27 December 2017

2131 - 2135 प्यार इश्क मोहब्बत शिकवे शिकायत उलझ मुकदमा रिश्ते सरहद दीवार पराये शायरी


2131
शिकवे शिकायतमें,
उलझकर रह गई मोहब्बत अपनी,
समझ नहीं आता इश्क किया था,
या कोई मुकदमा लड रहे थे.......

2132
" टूटकर बिखर जाते हैं...
मिट्टीकी दीवारकी तरह वो;
लोग जो खुदसे ज्यादा...
किसी औरसे मोहब्बत किया करते हैं  "

2133
"इश्क करना हैं किसीसे तो,
बेहद कीजिए,
हदें तो सरहदोंकी होती हैं,
दिलोंकी नहीं ।

2134
सख़्त हाथोंसे भी,
छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ...
रिश्ते ज़ोरसे नहीं,
प्यारसे थामे जाते हैं...!

2135
सब कुछ बदला बदला था,
जब बरसो बाद मिले;
हाथ भी न थाम सके वो,
इतने परायेसे लगे . . . ।

26 December 2017

2126 - 2130 दिल जिंदगी दुनियाँ काम खूबसूरत हसीन मुक़द्दर बाज़ार फिक्र मंजिल कदम नसीब दस्तक कतरा वक्त चोट शायरी हैं हीं


2126
किसीके काम ना आए,
तो आदमी क्या हैं....!!
जो अपनी ही फिक्रमें गुजरे,
वो जिंदगी क्या हैं.......!!!

2127
बहुत मिलेंगें हसीन चेहरे ...
इस दुनियाँके बाज़ारमें ;
वो मुक़द्दरसे मिलता हैं ...
जिसका 'दिल' खूबसूरत होता हैं ।

2128
मंजिल मेरे कदमोंसे,
अभी दूर बहुत हैं...
मगर तसल्ली ये हैं कि,
कदम मेरे साथ हैं...!!!

2129
आज फिर दस्तक हुयी हैं
मेरे दरवाजेपर,
देखूँ तो सही नसीब हैं
या कोई मतलबी.......

2130
कतरा कतरा ये वक्त,
पिघलता चला गया...
लगी चोटपें चोट मग़र,
मैं सम्भलता चला गया.......

2121 - 2125 दुनियाँ मोहब्बत हमसफर नसीब इल्ज़ाम दीवार तस्वीर खत्म आँसू हार जीत जागीर समझ तलाश शायरी


2121
किस मुँहसे इल्ज़ाम लगाएं,
बारिशकी बूँदोंपर,
हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी,
मिट्टीकी दीवारोंपर !

2122
सब कुछ लुटा दिया,
उनकी मोहब्बतमें...
कमबख्त आँसू ही ऐसे हैं,
जो खत्म नहीं होते.......

2123
हमसे खेलती रही दुनियाँ,
ताशके पत्तोकी तरह,
जिसने जीता उसने भी फेका...
जिसने हारा उसने भी फेका...

2124
छत कहा थी नसीबमें,
फुटपाथको जागीर समझ बैठे...
गीले चावलमें शक्कर क्या गिरी,
बच्चे खीर समझ बैठे. . . . . . .

2125
तलाशमें बीत गए,
न जाने कितने साल... साहेब,
अब समझे... खुदसे बड़ा,
कोई हमसफर नहीं होता...!

25 December 2017

2116 - 2120 दिल मुहब्बत महक चाहत इन्तहा महफ़िल दर्द ग़म ताबीज सच याद मुमकिन बेवफा अफसोस समझ शायरी


2116
रंगत लाई हैं,
शायरोंकी महफ़िल.....
दर्द भी कितना,
महकता हैं यहाँ...!!

2117
मैने गलेमें सारे "ताबीज"
डालके देखें हैं...
पर जो उनकी "यादों" को रोक सके
वो "धागा" मिला ही नहीं............

2118
भुलाया उनको जाता हैं,
जो दिमागमें बसते हैं l
दिलमें बसने वालोंको,
भूलना नामुमकिन हैं..!!

2119
ग़म नहीं की वो,
बेवफा निकले l
अफसोस हैं कि,
लोग सच निकले !!!

2120
अगर समझ पाते तुम,
मेरी चाहतकी इन्तहा...
तो हम तुमसे नहीं,
तुम हमसे मुहब्बत करते...

23 December 2017

2111 -2115 इश्क़ मुहोब्बत वक्त बारिश बरस आँख करिश्मा बहक तकलीफ आशिक़ नफरत चाँद समझ शायरी


2111
"मत गुजरना रमजानके वक्त,
किसी मस्जिदके पाससे ,
लोग तुम्हें चाँद समझकर...
कहीं रोजा न तोड दे..."

