14 September 2021

7646 - 7650 मोहब्बत आशिक़ी ग़म शौक़ बेवफ़ा उम्र फ़रेब क़शाक़श मौत मर ज़ाना शायरी

 

7646
ये भी फ़रेबसे हैं,
क़ुछ दर्द आशिक़ीक़े...
हम मरक़े क्या क़रेंगे,
क़्या क़र लिया हैं ज़ीक़े.......!
                         असग़र गोंड़वी

7647
मैं भी समझ रहा हूँ क़ि,
तुम, तुम नहीं रहे...
तुम भी ये सोच लो क़ि,
मिरा क़ैफ़ मर ग़या.......

7648
मौतो-हस्तीक़ी क़शाक़शमें,
क़टी उम्र तमाम...
ग़मने ज़ीने न दिया,
शौक़ने मरने न दिया...!!!

7649
उस बेवफ़ासे क़रक़े वफ़ा,
मर-मिटा रज़ा...
इक़ क़िस्सा-ए-तवीलक़ा,
ये इख़्तिसार हैं.......
आले रज़ा

7650
परवानेक़ो शमापर ज़लक़र,
क़ुछ तो मिलता होग़ा...
यूँहीं मरनेक़े लिये,
क़ोई मोहब्बत नहीं क़रता...!!!

7641 - 7645 दिल बात नतीज़ा रास्ता धड़क़ने ज़िंदा मज़ार मर ज़ाना शायरी

 

7641
हुई मुद्दत क़ि ग़ालिब मर गया,
पर याद आता हैं...
वो हर इक़ बातपर क़हना क़ि,
यूँ होता तो क़्या होता.......
                              मिर्जा ग़ालिब

7642
आज़ा क़ि मेरी लाश,
तेरी गलीसे ग़ुज़र रही हैं...
देख़ ले तू भी मरनेक़े बाद,
हमने रास्ता तक़ नहीं बदला...!

7643
साँसे हैं, धड़क़ने भी हैं,
बस दिल तुम्हे दे बैठा हूँ...!
अज़ीबसे दोराहे पर हूँ, ज़िन्दा हूँ,
पर तुमपर मर बैठा हूँ.......!!!

7644
जुनून सवार था,
उसक़े अंदर ज़िंदा रहनेक़ा...
नतीज़ा ये आया क़ी,
हम अपने अंदर ही मर गये...

7645
आते ज़ाते चूमते रहते हैं,
वो मज़ारक़ो...
ज़ीने नहीं दे रहे वो,
मरनेक़े बाद भी.......

12 September 2021

7636 - 7640 आशिक़ प्यार अमृत ज़िंदा ज़िन्दगी दुनिया मौत मर ज़ाना शायरी

 

7636
ज़िस पौधेक़ो सींच सींच,
ज़िंदा रख़ा उसने...
क़ल उसी पेड़से लटक़ क़र,
मर गया वो.......

7637
अच्छाई अपनी ज़िन्दगी,
ज़ी लेती हैं...
बुराई अपनी मौत,
ख़ुद चुन लेती हैं.......

7638
मौतसे तो,
दुनिया मरती हैं;
आशिक़ तो,
प्यारसे ही मर ज़ाता हैं !!!

7639
उसक़ी धुनमें हर तरफ़,
भाग़ा क़िया दौड़ा क़िया l
एक़ बूँद अमृतक़ी ख़ातिर,
मैं समुंदर पी गया l
बिछड़क़े तुझसे न ज़ीते हैं,
और न मरते हैं l
अज़ीब तरहक़े बस,
हादसे ग़ुज़रते हैं ll

7640
तेरे लिए चले थे हम,
तेरे लिए ठहर गए...
तूने क़हा तो ज़ी उठे,
तूने क़हा तो मर गए !!!

7631 - 7635 ज़िन्दगी फना दुनिया मुसाफ़िर क़ारवाँ वक़्त मर ज़ाना मौत शायरी

 

7631
न बसमें ज़िन्दगी इसक़े,
न क़ाबू मौतपर इसक़ा...
मगर इन्सान फिरभी क़ब,
ख़ुदा होने से ड़रता हैं.......
                             राज़ैश रेड्डी

7632
मर्ग मांदगीक़ा,
इक़ वक़्फा हैं...
यानी आगे बढ़ेगे,
दम लेक़र.......!
मीरतक़ी मीर

7633
मुझे हर ख़ाक़क़े ज़र्रेपर,
यह लिक़्खा नज़र आया;
मुसाफ़िर हूँ अदमक़ा और,
फना हैं क़ारवाँ मेरा...
                         असर लख़नवी

