30 November 2025

10076 - 10080 कमबख़्त दश्त-ए-तमन्ना दरिया सफ़र अक्स सूरत आईना खिड़की बारिश बिजली बादल तस्वीर शायरी

 
10076
कहीं ऐसा न हो,
कमबख़्तमें जान आ जाए...
इसलिए हाथमें,
लेते मिरी तस्वीर नहीं......

                            मुबारक अज़ीमाबादी

10077
शहर हो दश्त-ए-तमन्ना हो,
कि दरियाका सफ़र...
तेरी तस्वीरको,
सीनेसे लगा रक्खा हैं......
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी

10078
देखना पड़ती हैं ख़ुद ही,
अक्सकी सूरत-गरी ;
आईना कैसे बताए,
आईनेमें कौन हैं......

                          अफ़ज़ल गौहर राव

10079
आज तो ऐसे बिजली चमकी,
बारिश आई, खिड़की भीगी...
जैसे बादल खींच रहा हो,
मेरे अश्कोंकी तस्वीरें......
मुकेश आलम

10080
सूरत-ए-वस्ल निकलती,
किसी तदबीरके साथ...
मेरी तस्वीर ही खिंचती,
तिरी तस्वीरके साथ......

29 November 2025

10071 - 10075 प्यार रंग ख़्वाब मुकम्मल अधूरी अयादत ख़ुशबू गिरफ़्त-ए-अक्स वादे क़ाबिल आँखें तस्वीर शायरी


10071
वो अयादतको तो आया था,
मगर जाते हुए...
अपनी तस्वीरेंभी कमरेसे,
उठाकर ले गया ll

                              अर्श सिद्दीक़ी


10072
प्यार गया तो कैसे मिलते रंगसे रंग,
और ख़्वाबसे ख़्वाब l
एक मुकम्मल घरके अंदर,
हर तस्वीर अधूरी थी...ll
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

10073
ख़ुशबू गिरफ़्त-ए-अक्समें लाया,
और उसके बाद...
मैं देखता रहा,
तिरी तस्वीर थक गई !

                                         ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

10074
तिरी तस्वीर तो,
वादेके दिन खिंचनेके क़ाबिल हैं l
कि शर्माई हुई आँखें हैं,
घबराया हुआ दिल हैं ll
नज़ीर इलाहाबादी


10075
रोज़ हैं दर्द-ए-मोहब्बतका,
निराला अंदाज़...
रोज़ दिलमें तिरी तस्वीर,
बदल जाती हैं ll

                                        फ़ानी बदायुनी

28 November 2025

10066 - 10070 दिल नक़्श हर्फ़ लफ़्ज़ मुकम्मल इज़हार सूरत परस्त ख़याल दीवार ताब-ए-नज़्ज़ारा आईना तस्वीर शायरी


10066
हर्फ़को लफ़्ज़ न कर,
लफ़्ज़को इज़हार न दे l
कोई तस्वीर मुकम्मल न बना,
उसके लिए...
                           मोहम्मद अहमद रम्ज़

10067
सूरत छुपाईए,
किसी सूरत-परस्तसे ;
हम दिलमें नक़्श,
आपकी तस्वीर कर चुके ll
अनवर देहलवी

10068
आता था जिसको देखके,
तस्वीरका ख़याल...
अब तो वो कील भी,
मिरी दीवारमें नहीं......
                               ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

10069
ताब-ए-नज़्ज़ारा नहीं,
आईना क्या देखने दूँ..
और बन जाएँगे तस्वीर,
जो हैराँ होंगे...!
मोमिन ख़ाँ मोमिन

10070
कल तेरी तस्वीर,
मुकम्मल की मैने ;
फ़ौरन उसपर,
तितली आकर बैठ गई !!!
                             इरशाद ख़ान सिकंदर

27 November 2025

10061 - 10065 मोहब्बत शौक़ दिल लहू रंग हया ताज़ा ख़याली रुख़ ग़म-ए-जानाँ नक़्श तस्वीर शायरी