2112
बारिशे तो तेरे बिन भी,
होती हैं मेरे शहरमें, पर...
उन बारिशोमें सिर्फ,
पानी बरसता हैं इश्क़ नहीं....

2113
आँखोंमें तेरी,
कोई करिश्मा ज़रूर हैं l
तू जिसको देखले...
वो बहकता ज़रूर हैं...!!!

2114
जो इश्क़ तकलीफ न दे,
वो इश्क़ कैसा;
और जो इश्क़में तकलीफ न सहे,
वो आशिक़ कैसा.......

2115
ज्यादा कुछ नहीं बदला,
उनके और मेरे बीच,
पहेले नफरत नहीं थी,
अब मुहोब्बत नहीं हैं l

2106 - 2110 जिंदगी फिक्र बेवजह इल्जाम नेक बुरे हुज़ूर दूरियाँ रुतबा अल्फ़ाज़ हालात पहचान फितरत शायरी


2106
सबको फिक्र हैं,
खुदको सही साबित करनेकी,
जैसे ये जिंदगी, जिंदगी नहीं...
कोई इल्जाम हैं....... !!!

2107
ज़रा क़रीब आओ,
तो शायद हमे समझ पाओ...
यह दूरियाँ तो सिर्फ,
गलतफेहमियाँ बढाती हैं.......

2108
जब बेवजह कोई इल्ज़ाम लग जाये,
तो क्या कीजिए ?
हुज़ूर फिर यूँ कीजिए कि,
वो गुनाह कर लीजिये ।।

2109
"रुतबा" तो...
खामोशियोंका होता हैं...
"अल्फ़ाज़" का क्या ?
वो तो बदल जाते हैं, अक्सर
"हालात" देखकर...!!!

2110
नेकने नेक और बुरेने बुरा,
जाना मुझे,
जिसकी जैसी फितरत थी,
उसने उतना ही पहचाना मुझे l

21 December 2017

2101 - 2105 मोहब्बत बेवफ़ाई आँखें पायल बेचैनियाँ करवट तलाश गज़ब ख़ामोश वादा ख़फा निगाहें शायरी


2101
उनको गुजरते देखा,
तो आँखें बंद करली हमने...
पायलकी झंकार क्या उठी,
आँखोंने बगावत कर दी.......

2102
आँखोंके जादुसे,
अभी तुम कहाँ वाकिफ हो ,
हम उसे भी जीना सिखा देते हैं
जिसे मरनेका शौक हो ।

2103
मोहब्बत खो गयी मेरी,
बेवफ़ाईके दलदलमें,
मगर इन पागल आँखोंको,
आज भी उनकी तलाश रहती हैं...

2104
ना करवटें थी
ना बेचैनियाँ थी
क्या गज़बकी नींद थी
मोहब्बतसे पहले...

2105
लब ये ख़ामोश रहेंगे,
ये तो वादा हैं मेरा,
कुछ अगर कह दें निगाहें,
तो ख़फा मत होना.......

19 December 2017

2096 - 2100 वफ़ा उम्मीद मोहब्बत हसरत बात याद जहन शौक अरमान इंतेहा सितम बेवफ़ा सब्र पल ख्वाब याद बात तकलीफ शायरी


2096
नहीं रहा जाता तेरे बिना...
इसीलिए तुझसे बात करते हैं l
वरना हमें भी कोई शौक नहीं हैं,
तुझे यूँ सतानेका.......

2097
अरमान ही बरसो तक,
जला करते हैं,
इंसान तो बस इक पलमे हीं,
खाक हो जाता हैं...

2098
चली आती हैं...
तेरी याद मेरे जहनमें अक्सर...
तुझे हो ना हो...
तेरी यादोंको जरूर मुझसे मोहब्बत हैं...!

2099
"ना पूछ मेरे सब्रकी इंतेहा कहाँ तक हैं,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं,
वफ़ाकी उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना हैं, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं..."

2100
बहुत तकलीफ देता हैं...
ख्वाबोंका,
ख्वाब रह जाना . . .

18 December 2017

2091 - 2095 दिल इश्क़ एहसास शिद्दत साये धूप लफ्ज़ इम्तिहां लकीरें अजीब बरसात काबू फ़रेब शायरी


2091
ये मत पूछ के,
एहसासकी शिद्दत क्या थी,
धूप ऐसी थी के,
सायेको भी जलते देखा।

2092
इश्क़ नहीं हैं तुमसे,
जो तुमसे हैं...
उसके लिए कोई
लफ्ज़ नहीं.......

2093
हाथकी लकीरें भी
कितनी अजीब हैं...
कम्बख्त मुठ्ठीमें हैं
लेकिन काबूमें नहीं...!!!

2094
तू ही बता...
किस कोनेमें सुखाऊँ यादें तेरी...
बरसात...
बाहर भी हैं और भीतर भी.......

