19 June 2017

1416 - 1420


1416
सिलसिला खत्म क्यों करना,
जारी रहने दो,
इश्क़ में बाक़ी थोड़ी बहुत,
उधारी रहने दो...

1417
आज भी प्यारी है,
मुझे तेरी हर निशानी ...
फिर चाहे वो दिल का दर्द हो,
या आँखो का पानी...!

1418
आँखों में दोस्तो जो पानी है,
हुस्न वालों की ये मेहरबानी है,
आप क्यों सर झुकाए बैठे हैं,
क्या आपकी भी यही कहानी है ...?

1419
सोचा ना था,
वो शख्स भी इतना जल्दी साथ छोङ जाएगा.......!
जो मुझे उदास देखकर कहता था
"मैँ हू ना".....!!

1420
मुद्दतों बाद जब उनसे बात हुई
तो मैंने कहा...
कुछ झूठ ही बोल दो...

और वो हँस के बोले,
तुम्हारी "याद" बहुत आती है.......

18 June 2017

1411 -1415


1411
अपनों के बीच अपना तुम मुकाम ढुँढते हो ,
फिर शहर की भीड में क्यों इंसान ढुँढते हो .

खुदगर्जी की हद तो अाप अपनी देखिए ,
हाथों में सर लिए हरदम परेशान घुमते हो.

जमीर का फरेब कहें या कहें नसीब तेरा ,
जब भी चुमते हो बस खिंजा ही चुमते हो.

निदामत नहीं दिखती कभी चेहरे पे तेरे ,
तभी मक्तल में तुम सुब्हो-शाम घुमते हो .

फायक हैं वे जिन्होने गरीबों का प्यार देखा,
तुम जो हो के दौलत में भगवान ढुँढते हो .

1412
आंखों में आ जाते हैं आंसू,
फिर भी लबों पे हंसी
रखनी पड़ती है।
ये मुहब्बत भी
क्या चीज है यारों?
जिस से करते हैं
उसी से छुपानी पड़ती है।

1413
ख़ुशी कहा हम तो
"गम" चाहते है,

ख़ुशी उन्हे दे दो
जिन्हें "हम" चाहते हे.
जबरदस्ती मत मॉँगना साथ कभी ज़िन्दगी में किसी का,

कोई ख़ुशी से खुद चलकर आये
उसकी 'ख़ुशी' ही कुछ और होती है...

1414
मैंने पूछ लिया-
क्यों इतना दर्द दिया कमबख़्त तूने ?
वो हँसी और बोली-
"मैं ज़िंदगी हूँ !
पगले तुझे जीना सिखा रही थी !!

1415
इस दुनिया मे कोई किसी का
हमदर्द नहीं होता,
लाश को बाजु में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।😔

"और कितना वक़्त लगेगा . . ."

1406 - 1410


1406
वो रोज़ देखता है
डूबते सूरज को इस तरह,
काश मैं भी किसी
शाम का मंज़र होता ।

1407
कभी मुझ को साथ लेकर,
कभी मेरे साथ चल के,
वो बदल गए अचानक,
मेरी ज़िन्दगी बदल के।

1408
बहुत अंदर तक,
तबाही मचा देता है ।
वो आँसू जो,
आँख से बह नही पाता.......

1409
गर्मी तो बोहत बढ़ रही है।
फिर भी उनका दिल
पिघल ने का नाम ही
नहीं ले रहा.......

1410
युं तो गलत नही होते
अंदाज चहेरों के;
लेकिन लोग...
वैसे भी नहीं होते,

जैसे नजर आते है...!

16 June 2017

1401 - 1405


1401
गालिब ने भी क्या खूब लिखा है...
दोस्तों के साथ जी लेने का एक मौका दे दे ऐ खुदा...
तेरे साथ तो मरने के बाद भी रह लेंगें ।

1402
बिछड़ते वही है जो साथ चलते है....
वर्ना आगे-पीछे तो हजारो होते है !!

1403
मेरे दोस्त ...
फुर्सत मिले तो उन दीवानों
का हाल भी पूछ लिया करो,
जिन के सीने में दिल की जगह
तुम धड़कते हों ...

1404
माना की मोहब्बत का हम
इजहार नहीं करते.....!
इसका मतलब ये तो नहीं,
की हम प्यार नहीं करते......!!

1405
काश तू भी बन जाए तेरी यादों कि तरह,

न वक़्त देखे, न बहाना, बस चली आये ।।

15 June 2017

1400


अपने सायें से भी ज्यादा
यकीं मुझे तुझ पर है,
मेरे मालिक ..
क्युकीं अंधेरों में तू मिल जायेगा पर

साया नहीं मिलेगा...

1399


ऐ सांवरी सुन ना....

