9 December 2020

6876 - 6880 दिल आशिक ज़ख़्म ज़माना प्यार नज़र आँसू शायरी

 

6876
ज़मानेसे ना पूँछों,
हाल--दिल...
आँसू बयान करते हैं,
ज़ख़्मोंकी गहराई.......

6877
ज़िन्दा था तो,
एक नज़र देखा प्यारसे, फराज़...
मर गए हैं तो,
अब कब्रपें आँसू बहाने गए.......

6878
जब कुछ सपने अधूरे रह जाते हैं;
तब दिलके दर्द, आँसू बनकर बह जाते हैं;
जो कहते हैं कि हम सिर्फ आपके हैं;
पता नहीं कैसे, अलविदा कह जाते हैं ll

6879
यूँ किसीकी यादमें रोना फ़िज़ूल हैं...
इतने अनमोल आँसू खोना फिज़ूल हैं...
रोना तो उनके लिए जो हमपर निशार हैं;
उनके लिए क्या रोना, जिनके आशिक हज़ार हैं...

6880
आखिर गिरतेहुए आँसूने, पूछ ही लिया...
मुझसे गिरा दिया ना.......
मुझे उसके लिए,
जिसके लिए तू, कुछभी नहीं.......

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