31 October 2018

3491 - 3495 बात फितरत खता दिल पल क़ामयाब महक जवाब याद शायरी


3491
कुछ तो बात हैं,
तेरी फितरतमें... मेरी जान !
वरना तुझको याद करनेकी खता...
हम बार-बार करते !!!

3492
उन्हे पलभरको भी,
भूल जानेकी कोशिश...
कभी क़ामयाब हुई;
उनकी याद,
शाख़--गुलाब थी...
जो हवा चली तो,
महक उठी.......!

3493
तुम याद करते हो,
कुछ पलके लिए हमें...!
हम एक पलके लिए,
भूल नहीं पाते हैं तुम्हें...!

3494
कुछ तो धड़कता हैं,
रूक रूककर मेरे सीनेमें...
अब खुदा ही जाने,
तेरी याद हैं या मेरा दिल...!

3495
सुनो,
मुझे पढ़कर भी...
तुम जो जवाब हीं देते हो ना..."
याद करोगे जब हम तेरे लिए...
लिखना छोड़ देंगे......."

30 October 2018

3486 - 3490 दिल इश्क ज़िन्दगी नकाब दुनिया आँख निगाह तकलीफ आवाज़ इज़हार इकरार शायरी


3486
वो कहने लगी,
नकाबमें भी पहचान लेते हो,
हजारोंके बीच...
मैने मुस्कराके कहा,
तेरी आँखोंसे ही शुरू हुआ था,
इश्क हज़ारोंके बीच.......!

3487
कई लोग मिलेंगे इस दुनियामें,
मगर कोई कोई दिलके पास होगा;
एक ऐसा भी आयेगा ज़िन्दगीमें,
जो सारी दुनियासे ख़ास होगा !

3488
हम भी जी सकते थे,
अगर...
मरते ना... " तुमपर ".......

3489
हमने भी जिदंगीका कारवाँ,
आसां कर दिया...
जो तकलीफ देते थे,
उन्हें रिहा कर दिया.......


3490
दिलकी आवाज़को इज़हार कहते हैं,
झुकी निगाहको इकरार कहते हैं;
सिर्फ पानेका नाम इश्क नहीं,
कुछ खोनेको भी प्यार कहते हैं...

29 October 2018

3481 - 3485 मोहब्बत पल निगाहे ज़िक्र फिक्र एहसास ख्याल मौज़ूद सब्र किताब शायरी


3481
मैने पूछा एक पलमें...
जान कैसे निकलती हैं;
उसने चलते चलते...
मेरा हाथ छोड़ दिया.......

3482
निगाहे तो जरा झुका लिजीये जनाब,
मेरे मजहबमें नशा हराम हैं.......!!!

3483
तेरा ज़िक्र... तेरी फिक्र...
तेरा एहसास... तेरा ख्याल...
तू खुदा नहीं...
फिर हर जगह मौज़ूद क्यूँ हैं.......!

3484
यूँ सामने आकर ना बैठो...
सब्र तो सब्र हैं,
हर बार हीं होता.......!

3485
मेरी लिखी किताब...
मेरे ही हाथोमें देकर,
वो कहने लगे...
इसे पढा करो,
मोहब्बत करना सिख जाओगे...!

25 October 2018

3476 - 3480 इश्क़ तन्हाई किस्मत शर्त जुदाई लहर दवा सुकून शख्स फर्क ख़ामोश अहसास शायरी


3476
तुम्हे मालूम हैं...
"हम ये जुदाई सह नहीं सकते."
"और उसपें शर्त हैं कैसी,
के ये भी कह नही सकते..."
"हमारी किस्मत हैं...
बस उन समंदरके किनारोसी;"
"जो लहरोंमें तो डूबे हैं,
मगर संग बह नहीं सकते..."

3477
ना जाने कौनसी,
दवा हैं उसके पास...
कुछ पल साथ गुजार लूँ,
तो सुकूनसा मिलता हैं...