एक आरज़ू सी दिलमे,
अक्सर छुपाये फिरता हूँ …
प्यार करता हूँ तुझसे,
पर कहने से डरता हूँ …
नाराज़ ना हो जाओ
कहीं मेरी गुस्ताखी से तुम …
इसलिए खामोश रह कर भी,
तेरी धड़कन को सुना करता हूँ ...

1398


शाम-ए-महेफिल!
चलो कुछ पुराने दोस्तों के,
दरवाज़े खटखटाते हैं,
देखते हैं उनके पँख थक चुके है,
या अभी भी फड़फड़ाते हैं,
हँसते हैं खिलखिलाकर,
या होंठ बंद कर मुस्कुराते हैं,
वो बता देतें हैं सारी आपबीती,
या सिर्फ सफलताएं सुनाते हैं,
हमारा चेहरा देख वो,
अपनेपन से मुस्कुराते हैं,
या घड़ी की और देखकर,
हमें जाने का वक़्त बताते हैं,
चलो कुछ पुराने दोस्तों के,

दरवाज़े खटखटाते हैं !

1397


वो मेरे बोलने का हक़ छीन सकते हो...
मेरी खामोशियो का नहीं...
सोचा था उनको प्यार लुटाकर,
उनके  दिल में घर बनायेंगे,
हमे क्या पता था दिल देकर भी,

हम बेघर रह जाएँगे...!!

1396


तेरी इक झलक पाने को
तरस जाता है दिल मेरा..!!
खुश किस्मत हैं वो लोग

जो तेरा दीदार रोज करते हैं..!!

13 June 2017

1395


खुश तो वो रहते हैं जो
"जिस्मों" से मोहब्बत करते है ...
क्यूंकि... !!

रूह" से मोहब्बत करने वालों को अक्सर ...
"तड़पते" ही देखा है...!!

1394


सजा बन जाती है,
गुजरे हुए वक़्त की यादें...

न जाने क्यों छोड़ जाने के लिए,
जिंदगी में आते है लोग.......

1393


हमने उन्हें कहा की
तुम नही होते तो रोना आता है...

वो बोले रोते तो सब है
क्या मै सबका हो जाऊँ...

1392


क्यों डरें कि ज़िंदगी में क्या होगा;
हर वक़्त क्यों सोचें कि बुरा होगा;
बढ़ते रहें मंज़िलों की ओर हम;

कुछ ना मिला तो क्या हुआ,
तज़ुर्बा तो नया होगा...।

1391


अपने मतलब के अलावा
कौन किसी को पूछता है,

बिना रूह के तो घर वाले
मय्यत को भी नहीं रखते...

12 June 2017

1390


आजकल सवाल ही सवाल खिलते हैं,
फूलों की तरह . . . ,

जवाब गुम-सुम से मिट्टी में,
दबे रहते हैं . . . !

1389


कभी मुस्कुराती आँखें भी,
कर देती हैं कई दर्द बयां,

हर बात को रोकर ही बताना,
जरूरी तो नहीं ...

1388


ज़िंदगी जीने को एक यहाँ ख्वाब मिलता है,
यहाँ हर सवाल का झूठा जवाब मिलता है,
किसे समझे अपना किसे पराया,

यहाँ हर चेहरे पे एक नकाब मिलता है !

1387


सोया तो था मैं,
जिंदगी को अलविदा कहकर दोस्तो…

किसी की बे-पनाह दुआओ ने मुझे
फिर से जगा दिया… 

1386


तुम्हे क्या पता,
किस दर्द मे हूँ मैं,

जो लिया नही...
उस कर्ज मे हूँ मैं.......

8 June 2017

1385


मनुष्य की ख़्वाहिश होती हैं ,
उसे सब "पहचाने" .......
साथ में उसे डर सताता हैं कि ,

कोई उसे सही में "पहचान" न ले ।।

1384


रस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया कोई,
दिल की दुनियां पे छा गया कोई... 

ता कयामत किसी तरह न बुझे,
आग ऐसी लगा गया कोई... 

दिल की दुनियां उजाड़ सी क्यूं हैं,
क्या यहां से चला गया कोई... 

वक्त-ए-रुखसत गले लगाकर ‘दाग़’.

हंसते-हंसते रुला गया कोई...!

1383


दिल के शीशे पे घुबार बहुत हैं

आज कुछ देर रो लिया जाए...

1382


किस ख़त में लिख कर भेजूं
अपने इंतज़ार को तुम्हें;
बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और

ढूंढता है ख़ामोशी से तुझे।

1381


शब्द मेरे सुनकर
वाह वाह सब करते हे...