7634
माँक़ी आग़ोशमें क़ल
मौतक़ी आग़ोशमें आज़
हमक़ो दुनियामें ये दो वक़्त
सुहानेसे मिले
क़ैफ़ भोपाली

7635
क़ौन ज़ीनेक़े लिए,
मरता रहे...
लो सँभालो अपनी दुनिया,
हम चले.......
                    अख़्तर सईद ख़ान

8 September 2021

7626 - 7630 दर्द ज़िन्दगी मज़बूर शोख़ नज़र मर ज़ाना मौत शायरी

 

7626
दर्दक़ी बिसात हैं,
मैं तो बस प्यादा हूँ...
एक़ तरफ ज़िन्दगीक़ो शय हैं,
एक़ तरफ मौतक़ो भी मात हैं।

7627
सूँघक़र क़ोई मसल डाले तो,
ये हैं ग़ुलक़ी ज़ीस्त.......
मौत उसक़े वास्ते,
डाली क़ुम्हलानेमें हैं.......!
आनन्द नारायण मुल्ला

7628
ज़िंदगी हैं अपने क़ब्ज़ेमें,
न अपने बसमें मौत...
आदमी मज़बूर हैं और,
क़िस क़दर मज़बूर हैं.......
                     अहमद आमेठवी

7629
हम थे मरनेक़ो ख़ड़े,
पास न आया न सही...
आख़िर उस शोख़क़े तरक़शमें,
क़ोई तीर भी था.......!
मिर्जा ग़ालिब

7630
देख़ इतना क़ि,
नज़र लग ही ज़ाये मुझे,
अच्छा होग़ा,
तेरी नज़रसे मर ज़ाना...!

7621 - 7625 ज़िन्दगी जुस्तजू मंज़िल शौक़दामन दाग़ ग़ुनाह सकूँ मर ज़ाना मौत शायरी

 

7621
मौतसी हसीं होती,
क़हाँ हैं ज़िन्दगी...
इसक़े दामनमें तो,
क़ई दाग़ लगे हैं.......!

7622
मिल गया आखिर,
निशाने-मंज़िले-मक़सूद, मगर...
अब यह रोना हैं क़ि,
शौक़-ए-जुस्तजू ज़ाता रहा...
अर्श मल्सियानी

7623
क़ोनसा ग़ुनाह,
क़िया तूने ए दिल...
ना ज़िन्दगी ज़ीने देती हैं,
ना मौत आती हैं.......

7624
सकूँ हैं मौत यहाँ,
जौक़-ए-जुस्तजूक़े लिये...
यह तिश्नगी वह नहीं हैं,
जो बुझाई ज़ाती हैं.......
ज़िगर मुरादाबादी

7625
मौत भी,
ज़िन्दगीमें डूब गई...
ये वो दरिया हैं,
ज़िसक़ा थाह नहीं.......

6 September 2021

7616 - 7620 दिल मोहब्बत उम्र शम्मा इश्क़ ज़िंदगी महफ़िल एहसास साथ मर ज़ाना मौत शायरी

 

7616
उम्र फानी हैं, तो फ़िर...
मौतसे क्या ड़रना ?
न इक़ रोज़,
यह हंग़ामा हुआ रख़ा हैं...
                            मिर्जा ग़ालिब

7617
मौतक़ा नहीं खौफ मगर,
एक़ दुआ हैं रबसे...
क़ि ज़ब भी मरु तेरे होनेक़ा,
एहसास मेरे साथ मर ज़ाये.......

7618
थी इश्क़-ओ-आशिक़ीक़े लिए,
शर्त ज़िंदगी...
मरनेक़े वास्ते मुझे,
ज़ीना ज़रूर था.......
                         ज़लील मानिक़पुरी

7619
हम ज़ैसे बर्बाद दिलोंक़ा,
ज़ीना क्या और मरना क्या...
आज़ तेरी महफ़िलसे उठे हैं,
क़ल दुनियासे उठ ज़ायेगें.......

7620
परवानेंक़ो शम्मापें ज़लक़र,
क़ुछ तो मिलता होग़ा...
वरना सिर्फ मरनेक़े लिए तो,
क़ोई मोहब्बत नहीँ क़रता.......!

5 September 2021

7611 - 7615 ज़िन्दगी वक़्त हिज्र आवाज़ हौसला ज़िंदा शबाब मर ज़ाना मौत शायरी

 

7611
क़्या गिला क़रना,
अपनोंसे यहाँ...
मौत आज़ाये तो ज़िन्दगीभी,
मुह मोड़ लेती हैं.......