3478
हमारे चले जानेके बाद,
ये समंदरकी रेत तुमसे पूछेगी...
कहाँ गया वो शख्स,
जो तन्हाईमें आकर;
बस तेरा ही नाम...
लिखा करता था.......!

3479
ज़िन्दगीमें किसीका साथ काफी हैं,
हाथोंमें किसीका हाथ काफी हैं,
दूर हो या पास फर्क नहीं पड़ता...
प्यारका तो बस अहसास ही काफी हैं!

3480
इश्क़के चर्चे...
भले ही सारी दुनियामें होते होंगे;
पर दिल तो...
ख़ामोशीसे ही टूटते हैं.......

24 October 2018

3471 - 3475 रौनक इश्तेहार त्यौहार नज़रिया तकलीफ मंजिल अजनबी यादें शायरी


3471
रौनकें कहाँ दिखाई देती हैं,
अब पहले जैसी गालिब 
अख़बारोंके इश्तेहार बताते हैं,
कोई त्यौहार आया हैं...।।

3472 
नज़रिया बदलके देख,
हर तरफ नज़राने मिलेंगे;
 ज़िन्दगी यहाँ तेरी तकलीफोंके भी,
दीवाने मिलेंगे.......!

3473
एक रास्ता ये भी हैं,
मंजिलोंको पानेका...
कि सीख लो तुम भी हुनर,
हाँ में हाँ मिलानेका.......!

3474
पता नहीं वो कैसे लोग थे,
जिंदगीभर अजनबी ही रहे...
पर मिलते हर रोज थे.......!

3475
क्या खूब होता अगर,
यादें रेत होती...
मुठ्ठीसे गिरा देते,
पाँवसे उड़ा देते...

23 October 2018

3466 - 3470 दुनिया अजनबी खुशबू यारी तारे गजब प्यार उदास आँख मौसम महसूस शायरी


3466
गजबका प्यार था,
उसकी उदास आँखोमें... 
महसूस तक ना होने दिया,
कि वो छोड़ने वाला हैं...।

3467
बदलते लोग, बदलते रिश्ते,
और बदलता मौसम...
चाहे दिखाई ना दे;
मगर 'महसूस' जरूर होते हैं...!

3468
ऐसा अपनापन भी क्या,
जो अजनबी महसूस हो...
साथ रहकर भी,
मुझे उनकी कमी महसूस हो...

3469
कुछ लोग मेरी दुनियामें,
खुशबूकी तरह हैं;
रोज महसूस तो होते हैं...
दिखाई नहीं देते.......!

3470
एक जैसे लोग सारे हीं होते,
कुछ हमारे होकर भी...
हमारे नहीं होते,
आपसे यारी करनेके बाद,
महसूस हुआ...
कौन कहता हैं...
'तारे ज़मींपर' नहीं होते...!

22 October 2018

3461 - 3465 इश्क मोहब्बत दिल चेहरा वजूद वक़्त जज़्बात दर्द लफ्ज़ तलाश महसूस शायरी


3461
एक चेहरा पड़ा मिला,
रास्तेपर मुझे...
ज़रूर किरदार बदलते,
वक़्त गिरा होगा...
बड़ा मुश्किल हैं,
जज़्बातोको पन्नोपर उतारना...
हर दर्द महसूस करना पड़ता हैं,
लिखनेसे पहले.......!!!

3462
ज़रूरी नहीं हैं इश्कमें,
बाहोंके सहारे ही मिले,
किसीको जी भरके महसूस करना...
भी मोहब्बत हैं.......!

3463
दिलपर हाथ रखो,
और कुछ देर रहने दो;
मुझे महसूस करो...
और अपने पास ही रहने दो...!

3464
कभी लफ्ज़ोमें तलाश करना,
वजूद मेरा...
मैं उतना लिख बोल नहीं पाता,
जितना महसूस करता हूँ...!

