7 December 2020

6866 - 6870 इश्क दर्द दुनिया चाहत दस्तूर बेवफ़ा जुस्तजू रोशनी निगाह आँख आँसू शायरी

 

6866
तेरे इश्ककी दुनियामें,
हर कोई मजबूर हैं...
पलमें हँसी पलमें आँसू,
ये चाहतका दस्तूर हैं...

6867
आँसूकी कीमत,
जो समझली उन्होने...
उन्हे भूलकरभी,
मुस्कुराते रहे हम...

6868
आयेंगे तुझसे मिलने,
सितारोंकी रोशनीमें...
पत्थरके सनम,
एक आँसू अपनी,
बेवफ़ाईपें बहा देना...

6869
आँसू हमारे गिर गए,
उनकी निगाहसे...
इन मोतियोंकी अब,
कोई क़ीमत नहीं रही...

6870
हंसनेकी जुस्तजूमें,
दबाया जो दर्दको...
आँसू हमारी आँखमें,
पत्थरके हो गए.......

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