7612
ऐ हिज्र,
वक़्त टल नहीं सक़ता मौतक़ा...
लेक़िन ये देख़ना हैं क़ि,
मिट्टी क़हाँ क़ी हैं.......
नाज़िम अली ख़ान

7613
पज़मुर्दा होक़े,
फूल गिरा शाख़से तो क्या...
वह मौत हैं हसीन,
जो आये शबाबमें........!
                        असर लख़नवी

7614
बे-मौत मर ज़ाते हैं,
बे-आवाज़ रोने वाले...

7615
ज़िंदा रहनेक़ा,
हक़ मिलेग़ा उसे...
ज़िसमें मरनेक़ा,
हौसला होग़ा...
           सरफ़राज़ अबद

4 September 2021

7606 - 7610 दिल ज़िन्दगी मौज़ शौक़ साहिल नज़र क़तरा ड़र लम्हा ख़ामोश मर ज़ाना मौत शायरी

 

7606
मौतक़े ड़रसे ज़ीते नहीं,
एक़ लम्हा भी...
लोग ज़ाने ज़िन्दगीसे फिर,
मुहोब्बत क्यों क़रते हैं.......?

7607
मौज़क़ी मौत हैं,
साहिलक़ा नज़र ज़ाना;
शौक़ क़तराक़े क़िनारेसे,
ग़ुज़र ज़ाता हैं.......

7608
आख़री हिचक़ी,
तेरे दामनमें आए...
मौत भी मैं,
शायराना चाहता हूँ...!

7609
मौत, आक़े हमक़ो,
ख़ामोश तो क़र गई तू...
मगर सदियों दिलोंक़े अंदर,
हम गूंज़ते रहेंगे.......
फ़िराक़ गोरख़पुरी

7610
मौतक़े संग वफ़ाएं,
दफ़न नहीं होती...
सच्ची मोहब्बतक़ी अदाएं,
क़भी क़म नहीं होती.......!

3 September 2021

7601 - 7605 दिल तड़पन तसल्ली इरादा लम्हा उम्र तबाह सज़ा मौत शायरी

 

7601
जो दे रहे हो हमें,
ये तड़पनेक़ी सज़ा तुम...
हमारे लिए ये,
सज़ा--मौतसे भी बदतर हैं...

7602
ना आये मौत,
ख़ुदाया तबाह-हालीमें,
ये नाम होग़ा,
ग़म--रोज़ग़ार सह सक़े…

7603
मौतक़े साथ हुई हैं,
मिरी शादी सो ''ज़फ़र'
उम्रक़े आख़िरी लम्हातमें,
दूल्हा हुआ मैं.......!
                      ज़फ़र इक़बाल

7604
तुम आए, चैन आया...
मौत आई, शब--अदा...
दिल--मुज़्तर था, मैं था...
और थीं बेताबियाँ मेरी.......
फ़य्याज़ हाशमी

7605
तुम तसल्ली दो, यूँ ही बैठे रहो,
वक्त क़ुछ मेरे, मरनेक़ा टल ज़ाएग़ा...
ये क्या क़म हैं, मसीहाक़े होने ही से,
मौतक़ा भी इरादा बदल ज़ाएग़ा.......!
                                             बेनियाज़ी

2 September 2021

7596 - 7600 ज़िन्दगी शौक़ सफ़र आफत ज़िन्दगी नज़र साथ क़ब्र मौत शायरी


7596
मौतसे क्या ड़र,
मिनटोंक़ा ख़ेल हैं...
आफत तो ज़िन्दगी हैं,
जो बरसो चला क़रती हैं...!

7597
अगर हैं शौक़े सफ़र तो,
हमारे साथ चलो;
नहीं हैं मौतक़ा ड़र तो,
हमारे साथ चलो ||

7598
मौत ज़बतक़,
नज़र नहीं आती...
ज़िन्दगी राहपर,
नहीं आती...
      ज़िगर मुरादाबादी

7599
वक़्फा-ए-मर्ग अब ज़रूरी हैं,
उम्र तय क़रते थक़ रहे हैं हम...!
मीरतक़ी मीर

7600
ढूंढोगे क़हाँ मुझक़ो,
मेरा पता लेते ज़ाओ;
एक़ क़ब्र नई होगी,
एक़ ज़लता दिया होग़ा.......

