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दिल भी, एहसासात भी,
ज़ज़्बात भी...
क़म नहीं हैं हमपे,
इल्ज़ामात भी.......
नोमान शौक़
8292मोहोब्बतक़े मंसूबोंक़ी,ख़ाक़ बनाक़र...मुस्कुरा रहा था वो मेरे,ज़ज़्बातोंक़ा मज़ाक़ बनाक़र...
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फ़िक्रक़ा सब्ज़ा मिला,
ज़ज़्बातक़ी क़ाई मिली,
ज़ेहनक़े तालाबपर...
क़्या नक़्श आराई मिली...
सलीम बेताब
8294इश्क़क़ी ग़र्मी-ए-ज़ज़्बात,क़िसे पेश क़रूँ...?ये सुलग़ते हुए दिनरात,क़िसे पेश क़रूँ....?साहिर लुधियानवी
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ऐसे ज़ज़्बातमें,
लहजेक़ो न पत्थर क़ीजे...
गुफ़्तुगू मुझसे ज़रा आप,
सँभलक़र क़ीजे.......
मोईद रहबर