मौन मेरा सुन सके,
काश ऐसा कोई मिले।

7 June 2017

1380


पतझड़ भी हिस्सा है
जिंदगी के मौसम का,
फर्क सिर्फ इतना है कुदरत
में पत्ते सूखते हैं और

हकीकत में रिश्ते।

1379


चैन से रहने का हमको
मशवरा मत दीजिये,
अब मजा देने लगी है

जिन्दगी की मुश्किलें।

1378


तू सुन पाता,
खामोश सिसकियां मेरी,
आवाज़ करके रोना तो मुझे…….
आज भी नहीं आता।

1377


बदल गया वक़्त बदल गयी बातें,
बदल गयी मोहब्बत. . . ;
कुछ नहीं बदला तो वो है,
इन आँखों की नमी और

तेरी कमी।

1376


चलती नहीं दुनिया किसी के आने से,
रूकती नहीं दुनिया किसी के जाने से...
प्यार तो सबको मिल जाता है,

कमी का पता तो चलता है किसी के दूर जाने से...

6 June 2017

1375


बहुत शिकायतें आती हैं,
तुम्हारे घर से...

यूँ सोते हुए,
मेरा नाम ना लिया करो.......!

1374


फिर नहीं बसते वो दिल,
जो एक बार उजड़ जाते है...

कब्रें जितनी भी सजा लो पर...
कोई ज़िंदा नहीं होता...

1373


उन की बातों पर यक़ीं हम
उम्र भर करते रहे,

इंतज़ार-ए-शाम के वादे
उम्र भर होते रहे...

1372


आज वो मिली थी रास्ते पर,
पूछ रही थी कहाँ रहते हो आज कल...

हमने भी मुस्कुरा के कह दिया,
"नशे" में...!

1371


तेरा इंतजार होता है,
रोज ये दिल बेकरार होता है,
काश तुम समझ सकते की…

चुप रहने वालो को भी
किसी से प्यार होता है !!

5 June 2017

1370


कुछ लोगों में सब कुछ होता है,
बस एक कमी होती है.....

""एहसास की""

1369



अच्छा हुआ के रिज़्क़ है
हाथो में ख़ुदा के,
वरना यहाँ कुछ लोग
ख़ुदा हो गए होते...

1368


कभी कभी पता होता है की
सामने वाला हमको धोका दे रहा है,
फिर भी हम चुप रहते है...
क्यों की हम जानते है की
हम उसके धोके के साथ जी सकते है,
पर उसके बिना नही.......

1367


जिन्हें फ़िक़र थी कल की,
बेवजह वो रोए रात भर...
जिन्हें यक़ीं खुदा पर

चैन से वो सोए रात भर ...!!!

1366


हम रखते है ताल्लुक
तो निभाते है जिंदगी भर,

हम से बदले नहीं जाते रिश्ते,
लिबासो की तरह..!!!

30 May 2017

1365


साँचे में अजल के हर घडी़ ढलती है।
हर वक़्त यह शमए-ज़िन्दगी जलती है॥
आती-जाती है साँस अन्दर-बाहर।

या उम्र के हलक़ पर छुरी चलती है॥

1364


सिर्फ "चाहत" से क्या होता है...,"
तकदीर" भी होनी चाहिए...

प्यार को पाने के लिए....!!!

1363


वक़्त के साँचे में ढल कर
हम लचीले हो गए...

रफ़्ता-रफ़्ता ज़िंदगी के
पेंच ढीले हो गए !

1362


बङे बेताब थे वो
मोहब्बत करने को,

जब मैने भी कर ली तो
उन्होने शौक बदल लिया...

1361


हर एक मैक़दे में कुछ अजीब मंज़र होता है,
कुछ मैकश आदतन हर रोज़ बहक जाते है,
फिर भी हर हाल में आरज़ू भरी ज़िद्द से,

जाने से पहले होश पर इक शे'र सुनाते हैं l

29 May 2017

1360


कुछ एसे थे,
जो वक्त के साँचे में ढल गये ...

कुछ एसे हु,
जो वक्त के साँचे बदल गये !!!

1359


रात महफ़िल में तेरी
हम भी खड़े थे ऐसे,

जैसे तस्वीर लगा दे कोई,
दीवार के साथ…

1358


इश्क़ उस उंचाई का नाम है...!
जहाँ से गिरने के बाद.....!!

मौत का कभी,
कोई जिक्र नहीं हुआ.....!!!

1357


जी लूंगा नया जीवन,
तेरी यादो में बैठ कर...

खुशबु जैसे फुलो मे,
उड़ने पे रह जाये...!

1356


मेरी हर "आह" को
"वाह" मिली है यहाँ…

कौन कहता है
दर्द बिकता नहीं...!!!

26 May 2017

1355


इक दिन हमारी आंखों ने भी,
थक कर कह दिया...
की ख्वाब वो देखा करो जो पूरा हो,

रोज रोज हमसे भी
रोया नही जाता...

1354


मुद्दतों बाद उसने पूछ ही लिया
क्या चल रहा आजकल .....???
हमने भी बेफ़िक्री से कह दिया...

सांसे.......

1353


मैंने ज़िन्दगी से कुछ नहीं माँगा “तेरे सिवा”,
और . . . . . . .

ज़िन्दगी ने मुझे सब कुछ दिया “तेरे सिवा';