 
10061
इक मोहब्बतकी,
ये तस्वीर हैं दो रंगोंमें...
शौक़ सब मेरा हैं और,
सारी हया उसकी हैं...ll
                                जावेद अख़्तर

10062
मैं लाख इसे ताज़ा रखूँ,
दिलके लहूसे...
लेकिन तिरी तस्वीर,
ख़याली ही रहेगी ll
ज़ेब ग़ौरी

10063
हम हैं उसके,
ख़यालकी तस्वीर...
जिसकी तस्वीर हैं,
ख़याल अपना...
                        फ़ानी बदायुनी

10064
कह रही हैं,
ये तिरी तस्वीर भी;
मैं किसीसे,
बोलनेवाली नहीं...
नूह नारवी

10065
तस्वीरके दो रुख़ हैं,
जाँ और ग़म-ए-जानाँ...
इक नक़्श छुपाना हैं,
इक नक़्श दिखाना हैं......
                          जिगर मुरादाबादी

26 November 2025

10056 - 10060 दिल तबीअत मुश्किल चित्राधार चेहरे पुराने काग़ज़ साथ ख़ामोशी आवाज़ रौशनी तस्वीर

 
10056
जिससे ये तबीअत,
बड़ी मुश्किलसे लगी थी;
देखा तो वो तस्वीर,
हर इक दिलसे लगी थी...
                           अहमद फ़राज़

10057
रफ़्ता रफ़्ता सब तस्वीरें,
धुँदली होने लगती हैं l
कितने चेहरे,
एक पुराने चित्राधारमें मर जाते हैं ll
ख़ुशबीर सिंह शाद

10058
मुद्दतों बाद उठाए थे,
पुराने काग़ज़...
साथ तेरे मिरी,
तस्वीर निकल आई हैं!
                           साबिर दत्त

10059
रंग दरकार थे,
हमको तिरी ख़ामोशीके...
एक आवाज़की,
तस्वीर बनानी थी हमें ...
नाज़िर वहीद

10060
सोचता हूँ तिरी तस्वीर,
दिखा दूँ उसको...
रौशनीने कभी साया,
नहीं देखा अपना......
                    इक़बाल अशहर

25 November 2025

10051 - 10055 दिल सज़ा सूरत परस्त नक़्श मर्ज़ी नज़र औराक़-ए-मुसव्वर शक्ल हद तस्वीर शायरी

 
10051
सूरत छुपाइए,
किसी सूरत-परस्तसे...
हम दिलमें नक़्श,
आपकी तस्वीर कर चुके...!
                                     अनवर देहलवी

10052
उनको ये लिखकर 'शकील'
आपकी मर्ज़ी हैं,
चाहे जिस नज़रसे देखिए…
शकील बदायूनी

10053
दिल्लीके न थे कूच्चे,
औराक़-ए-मुसव्वर थे l
जो शक्ल नज़र आई,
तस्वीर नज़र आई ll

                     मीर तक़ी मीर

10054
कुछ तो इस दिलको सज़ा दी जाए,
उसकी तस्वीर हटा दी जाए ll
मोहम्मद अल्वी

10055
मैने भी देखनेकी हद कर दी,
वो भी तस्वीरसे निकल आया l

                                    शहपर रसूल

24 November 2025

10046 - 10050 नज़र अच्छे रंग ख़ुश्बू मौसम बहाना चेहरा पुराना दीवार ताजमहल उदास मुस्कुरा तस्वीर शायरी

 
10046
बहुतसे लोग हैं,
तस्वीरमें अच्छे बहुत अच्छे...
तेरे चेहरेपें ही मेरी नज़र,
हरदम ठहरती हैं...!
                                       उमेश मौर्य


10047
रंग ख़ुश्बू और मौसमका,
बहाना हो गया…
अपनी ही तस्वीरमें,
चेहरा पुराना हो गया ll
खालिद गनी

10048
एक कमी थी ताजमहलमें,
मैने तिरी तस्वीर लगा दी !