2095
दिलको इसी फ़रेबमें,
रखा हैं उम्रभर;
इस इम्तिहांके बाद,
कोई इम्तिहां नहीं.......!

2086 - 2090 दिल प्यार मोहब्बत याद लख्ते जिगर दुश्वार नजर मेहफिल दर्द वक़्त बहार करार इंतज़ार शायरी


2086
उनको आती नहीं हमारी याद अभी,
लख्ते जिगर कहां करते थे हमे शायद कभी,
उनसे नजरे भी मिलाना दुश्वार हो गया,
जो मेहफिलमें बुलाया करते थे खुद कभी...

2087
फूल उसे देना, जो बहार जानता हो...
दर्द उसे देना, जो करार जानता हो...
वक़्त उसे देना, जो इंतज़ार जानता हो...
और दिल उसे देना, जो प्यार जानता हो !!!

2088
कोई खुशियोंकी चाहमें रोया,
कोई दुखोंकी पनाहमें रोया,
अजीब सिलसिला हैं ये जिन्दगीका,
कोई भरोसेक़े लिए रोया तो कोई भरोसा करक़े रोया...

2089
न ख्वाहिशें हैं न शिकवे हैं
अब न ग़म हैं कोई,
ये बेख़ुदी भी कैसे कैसे
ग़ुल खिलाती हैं।

2090
बदल गया वक़्त,
बदल गयी बातें,
बदल गयी मोहब्बत,
कुछ नहीं बदला तो वो हैं,
इन आँखोंकी नमी और तेरी कमी !!!

16 December 2017

2081 - 2085 दिल मुहब्बत मुलाक़ात खयाल याद शराबी दिक्कत मौसम बरसात बारिश शायरी


2081
हमें नशा तो आपकी बातका हैं,
कुछ नशा तो धीमी बरसातका हैं,
हमें आप यूँही शराबी ना कहिये...
इस दिलपर असर तो आपसे मुलाक़ातका हैं !!!

2082
तुम्हारे खयालोमें चलते चलते,
कही फिसल ना जाऊ मैं,
अपनी यादोंको रोको,
की मेरे शहरमें बारिशका मौसम हैं...!

2083
कहीं फिसल ना जाओ ज़रा,
संभलके रहना...!
मौसम बारिशका भी हैं और...
मुहब्बतका भी.......!!!

2084
मेरे शहरमें,
ख़ुदाओंकी कमी नहीं हैं,
दिक्कतें तो मुझे आजभी,
इंसान ढूंढनेमें होती हैं.......

2085
वफ़ाके वादे वो सारे,
भुला गयी चुप चाप,
वो मेरे दिलकी दीवारें,
हिला गयी चुप चाप.......

2076 - 2080 बेवफा इम्तेहा नज़रे नादान रोना आँसू जान ग़ज़ल किताब आसमां समझ ज़माना शायरी


2076
वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी...
मिलेगी नज़रोंसे नज़रे तो अपनी नज़रे ज़ुका लेगी...
उसे मेरी कबरपर दीया मत जलाने देना...
वो नादान हैं यारों... अपना हाथ जला लेगी...

2077
सोचा ही नहीं था मैंने कि,
ऐसे भी ज़माने होंगे,
रोना भी ज़रूरी होगा और,
आँसू भी छुपाने होंगे . . .

2078
"जान"
थी वह मेरी
और "जान" तो
एक दिन चली ही जाती हैं...

2079
अर्ज किया हैं,
हवा चुरा ले गयी थी
मेरी ग़ज़लोंकी किताब l
देखो, आसमां पढ़के रो रहा हैं,
और
नासमझ ज़माना खुश हैं कि
बारिश हो रही हैं...!

2080
वो कहता हैं की,
बता तेरा दर्द कैसे समझू,
मैंने कहां...
की इश्क़ कर और करके हार जा !

14 December 2017

2071 - 2075 मोहब्बत जिंदगी महफ़िल तमाशे प्रेम दुश्मन गैर अनुभव खामोशियाँ बेहतर रूठ शायरी


2071
प्रेम तो सबको गैरोसे ही होता हैं...
अपने तो बस,
प्रेमके दुश्मन ही होते हैं...!

2072
अनुभव कहता हैं.........
खामोशियाँ ही बेहतर हैं...
शब्दोंसे लोग रूठते बहुत हैं.......!!!

2073
"कोई बेसबब, कोई बेताब,
कोई चुप, कोई हैरान...!
ऐ जिंदगी, तेरी महफ़िलके तमाशे,
ख़त्म नहीं होते......."

2074
सिर्फ मोहब्बत ही,
ऐसा खेल हैं...
जो सीख जाता हैं,
वहीं हार जाता हैं।

2075
एक मुख़्तसरसी वजह हैं,
मेरे झुकके मिलनेकी
मिट्टीका बना हूँ,
गुरुर जँचता नहीं मुझपर !!!