काश की मिल जाए,
मुझे मुक़द्दरकी कलम...
लिख दूँ लम्हा लम्हा ख़ुशी,
एक अजनबी की ज़िन्दगीके लिए...!
7017लाई हयात आई, कजा ले चली चले lअपनी ख़ुशी आये, न अपनी खुशी चले llअच्छा तो हैं यही कि, जहाँमें न दिल लगे lलेकिन तो क्या करें, जो न ये बेदिली चले llदुनियाने किसका, राहे-फनामें दिया हैं साथ lतुम भी चले चलो, यूँ ही जब तक चली चले llअब्राहम जौंक
7018
जरासी बात देरतक रूलाती रहीं,
ख़ुशीमें भी आँखे आँसू बहाती रहीं,
कोई खोके मिल गया, तो कोई मिलके खो गया...
जिन्दगी हमको बस, ऐसेही आजमाती रहीं.......
7019कहनेके तो बहोत सारे हैं लोग हमारे,पर जब वही लोग हमें आप कहके बुलाते हैं...खुदा क़सम दुनिया भरकी ख़ुशी मिल जाती हैं,सचका तलबगार होता हैं कभी.......
7020
ख़ुशीकी आशा, कभी मनकी निराशा,
कभी ख़ुशियोंकी धूप, कभी हकीकतकी छाँव...
कुछ ख़ोकर कुछ पानेकी आशा,
शायद यहीं हैं
जीवनकी परिभाषा...!