1 September 2021

7591 - 7595 ज़िन्दगी साथ ज़ुदा सवाल ज़वाब अफ़्सोस बेवफाई मौत शायरी

 
7591
ना ज़ाने मेरी मौत...
क़ैसी होगी...?
पर ये तो तय हैं क़ी,
तेरी बेवफाईसे तो बेहतर होगी...!!!

7592
थक़ गई मेरी ज़िन्दगीभी,
लोग़ोंक़े ज़वाब देते देते...
अब क़हीं मेरी मौतही लोग़ोंक़ा,
सवाल बन ज़ाएँ.......!

7593
अक़ेला रातभर,
तड़पता मरीज़ै शामे ग़म...
तुम आये, नींद आयी,
चैन आया, मौत आयी...!

7594
हम चाहते थे,
मौतही हमक़ो ज़ुदा क़रे...
अफ़्सोस अपना साथ,
वहाँ तक़ नहीं हुआ.......
वसीम नादिर

7595
वो इतना रोई मेरी मौतपर,
मुझे ज़ग़ानेक़े लिए...
मैं मरता ही क्यूँ अगर वो,
थोडा रो देती मुझे पानेक़े लिए...!

2 June 2021

7586 - 7590 दिल दुनिया दर्द ज़िस्म सुक़ून ज़िन्दग़ानी अंदाज़ मौत ज़नाज़ा शायरी


7586
दर्द गूंज़ रहा दिलमें,
शहनाईक़ी तरह...
ज़िस्मसे मौतक़ी ये,
सग़ाई तो नहीं.......?

7587
ज़नाज़ा रोक़क़र मेरा,
वो इस अंदाज़से बोले...
गली हमने क़हीं थी,
तुम तो दुनिया छोड़े ज़ाते हो...

7588
तुम साथ हो ज़ब 
अपने ,
दुनियाक़ो दिख़ा देंगे...l
हम मौतक़ो ज़ीनेक़े,
अंदाज़ सिख़ा देंगे.......ll

7589
मौतने भी,
ज़ानना चाहा मगर;
ज़िन्दग़ानीक़ा भरम,
ख़ुलता नहीं...ll
फ़िराक़ गोरख़पुरी

7590
दिलक़ो सुक़ून मिल ज़ाये,
ऐसी नींद ना आई क़भी l
मौत, अब तुझे...
आज़मानेक़ो ज़ी चाहता हैं ll

1 June 2021

7581 - 7585 दिल शब ज़वानी तमन्ना इश्क़ मरना मौत शायरी

 
7581
साज़--दिलक़ो,
महक़ाया इश्क़ने...
मौतक़ो लेक़र,
ज़वानी गई...!

7582
तमन्ना यहीं हैं,
बस एक़ बार आये...
चाहे मौत आये,
चाहे यार आये.......

7583
तुम आओगे तो,
मरनेक़ी हैं सौ तदबीरें...
मौत क़ुछ तुम तो नहीं हो क़ि,
बुला भी सकूँ.......
                             मिर्ज़ा ग़ालिब


7584
वो ना आएँगे, दिल...
तो मौत आएगी ज़रूर l
आज़क़ी शब तुझक़ो,
हर सूरत क़रार आनेक़ो हैं ll
रहबर

7585
मुझे आज़ भी यक़ीन हैं क़ी,
तु एक़ दिन लौटक़र आयेग़ा...
चाहे वो दिन मेरी,
मौतक़ा ही क्यों ना हो...!!!

31 May 2021

7576 - 7580 दिल दर्द ज़ीस्त सबूत अफ़सोस मोहलत मर मौत शायरी

 

7576
अंदरसे तो क़बक़े,
मर चुक़े हैं हम...
मौत, तू भी आज़ा,
लोग सबूत मांगते हैं...

7577
सुना हैं, मौत एक़ पलक़ी भी,
मोहलत नहीं देती l
मैं अचानक़ मर ज़ाऊ तो,
मुझे माफ़ क़र देना ll

7578
रंज़ उठानेसे भी ख़ुशी होगी,
पहले दिल दर्द आशना क़ीज़ै...
मौत आतीं नहीं क़हीं ग़ालिब,
क़बतक़ अफ़सोस ज़ीस्तक़ा क़ीज़ै...

7579
मौतसे क्यों इतनी दहशत,
ज़ान क्यों इतनी अज़ीज़...
मौत आनेक़े लिये हैं,
ज़ान ज़ानेक़े लिये हैं...!!!

7580
हम उसी ज़िन्दगीक़े दर पै हैं...
मौत हैं ज़िसक़े पासबानोंमें.......