3465
अगर एहसास हैं तो,
करलो मोहब्बतको महसूस...!
ये वो ज्ज़बा हैं जो,
लफ्ज़ोमें समझाया नहीं जाता...!

21 October 2018

3456 - 3460 याद तन्हाई खुशियाँ ग़म नजर अंदाज आँख फिकर ज़िन्दगी मौजूद लम्हा महसूस शायरी


3456
मिले किसीका साथ,
तो हमें याद करना;
तन्हाई महसूस हो तो,
हमें याद करना;
खुशियाँ बाटनेके लियें,
दोस्त हजारो रखना;
जब ग़म बांटना हो,
तो हमें याद करना...!

3457
ये नजर-ए-अंदाज भी,
क्या खूब चीज हैं...
मैने उसे हमेशा बंद आँखोंसे,
महसूस किया हैं...
और एक वो हैं,
जिसने मुझे देखकर भी,
अनदेखा कर दिया हैं.......

3458
जब तुम
मेरी फिकर करते  हो ना...
तब ज़िन्दगी;
ज़िन्दगी सी महसूस होती हैं !!!

3459
उनकी मौजूदगी महसूस वो करे,
जो जुदा हो उनसे...
मैने तो अपने आपमें
उन्हें बसाया हैं.......!

3460
लोग कहते हैं बिना देखे,
कुछ महसूस नहीं होता...
पर हम तो बिना देखे,
उन्हे हर पल, हर लम्हा,
महसूस करते हैं.......!

20 October 2018

3451 - 3455 प्यार ज़िंदगी तस्वीर लफ्ज़ जुदा नजदिक अंदाज रास्ता उदासी आँख महसूस शायरी


3451
मेरी आँखोंमें छुपी,
उदासीको कभी महसूस तो कर;
हम वो हैं जो सबको...
हंसाकर रातभर रोते हैं.......!

3452
उसके हाथकी गिरिफ्त,
ढीली पड़ी तो महसूस हुआ...
यहीं वो जगह हैं,
जहाँ रास्ता बदलना हैं.......

3453
कितना प्यार हैं तुमसे,
वो लफ्ज़ोंके सहारे कैसे बताऊँ;
महसूस कर मेरे एहसासको,
अब मेरे नजदिक आकर...।

3454
अंदाजसे बना सकता हूँ,
तस्वीर मैं तेरी...
तुम्हें देखा ही नहीं,
महसूस किया हैं मैंने...!

3455
प्यारका रुतबा ज़िंदगीमें,
बहुत ज्यादा होता हैं...
महसूस तब होता हैं,
जब वो जुदा होता हैं.......

19 October 2018

3446 -3450 दिल ज़िन्दगी मुकम्मल जज़्बात हालात किस्मत कयामत हसरतें कोशिश आँख महसूस शायरी


3446
हो जाएगी मुकम्मल,
उस रोज ज़िन्दगी...।
जब जज़्बात मेरे,
छू लेंगे दिलको तेरे.......।

3447
सफ़र ज़िन्दगीका,
अब मुकम्मल कर लिया मैंने;
हालात ये हैं,
पाँव नहीं, दिल दुखता आया हैं;
तू कयामत तक,
धरनेपर बैठ किस्मत...
मैं कोशिशोसे कभी,
इस्तीफा नहीं दूंगा.......!

3448
महसूस तो होती हैं,
पर मुकम्मल नहीं होती...
कुछ हसरतें आँखोंमें ठहरी रहती हैं,
इंतजार बनकर.......!

3449
उम्रका बढ़ना तो,
दस्तूर-ए-जहाँ हैं;
मगर महसूस ना करो तो,
उम्र बढ़ती कहाँ हैं.......?

3450
खुदको भी कभी,
महसूस कर लिया करो...
कुछ रौनकें खुदसे भी,
हुआ करती हैं.......!