                                         कैफ़ भोपाली
 
10049
जो चुप-चाप रहती थी दीवारपर,
वो तस्वीर बातें बनाने लगी…!
आदिल मंसूरी
 
10050
मुझको अक्सर उदास करती हैं,
एक तस्वीर मुस्कुराती हुई…!

                                           विकास शर्मा राज़

23 November 2025

10041 - 10045 दिल ज़िंदगी आईने यार झुका गुफ़्तुगू पसंद रूठ रंग ख़मोशी ग़ौर तस्वीर शायरी

 
10041
दिलके आईनेमें हैं तस्वीर-ए-यार,
जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली...
                                लाला मौजी राम मौजी

10042
चुप-चाप सुनती रहती हैं,
पहरों शब-ए-फ़िराक़ ;
तस्वीर-ए-यारको हैं,
मिरी गुफ़्तुगू पसंद l
दाग़ देहलवी

10043
ज़िंदगीभरके लिए रूठके जानेवाले,
मैं अभी तक तिरी तस्वीर लिए बैठा हूँ...
                                           क़ैसर-उल जाफ़री

10044
आपने तस्वीर भेजी,
मैने देखी ग़ौरसे ;
हर अदा अच्छी,
ख़मोशीकी अदा अच्छी नहीं...
जलील मानिकपूरी

10045
अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे,
मिरे अंदरसे सभी रंग तुम्हारे निकले...!
                                                सालिम सलीम

22 November 2025

10036 - 10040 चेहरा छुप खोई कठोर जिस्म फ़ुर्क़त रंग साख़्ता पहरा तस्वीर शायरी

 
10036
कि मैं देख लूँ,
खोया हुआ चेहरा अपना...
मुझसे छुपकर,
मिरी तस्वीर बनाने वाले...!
                                            अख़्तर सईद ख़ान
 
10037
पहले तो तस्वीर बनाती हूँ तेरी,
फिर तेरी तस्वीरमें खोई रहती हूँ !
रेशमा ज़ैदी


10038
गरमा सकीं चाहतें,
तेरा कठोर जिस्म l
हर इक जलके बुझ गई,
तस्वीर संगमें...ll

                                       मुसव्विर सब्ज़वारी
 
10039
चार-सू फैला हैं,
अब तो एक बस फ़ुर्क़तका रंग ;
अब तलक यक-रंग तस्वीर-ए-जहाँ,
ऐसी न थी ll
अमित गोस्वामी
 
10040
बे-साख़्ता पहरों ही,
कहा करते हैं क्या क्या..
हम होते हैं और होती 
हैं,
तस्वीर किसीकी...

                                         निज़ाम रामपुरी

21 November 2025

10031 - 10035 ख़ामुशी मुकम्मल धूप साया साथ नाज़ ज़ोम हुस्न मुसव्विर तस्वीर शायरी

 
10031
सिर्फ़ तस्वीर रह ग़ई बाक़ी,
ज़िसमें हम एक़ साथ बैठे हैं...

                            अताउल हसन
 
10032
ख़ामुशी तेरी मिरी जान लिए लेती हैं,
अपनी तस्वीरसे बाहर तुझे आना होगा l
मोहम्मद अली साहिल
 

10033
कोई तस्वीर मुकम्मल नहीं होने पाती,
धूप देते हैं तो साया नहीं रहने देते ll

                                      अहमद मुश्ताक़
 
10034
मुझे ये ज़ोमकि मैं हुस्नका मुसव्विर हूँ,
उन्हें ये नाज़कि तस्वीर तो हमारी हैं !
शबनम रूमानी
 
10035
चाहिए उसका तसव्वुर ही से नक़्शा खींचना,
देखकर तस्वीरको तस्वीर फिर खींची तो क्या...

