31 December 2020

6976 - 6980 दिल चिराग रौशनी ख़ुशी हिसाब ग़म शायरी

 

6976
सफ़ेद-पोशी--दिलका,
भरमभी रखना हैं;
तिरी ख़ुशीके लिए,
तेरा ग़म भी रखना हैं ll

6977
एक वो हैं कि जिन्हें,
अपनी ख़ुशी ले डूबी...
एक हम हैं कि जिन्हें,
ग़मने उभरने दिया.......

6978
तेरे बिना ख़ुशियोंका,
चिराग जलता नहीं l
शहरकी रौशनीसे,
ये दिल बहलता नहीं ll

6979
उस ख़ुशीका,
हिसाब कैसे हो...
जो तुम पूछ लो,
जनाब कैसे हो.......

6980
ख़ुश हूँ कि मुझको जलाके,
तुम हँसे तो सही...
मेरे सही किसीके दिलमें,
बसे तो सही.......!

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