23 December 2020

6941 - 6945 दिल दगा पल धड़कन आँखे आँसू याद ख़ुशी नमी ग़म शायरी

 

6941
पलभर तुझे ना सोचु तो,
धड़कने तरसने लगती हैं...
तुमको जो देख लू तो,
नम आँखे भी हसने लगती हैं...

6942
आपकी याद...
आती रही रातभर ;
चश्म--नम,
मुस्कुराती रहीं रातभर ll
मख़दूम मुहिउद्दीन

6943
और भी कितने तरीक़े हैं,
बयान--ग़मके...
मुस्कुराती हुई आँखोंको तो,
पुर-नम करो.......
                         अब्दुल अज़ीज़

6944
यह तो नहीं कि गम नहीं...
लेकिन मेरी आँख नम नहीं...
फिराक गोरखपुरी

6945
नम हैं आँखे मेरी मगर...
एकभी आँसू बह ना पायेगा...
ये दिलभी कितना दगाबाज़ हैं, यारो...
खुदको भूल जायेगा मगर...
तुझे ना भूल पायेगा.......

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