1501
कहाँ उलझ गया दिल,
किस प्यार में.......
बड़ा बेसबब गुज़रा,
एक हिस्सा उम्र का,
बेकार में.......
1502
ज़िंदगी तो सभी के लिए
एक रंगीन किताब है;
फर्क है तो बस इतना कि
कोई हर पन्ने को दिल से पढ़ रहा है; और
कोई दिल रखने के लिए पन्ने पलट रहा है।
1503
तेरे इश्क का सुरूर था,
जो खुदको बर्बाद किया,
वरना दुनिया मेरी भी,
दीवानी थी।
1504
लोगों मै और हम मे बस इतना फर्क है ...
लोग.....दिल को दर्द देते है,
और हम....... दर्द देने वाले को,
दिल देते है ...
1505
"दोस्ती" रूह में उतरा हुआ
मौसम है...
ताल्लुक कम कर देने से
मोहब्बत कम नही होती ...