6871
अब अगर जुबानसे नाम लेते हैं...
तो इन आँखोंमें आँसू आ जाते हैं...l
कभी घंटो बातें किया करते थे,
और अब एक लफ्ज़के लिए तरस जाते हैं...ll
6872निकले जब आँसू उसकी आँख़ोंसे,दिल करता हैं सारी दुनिया जला दूँ...फिर सोचता हूँ होंगे दुनियामें उसके भी अपने,कहीं अंजानेमें मैं उसे और ना रुला दूँ.......
6873
लबपें आहें भी नहीं,
आँखमें आँसू भी नहीं...
दिलने हर राज़ मोहब्बतका,
छुपा रखा हैं.......
6874पढ़ने वालोंकी कमी हो गयी हैं,आज इस ज़मानेमें...नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आँसू,पूरी किताब हैं.......
6875
आँसू हमारे पोंछकर वो मुस्कराते हैं,
इसी अदासे वो मेरा दिल चुराते हैं...
हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरेको,
इसी उम्मीदमें हम खुदको
रुलाते हैं...!
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