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हुए जो खूगर-ए-गम ऐशका,
उनपर असर क्या हो...?
खुशीको वो खुशी समझें,
जो गमको गम समझते हैं...!
जोश मल्सियानी
6957मेरी ख़ुशी तो मेरे,गमोंका लिबास हैं...लेकिन बरकतें इतना,कहाँ गमशनास हैं......
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मैं जिन्दगीका साथ निभाता चला गया,
हर फिक्रको धुएंमें उड़ाता चला गया;
जो मिल गया उसीको मुकद्दर समझ लिया,
जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गया;
गम और खुशीमें फर्क न महसूस हो जहाँ,
मैं दिलको उस मुकाममें लाता चला गया;
बर्बादियोंका सोग मनाना फिजूल था,
बर्बादियोंका जश्न मनाता चला गया ll
साहिर लुधियानवी
6959हजार गम सही दिलमें,खुशी मगर यह हैं.......हमारे होठोंपर माँगीहुई,हँसी तो नहीं हैं.......?
हो दौर-ए-गमकि अहदे-खुशी,
दोनों एक हैं...
दोनों गुजश्तनी हैं,
ख़िज़ाँ क्या, बहार क्या...?
त्रिलोक
चन्द महरूम
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