10076
कहीं ऐसा न हो,
कमबख़्तमें जान आ जाए...
इसलिए हाथमें,
लेते मिरी तस्वीर नहीं......
मुबारक अज़ीमाबादी
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शहर
हो दश्त-ए-तमन्ना हो,
कि
दरियाका सफ़र...
तेरी
तस्वीरको,
सीनेसे
लगा रक्खा हैं......
अज़ीज़ुर्रहमान
शहीद फ़तेहपुरी
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देखना पड़ती हैं ख़ुद ही,
अक्सकी सूरत-गरी ;
आईना कैसे बताए,
आईनेमें कौन हैं......
अफ़ज़ल गौहर राव
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आज
तो ऐसे बिजली चमकी,
बारिश
आई, खिड़की भीगी...
जैसे
बादल खींच रहा हो,
मेरे
अश्कोंकी तस्वीरें......
मुकेश
आलम
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सूरत-ए-वस्ल निकलती,
किसी तदबीरके साथ...
मेरी तस्वीर ही खिंचती,
तिरी तस्वीरके साथ......