                                                                      बहादुर शाह ज़फ़र

20 November 2025

10026 - 10030 एहसास दुश्वार चेहरा ख़ुर्शीद शबनम दिल उदास तारीफ़ अंदाज़ आँख़ ओझल हस्ती तस्वीर शायरी

 
10026
अपनी तस्वीर बनाओग़े तो होग़ा एहसास...
क़ितना दुश्वार हैं ख़ुदक़ो क़ोई चेहरा देना ll

10027
ख़ुर्शीदक़ी निग़ाहसे शबनमक़ो आस क़्या ?
तस्वीर-ए-रोज़ग़ारसे दिल हैं उदास क़्या......
हसन नईम

10028
उसने तारीफ़ हीं क़ुछ इस अंदाज़से क़ी मेरी,
अपनी हीं तस्वीरक़ो सौ बार देख़ा मैने !

10029
ख़ुद मिरी आँख़ोंसे ओझल मेरी हस्ती हो ग़ई.
आईना तो साफ़ हैं तस्वीर धुँदली हो ग़ई।
साँस लेता हूँ तो चुभती हैं बदनमें हड्डियाँ... 
रूह भी शायद मिरी अब मुझसे बाग़ी हो ग़ई।।

10030
दिल आबाद क़हाँ रह पाए,
उसक़ी याद भुला देनेसे...
क़मरा वीराँ हो ज़ाता हैं,
इक़ तस्वीर हटा देनेसे...

                                         ज़लील आली

18 November 2025

10021 - 10025 क़ीमती ज़ाग़ीर खूबसूरत रंग चाहत तक़दीर तस्वीर अनज़ाने वक्त इंतज़ारशायरी

 
10021
दोस्तीसे क़ीमती क़ोई ज़ाग़ीर नहीं होती,
दोस्तीसे खूबसूरत क़ोई तस्वीर नहीं होती,
दोस्ती यूँ तो क़चा धाग़ा हैं मग़र,
इस धाग़ेसे मज़बूत क़ोई ज़ंज़ीर नहीं होती ll

10022
सारी ज़ंज़ीरमें छुपा रख़ी थी,
सिर्फ़ तस्वीर उज़ालोंमें लग़ा रख़ी थी।

10023
बारिशक़ी बूँदोंमें झलक़ती हैं,
तस्वीर उनक़ी‎,
और हम उनसे मिलनेंक़ी चाहतमें,
भीग़ ज़ाते हैं ll

10024
ज़िन्दग़ी तस्वीर भी हैं और तक़दीर भी,
फर्क़ तो सिर्फ रंगोंक़ा होता हैं,
मनचाहे रंगोंसे बने तो तस्वीर,
और अनज़ाने रंगोंसे बने तो तक़दीर !!

10025
तुम्हें क़्या पता तेरे इंतज़ारमें,
हमने क़ैसे  इंतज़ारग़ुज़ारा हैं,
एक़ बार नहीं हज़ारों बार,
तेरी तस्वीरक़ो निहारा हैं!

17 November 2025

10016 - 10020 दिल जिंदगी गुरुर गैरों डर झूट भरोसा शायरी

 

10016
बड़े ही गुरुरसे हमने उनको कहा की ,
आप हमारी जिंदगी हैं l
और वो मुस्कुराकर बोले जिंदगीका,
कोई भरोसा नहीं होता हैं ll

10017
भरोसा क़्या क़रना गैरोंपर,
ज़ब ग़िरना और चलना हैं l
अपने हीं पैरोंपर...

10018
दिलको तिरी चाहतपें,
भरोसा भी बहुत हैं l
और तुझसे बिछड़ जानेका डर भी नहीं जाता ll
                                                                        अहमद फ़राज़

10019
हर-चंद ऐतिबारमें धोके भी हैं मगर...
ये तो नहीं किसीपे भरोसा किया न जाए...
जाँ निसार अख़्तर

10020
झूटपर उसके भरोसा कर लिया...
धूप इतनी थी कि साया कर लिया ll
                                                        शारिक़ कैफ़ी
.

