29 September 2020

6556 - 6560 दिल बेइन्तहा मोहब्बत तस्सली याद ज़िंदा बात क़सम शायरी

 

6556
ये तो बस दिलको,
तस्सली देने वाली बात हैं...
वरना झूठी क़सम खानेसे,
कोई मर नहीं जाता.......!

6557
अगर क़सम खानेसे,
कुछ होता.......
तो सबसे पहेले,
भगवानको कुछ होता...!

6558
सुना था क़सम झूठी हो तो,
लोग मर जाते हैं...
ना जाने कौनसी क़सम निभा रहा हैं वो के,
अब तक ज़िंदा हूँ मैं.......!

6559
अगर क़समें इतनीही,
सच होती;
तो कोई क़समही,
नहीं खाता ll

6560
मेरी क़सम खाया करो,
जब तोड़ना ही हैं...
मुझे जीना हैं अपनोंके लिए,
जो मुझे तुमसे भी,
बेइन्तहा मोहब्बत करते हैं...!

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