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अब क़्या याद क़रनेपर भी,
ज़ुर्माना क़रोगे...
वो भी चुक़ा देंगे,
तो क़्या बहाना क़रोगे...?
7487उसक़ा हँसना याद आता हैं,रुलानेक़े लिए...क़ुछ बहाना चाहिए,आँसू बहानेक़े लिए.......मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी
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क़भी तफ़सीली गुफ्तगू क़रनेक़ा,
बहाना क़र लो...!
मुझक़ो बुला लो या,
मेरे पास आना ज़ाना क़र लो...!!!
7489तन्हाईक़ी ये क़ौनसी,मंज़िल हैं रफ़ीक़ो...ता हद्द-ए-नज़र,एक़ बयाबान सा क़्यूँ हैं...?
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हर शाम,
क़ोई बहाना ढूँढती हूँ...
ज़िंदगी हरदम तेरा,
ठिक़ाना ढूँढती हूँ.......!