27 December 2020

6961 - 6965 दिल जमाने ख़्याल मिजाज बरकत इन्तिजार हंसी ख़ुशी ग़म शायरी

 

6961
दिल दे तो,
इस मिजाजका परवरदिगार दे !
जो रंजकी घड़ीभी,
ख़ुशीसे गुजार दे.......!!!
                                    मिर्जा दाग

6962
फूलोंके इन्तिजारमें,
कांटोंसे भी निभाइए...
यानी ख़ुशीके वक्त,
गमका शऊर चाहिए...

6963
ख़ुशियाँ ज़मीनसे उगती हो,
या बरसती हो आसमांसे...
किसीसे बाँट लो,
फिर देखो बरकतें इनकी...!

6964
खुशियाँ तो बहुत हैं,
मेरे दायरेमें, लेकिन...
मुकम्मल सबकुछ तेरे,
ख़्यालसे ही होता हैं.......!!!

6965
माँगते हैं,
जमानेकी ख़ुशियाँ,
खुद तरसते हैं,
इक हंसीको हम ll

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