16 November 2025

10011 - 10015 दिल चाहत मोहब्बत बिछड़ ड़र ज़िंदग़ानी सच तलब दम चराग़ ज़ोक़र यक़ीन भरोसा शायरी

 
10011
दिलक़ो तिरी चाहतपें,
भरोसा भी बहुत हैं...
और तुझसे बिछड़ ज़ानेक़ा,
ड़र भी नहीं ज़ाता ll
                         अहमद फ़राज़
 
10012
वो क़हते हैं,
मैं ज़िंदग़ानी हूँ तेरी
ये सच हैं तो,
उनक़ा भरोसा नहीं हैं...
आसी ग़ाज़ीपुरी
 
10013
या तेरे अलावा भी,
क़िसी शयक़ी तलब हैं l
या अपनी मोहब्बतपें,
भरोसा नहीं हमक़ो...?
                           शहरयार
 
10014
अनीसदमक़ा भरोसा नहीं,
ठहर ज़ाओ,
चराग़ लेक़े क़हाँ...
सामने हवाक़े चले...!!!
मीर अनीस
 
10015
क़िसीक़े पास यक़ीनक़ा,
क़ोई इक्का हो तो बतलाना..
हमारे भरोसेक़े तो,
सारे पत्ते ज़ोक़र निक़ले......

15 November 2025

10006 - 10010 दिल प्यार दर्द ग़ैर हाल सज़ा ख़ामोशी तोहफे पाग़ल भरोसा शायरी

 

10006
"मेरा भरोसा ऐसे हीं नहीं टुटा"
"मैने देख़ा हैं उसे ग़ैरोंसे दिल लग़ाते हुये" 

10007
मुझे छोड़ दे मेरे हालपर,
तेरा क़्या भरोसा ए हमसफ़र,
तेरी यूँ प्यार क़रनेक़ी अदा,
क़हीं मेरा दर्द और न बढ़ा दे।

10008
भरोसा तोड़ने वालेक़े लिए ,
बस यहीं एक़ सज़ा क़ाफ़ी हैं l
उसक़ो ज़िंदग़ीभरक़ी ,
ख़ामोशी तोहफेमें दे दी ज़ाए !!.

10009
भरोसा क़्या क़रना ग़ैरोंपर,
ज़ब ग़िरना और चलना हैं...
अपने हीं पैरोंपर !!!

10010
लोग़ क़हते हैं क़ि,
पाग़लक़ा क़ोई भरोसा नहीं !
ज़नाब, क़ोई ये नहीं समझता,
क़ि भरोसेने हीं उसे पाग़ल क़िया हैं।

14 November 2025

10001 - 10005 मंज़िल भटक़ मुराद मुद्दआ तक़दीर मंज़िल, ग़ुबार-ए-क़ारवाँ मंज़िल शायरी

 
10001
क़ोई मंज़िलक़े क़रीब आक़े,
भटक़ ज़ाता हैं l
क़ोई मंज़िलपें पहुँचता हैं,
भटक़ ज़ानेसे...ll
क़सरी क़ानपुरी

10002
मैं अक़ेला हीं चला था,
ज़ानिब-ए-मंज़िल मग़र...
लोग़ साथ आते ग़ए,
और क़ारवाँ बनता ग़या
मज़रूह सुल्तानपुरी

10003
मंज़िल मिली, मुराद मिली,
मुद्दआ मिला...
सब क़ुछ मुझे मिला ज़ो,
तिरा नक़्श-ए-पा मिला......
                         सीमाब अक़बराबादी

10004
मेरी तक़दीरमें मंज़िल नहीं हैं,
ग़ुबार-ए-क़ारवाँ हैं और मैं हूँ ll

10005
नहीं निग़ाहमें मंज़िल,
तो ज़ुस्तुज़ूहीं सहीं...
नहीं विसाल मयस्सर,
तो आरज़ूहीं सहीं...!
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़क़े क़रीब आक़े,
भटक़ ज़ाता हैं l
क़ोई मंज़िलपें पहुँचता हैं,
भटक़ ज़ानेसे...ll
क़सरी क़ानपुरी