30 May 2021

7571 - 7575 ज़माना मिज़ाज़ दर्द रुस्वाई मोहलत ज़हर वज़ूद मौत शायरी

 

7571
मौतसा मिज़ाज़ हैं मेरा,
दर्द भी हैं...
रुस्वाई भी.......

7572
अपने वज़ूदपर,
इतना इतरा, ज़िन्दगी...
वो तो मौत हैं,
जो तुझे मोहलत देती ज़ा रही हैं...!

7573
ज़हर पीनेसे,
क़हाँ मौत आती हैं...
मर्जी ख़ुदाक़ी भी चाहिए,
मौतक़े लिए.......!!!

7574
मौत, उन्हें भुलाये,
ज़माने ग़ुज़र गए...
आज़ाक़े ज़हर ख़ाये,
ज़माने ग़ुज़र गए...!!!

7575
ख़ुदा, इन्साफ़ क़र,
हम मज़लूम आशिक़ोंक़ा l
इश्कक़ो सज़ा--मौत दे,
हमें बाइज्ज़त बरी क़र...ll

29 May 2021

7566 - 7570 ज़िन्दगी नाम इश्क़ तक़दीर ड़र महफ़िल हुनर मौत शायरी

 

7566
इश्क़ क़हता हैं,
मुझे इक़ बार क़रक़े देख़...
तुझे मौतसे मिलवा दिया तो,
मेरा नाम बदल देना.......

7567
सुना हैं, तुम तक़दीर देख़नेक़ा,
हुनर रख़ते हो...!
मेरा हाथ देख़क़र बताना क़ि.
पहले तुम आओगे या मौत.......?

7568
अपनी मौत भी,
क़्या मौत होगी...?
एक़ दिन यूँ ही मर ज़ायेंगे,
तुमपर मरते मरते.......!

7569
उससे बिछड़े तो मालूम हुआ क़ी,
मौत भी क़ोई चीज़ हैं, फ़राज़...
ज़िन्दगी वो थी जो हम उसक़ी,
महफ़िलमें ग़ुज़ार आए.......
अहमद फ़राज़

7570
मैं जो चाहूँ तो,
अभी तोड़ लूँ नाता तुमसे...
पर मैं बुज़दिल हूँ,
मुझे मौतसे ड़र लगता हैं.......!

28 May 2021

7561 - 7565 रूह दिल ज़िस्म जिंदगी लिबास अरमान हयात राज़ी मौत ज़हर शायरी

 

7561
ज़हरक़े असरदार होनेसे,
क़ुछ नहीं होता साहब...
ख़ुदा भी राज़ी होना चाहिये,
मौत देनेक़े लिये.......

7562
क़ौन क़हता हैं क़ि,
मौत आई तो मर ज़ाऊँगी...
मैं तो नदी हूँ,
समुंदरमें उतर ज़ाऊँगी.......

7563
क़ैद--हयात बंद--ग़म,
अस्लमें दोनों एक़ हैं...
मौतसे पहले आदमी,
ग़मसे नज़ात पाए क्यूँ.......
                                मिर्ज़ा ग़ालिब

7564
सुलग़ती जिंदगीसे,
मौत ज़ाये तो बेहतर हैं l
हमसे दिलक़े अरमानोंक़ा,
अब मातम नहीं होता...ll

7565
मौत ज़िस्मक़ी रिवायत हैं,
रूहक़ो बस लिबास बदलना हैं...!

14 May 2021

7556 - 7560 ज़िन्दग़ी मोहब्बत मतलब इलाज़ वादा पल इंतेज़ार मौत ज़हर शायरी

 

7556
क़ोई नहीं आऐगा,
मेरी ज़िन्दग़ीमें तुम्हारे सिवा...
एक़ मौत ही हैं,
ज़िसक़ा मैं वादा नहीं क़रता...

7557
तुझे भूलनेक़े लिए मुझे,
सिर्फ़ एक़ पल चाहिए...
वो पल ज़िसे लोग़ अक्सर,
मौत क़हते हैं.......!

7558
पता नहीं क़ौनसा ज़हर मिलाया था,
तुमने मोहब्बतमें...!
ना ज़िन्दग़ी अच्छी लग़ती हैं,
और ना ही मौत आती हैं.......

7559
मैं उसक़ी आसमें,
यूँ बैठा हूँ...
ज़ैसे क़िसी लाइलाज़क़ो,
इंतेज़ार हो मौतक़ा.......

7560
ज़िन्दग़ी और मौतक़ा मतलब,
तुमक़ो पाना हैं...!
तुमक़ो ख़ोना हैं.......!!!