6881
आँखोंतक न आ सकी,
कभी आँसुओंकी लहर...
ये क़ाफ़िला भी,
नक़्ल-ए-मकानीमें खो गया...
6882दो घड़ी दर्दने,आँखोंमें भी रहने न दिया !हम तो समझे थे,बनेंगे ये सहारे आँसू.......
6883
एहसास बहुत होगा,
जब छोड़के जायेंगे...
रोयेंगे बहुत मगर,
रोयेंगे बहुत मगर,
आँसू
नहीं आयेंगे...
जब साथ ना दे कोई,
जब साथ ना दे कोई,
तो
आवाज़ हमे देना...
आसमानपर भी होंगे,
आसमानपर भी होंगे,
तो
लौट आयेंगे...ll
6884दर्दसे हाथ न मिलते,तो क्या करते...गमके आँसू न बहाते,तो क्या करते...उसने मांगी थी,रौशनी हमसे...हम खुदको न जलाते,तो क्या करते...!
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इनको नासिर, न कभी
आँखसे गिरने देना...
उनको लगते हैं,
मेरी आँखमें प्यारे आँसू...!
नासिर काज़मी
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