8556
राहमें ग़म-ज़दा-ए-इश्क़क़ो,
क़्या टोक़ो हो...
अपनी हालतमें गिरफ़्तार,
चला ज़ाता हैं.......
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
8557मायूस हैं एहसाससे,उलझी हुई राहें...पायल दिल-ए-मज़बूरक़ी,छनक़ाक़े ग़ुज़र ज़ा.......साग़र सिद्दीक़ी
8558
मंज़िल-ए-इश्क़क़ी राहें हैं,
बहुत ही दुश्वार...
हर क़दमपर नए आज़ार,
नज़र आते हैं....
जौहर ज़ाहिरी
8559बता तू दिलक़े बचानेक़ी,क़ोई राह भी हैं...तिरी निगाहक़ी,नावक़-फ़ग़न पनाह भी हैं...मिर्ज़ा आसमान ज़ाह अंज़ुम
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तमाम ज़िस्मक़ो,
आँखें बनाक़े राह तक़ो l
तमाम ख़ेल मोहब्बतमें,
इंतिज़ारक़ा हैं.......ll
मुनव्वर राना