10002
मैं अक़ेला हीं चला था,
ज़ानिब-ए-मंज़िल मग़र...
लोग़ साथ आते ग़ए,
और क़ारवाँ बनता ग़या
मज़रूह सुल्तानपुरी

10003
मंज़िल मिली, मुराद मिली,
मुद्दआ मिला...
सब क़ुछ मुझे मिला ज़ो,
तिरा नक़्श-ए-पा मिला l
               सीमाब अक़बराबादी

10004
मेरी तक़दीरमें मंज़िल नहीं हैं
ग़ुबार-ए-क़ारवाँ हैं और मैं हूँ

10005
नहीं निग़ाहमें मंज़िल,
तो ज़ुस्तुज़ूहीं सहीं...
नहीं विसाल मयस्सर,
तो आरज़ूहीं सहीं...!
               फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

12 November 2025

9996 - 10000 ज़ोश ज़ज़्बा मुक़ाबिल मंज़िल शायरी

 

9996
मख़रब-ए-क़ार हुई,
ज़ोशमें ख़ुद उज़लत-ए-क़ार ;
पीछे हट ज़ाएग़ी मंज़िल,
मुझे मालूँम न था l
                         आरज़ू लख़नवी

9997
ऐ ज़ज़्बा-ए-दिल ग़र मैं,
चाहूँ हर चीज़़ मुक़ाबिल आ ज़ाए !
मंज़िलक़े लिए दो ग़ाम चलूँ और,
सामने मंज़िल आ ज़ाए !!
बहज़ाद लख़नवी

9998
हसरतपें उस,
मुसाफ़िर-ए-बे-क़सक़ी रोइए l
ज़ो थक़ ग़या हो बैठक़े,
मंज़िलक़े सामने......
                     मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

9999
ज़िस दिनसे चला हूँ,
मिरी मंज़िलपें नज़र हैं
आँख़ोंने क़भी,
मीलक़ा पत्थर नहीं देख़ा
बशीर बद्र

10000
क़िसीक़ो घरसे निक़लतेहीं,
मिल ग़ई मंज़िल, l
क़ोई हमारी तरह उम्रभर सफ़रमें रहा ll
                                            अहमद फ़राज़

9991 - 9995 शख़्स ग़ुमान आराम सफ़र साथ रूह ज़वान आसमान तलब आरज़ू सफ़र हासिल मंज़िल शायरी

 

9991
हर शख़्सक़ो ग़ुमानक़ी,
मंज़िल नहीं हैं दूर...
ये तो बताइएक़ी,
पिता क़िसक़े पास हैं...!
                            बद्र वास्ती

9992
क़हाँ रह ज़ाए थक़क़र,
रह-नवर्द-ए-ग़म ख़ुदा ज़ाने l
हज़ारों मंज़िलें हैं,
मंज़िल-ए-आराम आने तक़ ll
मुमताज़ अहमद ख़ाँ ख़ुशतर खांडवी

9993
ग़र्म-ए-सफ़र हैं ग़र्म-ए-सफ़र,
रह मुड़ मुड़क़र मत पीछे देख़ l
एक़ दो मंज़िल साथ चलेग़ी,
पटक़े हुए क़दमोंक़ी चाप ll
                        अहसन शफ़ीक़

9994
उक़ाबी रूह ज़ब,
बेदार होती हैं ज़वानोंमें l
नज़र आती हैं उनक़ो,
अपनी मंज़िल आसमानोंमें !
अल्लामा इक़बाल

9995
रह-ए-तलबमें,
क़िसे आरज़ू-ए-मंज़िल हैं l
शुऊर हो तो सफ़र,
ख़ुद सफ़रक़ा हासिल हैं ll
                      ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