बदनसे,
तिरी ख़ुश्बू आए.......!
                     शहज़ाद अहमद

6529
आहटें सुन रहा हूँ यादोंकी,
आज भी अपने इंतिज़ारमें गुम...
रसा चुग़ताई

6530
कोई हलचल हैं,
आहट सदा हैं कोई...
दिलकी दहलीज़पें,
चुप-चाप खड़ा हैं कोई...
     ख़ुर्शीद अहमद जामी

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